Nepali Gorkhas News: सेना प्रमुख जनरल उपेंद्र द्विवेदी ने सोमवार को कहा कि गोरखा बटालियनों में नेपाल से नए रंगरूटों की अनुपस्थिति ने भारतीय सेना की परिचालन तैयारियों या समग्र शक्ति को प्रभावित नहीं किया है.
पिछले चार वर्षों से भारतीय सेना की प्रतिष्ठित गोरखा बटालियनों को एक असामान्य चुनौती का सामना करना पड़ रहा है. नेपाल से नई भर्तियों नहीं हो रही.
भारतीय सेना में नेपाली भर्ती का कोई समझौता है?
जी हैं, भारत-नेपाल संबंधों का ऐतिहासिक रूप से एक महत्वपूर्ण पहलू, भारत, नेपाल और यूनाइटेड किंगडम के बीच 1947 में हुई त्रिपक्षीय समझौता है. इसके तहत नेपाली गोरखाओं की भर्ती होती थी, जो अब रुक गई है, जिससे इस पुरानी परंपरा को चोट पहुंची है.
वार्षिक सेना कमांडरों की प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान जनरल उपेंद्र द्विवेदी ने इस मुद्दे पर बात की और इस बात पर जोर दिया कि भर्ती में देरी उल्लेखनीय है, लेकिन इससे भारतीय सेना की परिचालन तैयारियों या समग्र ताकत पर कोई असर नहीं पड़ा है.
जनरल द्विवेदी ने कहा, 'हमने नेपाल सरकार के समक्ष अपना प्रस्ताव रखा है और उनके जवाब का इंतजार कर रहे हैं.' उन्होंने नेपाल के संप्रभु निर्णयों का सम्मान करते हुए भर्ती प्रक्रिया को फिर से शुरू करने की भारत की इच्छा पर प्रकाश डाला.
भारतीय सेना में नेपाली गोरखाओं की भर्ती वीरता और विश्वास से चिह्नित सदियों पुराने संबंधों पर आधारित है. 1947 के त्रिपक्षीय समझौते ने इस व्यवस्था को औपचारिक रूप दिया, जिससे यह सुनिश्चित हुआ कि हजारों नेपाली युवा भारतीय गोरखा रेजिमेंट में शामिल होंगे, जो अपने अनुशासन और युद्ध कौशल के लिए प्रसिद्ध हैं. इन बटालियनों ने तब से भारत की सीमाओं की रक्षा करने और महत्वपूर्ण सैन्य अभियानों में भाग लेने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है.
क्यों रुक गईं भर्तीयां?
2020 के बाद स्थिति बदल गई जब कोविड-19 के कारण शुरू में दो साल तक कोई भर्ती नहीं हुई और बाद में नेपाल ने अग्निपथ योजना के तहत अपने नागरिकों को भारतीय सेना में शामिल होने की अनुमति देना बंद कर दिया. इससे पारंपरिक गोरखा बटालियनों में 14,000 से अधिक गोरखा सैनिकों की कमी हो गई है.
भर्ती में गतिरोध के बावजूद, भारत और नेपाल के बीच सैन्य संबंध मजबूत बने हुए हैं. 2024 में, जनरल उपेंद्र द्विवेदी ने नेपाल का दौरा किया और उन्हें नेपाली सेना के जनरल की मानद रैंक प्रदान की गई, जो दोनों सेनाओं के बीच अद्वितीय सौहार्द का प्रतीक है. इसके तुरंत बाद, नेपाली सेना प्रमुख जनरल अशोक राज सिगडेल ने भारत का दौरा किया और उन्हें भी इसी तरह भारतीय सेना के जनरल के पद से सम्मानित किया गया.
नेपाली गोरखा भर्ती की बहाली न केवल सैन्य महत्व का मामला है, बल्कि सांस्कृतिक और ऐतिहासिक बंधन को बनाए रखने का भी सवाल है.
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