Mulayam Singh Yadav Death: क्या यादवों को एकजुट रखने वाले आखिरी नेता थे मुलायम?

Mulayam Singh yadav News: अपने बेटे अखिलेश और सगे भाई शिवपाल सिंह यादव के बीच वर्चस्व की जंग के चलते यादव कुनबे में हुए बिखराव के बावजूद मुलायम ही एकमात्र ऐसे शख्स थे जो हर मंच और मौके पर कुनबे को जोड़ने की आखिरी उम्मीद थे.

Written by - Zee Hindustan Web Team | Last Updated : Oct 10, 2022, 05:14 PM IST
  • मुलायम के निधन से अखिलेश के साथ जुड़ेगी सहानुभूति
  • हर मतभेद को सुलझाने का प्रयास करते थे मुलायम
Mulayam Singh Yadav Death: क्या यादवों को एकजुट रखने वाले आखिरी नेता थे मुलायम?

लखनऊ: समाजवादी पार्टी (सपा) संस्थापक मुलायम सिंह यादव के निधन से पार्टी पर कोई प्रत्यक्ष राजनीतिक प्रभाव भले ना पड़े लेकिन अब उनके पुत्र पार्टी अध्यक्ष अखिलेश यादव को उनकी ‘छाया और कवच’ के बगैर काम करना होगा. अपने बेटे अखिलेश और सगे भाई शिवपाल सिंह यादव के बीच वर्चस्व की जंग के चलते कुनबे में हुए बिखराव के बावजूद मुलायम ही एकमात्र ऐसे शख्स थे जो हर मंच और मौके पर कुनबे को जोड़ने की आखिरी उम्मीद थे. उनके जाने के बाद अब हालात शायद पहले जैसे नहीं रह जाएंगे और परिवार की एकजुटता चाहने वाले लोगों को उनकी कमी जरूर खलेगी. 

हर फैसले में नेता जी की हामी का दावा करते थे अखिलेश

राजनीतिक विश्लेषक जेपी शुक्ला के मुताबिक, ‘‘सपा पर अखिलेश यादव का नियंत्रण हो जाने के बाद मुलायम सिंह यादव का हाल के कुछ वर्षों में पार्टी कार्य संचालन में भले ही कोई प्रत्यक्ष हस्तक्षेप नहीं रहा हो, लेकिन उनका नाम अखिलेश यादव के लिए एक कवच की तरह था और वह अपने हर फैसले में अपने पिता की हामी होने का दावा करते थे. मुलायम के निधन के बाद अखिलेश के पास अब यह कवच नहीं रहेगा.’’ 

उन्होंने कहा, ‘‘अखिलेश को अब मुलायम की छाया के बगैर काम करना होगा. हालांकि, इसका पार्टी के आंतरिक मामलों पर कोई खास असर नहीं होगा लेकिन इसका मनोवैज्ञानिक प्रभाव जरूर पड़ेगा. अखिलेश के विरोधी हो चुके उनके चाचा शिवपाल सिंह यादव तथा उनसे जुड़े अन्य लोग मुलायम का लिहाज करके सपा नेतृत्व के खिलाफ खुलकर नहीं बोलते थे लेकिन अब उनके निधन के बाद हालात बदल सकते हैं.’’ 

उन्होंने कहा कि मुलायम अपने परिवार में जिस भावनात्मक जुड़ाव का मूल आधार थे वह उनके निधन के बाद अब शायद पहले जैसा नहीं रह जाएगा. राजनीतिक प्रेक्षक प्रोफेसर बद्री नारायण का मानना है कि मुलायम सिंह यादव के निधन से समाजवादी पार्टी को निश्चित रूप से एक अपूरणीय क्षति हुई है और इसके कई तरह के प्रभाव सामने आ सकते हैं. 

मुलायम के निधन से अखिलेश के साथ जुड़ेगी सहानुभूति 

जेपी शुक्ला ने यह भी कहा, ‘‘अखिलेश यादव ने पिछले पांच वर्षों में समाजवादी पार्टी पर पूरी तरह से प्रभुत्व हासिल कर लिया है लेकिन राजनीतिक मंचों पर वह मुलायम सिंह यादव को हमेशा आगे रखते रहे. मुलायम के निधन से अखिलेश के साथ सहानुभूति जुड़ेगी. वे लोग भी भावनात्मक रूप से अखिलेश के साथ आ सकते हैं जो हाल के वर्षों में पार्टी से दूर हो गए थे.’’ 

नारायण ने कहा कि मुलायम सिंह यादव अपने कुनबे के मुखिया थे और जैसा कि हर परिवार में मुखिया के निधन के बाद अक्सर होता है, वह मुलायम के परिवार के साथ भी हो सकता है. सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव का विरोध करने वाले उनके चाचा शिवपाल सिंह यादव अब और मुखर हो सकते हैं. 

सपा के पूर्व विधान परिषद सदस्य आनंद भदौरिया ने कहा कि मुलायम सिंह यादव स्वास्थ्य कारणों से भले ही राजनीति में सक्रिय न रहे हों लेकिन पार्टी के नेता अक्सर उनसे मिलकर विभिन्न मसलों पर उनसे सलाह लेते थे. पार्टी में कौन क्या कर रहा है, नेताजी (मुलायम) को इसकी खबर रहती थी. 

उन्होंने कहा, ‘‘मुलायम सिंह यादव सपा के मार्गदर्शक थे. उन्होंने हमेशा संघर्ष का रास्ता अपनाने और लोगों की मदद करने की सीख दी. वर्ष 2019 के लोकसभा चुनाव में जब समाजवादी पार्टी ने बहुजन समाज पार्टी के साथ गठबंधन किया था और उसे 80 में से 38 सीटें दे दी थीं तो इस पर मुलायम ने नाराजगी जाहिर की थी.’’ 

हर मतभेद को सुलझाने का प्रयास करते थे मुलायम

सपा के एक अन्य पूर्व विधान परिषद सदस्य राजपाल कश्यप ने कहा कि मुलायम सिंह यादव पार्टी के मार्गदर्शक होने के साथ-साथ उसे जोड़े रखने वाली शख्सियत भी थे. पार्टी में जब भी मतभेद उत्पन्न होते तो वह उसे समझाने का पूरा प्रयास करते. उनका मानना था कि व्यक्तिगत मतभेदों को पार्टी के विकास के आड़े नहीं आने देना चाहिए. उन्होंने कहा कि वर्ष 2017 में सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव और उनके चाचा शिवपाल सिंह यादव के बीच मतभेद गहरे होने के दौरान मुलायम ने उन्हें एकजुट करने की भरसक कोशिश की. 

बाद में शिवपाल ने जब प्रगतिशील समाजवादी पार्टी के नाम से एक अलग दल बनाया तब भी मुलायम उन्हें आशीर्वाद देने पहुंचे. मुलायम सिंह यादव का परिवार देश के सबसे बड़े राजनीतिक कुनबों में गिना जाता है. उनके बेटे सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री रह चुके हैं जबकि उनके भाई शिवपाल सिंह यादव कैबिनेट मंत्री रहे हैं. इसके अलावा उनके चचेरे भाई रामगोपाल यादव और बहुएं डिंपल यादव तथा अपर्णा बिष्ट यादव भी राजनीति में हैं. अपर्णा इस वक्त भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) में हैं. 

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