15-18 साल की पत्नी के साथ बिना सहमति यौन संबंध बनाना माना जाए बलात्कार: दिल्ली उपराज्यपाल

दिल्ली के उपराज्यपाल वी. के. सक्सेना ने गृह मंत्रालय को आईपीसी की धारा 375 के अपवाद 2 को खत्म करने की सिफारिश करते हुए एक प्रस्ताव भेजा है. जिसमें सिफारिश की गई है कि 15 साल से 18 साल की पत्नी के साथ बिना सहमति से यौन संबंध बनाना, बलात्कार की श्रेणी में माना जाए.

Written by - Zee Hindustan Web Team | Last Updated : Nov 5, 2022, 08:02 PM IST
  • 15-18 साल की पत्नी से बिना सहमति यौन संबंध बनाना माना जाए बालात्कार
  • दिल्ली के उपराज्यपाल ने पत्र लिख कर की आईपीसी में बदलाव की मांग
15-18 साल की पत्नी के साथ बिना सहमति यौन संबंध बनाना माना जाए बलात्कार: दिल्ली उपराज्यपाल

नई दिल्ली: 15 साल से 18 साल की पत्नी के साथ बिना सहमति से यौन संबंध बनाना, बलात्कार की श्रेणी में आएगा. दरअसल दिल्ली के उपराज्यपाल वी. के. सक्सेना ने गृह मंत्रालय को एक प्रस्ताव भेजा है जिसमें सिफारिश की गई है कि 15 से 18 वर्ष की आयु की पत्नी के साथ गैर-सहमति से यौन संबंध भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) के तहत बलात्कार और दंडनीय होगा.

दिल्ली LG ने भेजा प्रस्ताव

सूत्रों ने बताया कि सक्सेना ने गृह मंत्रालय को आईपीसी की धारा 375 के अपवाद 2 को खत्म करने की सिफारिश करते हुए एक प्रस्ताव भेजा है. अपवाद 2 में यह प्रावधान किया गया है कि यदि 15 से 18 वर्ष के बीच की लड़की की शादी हो जाती है, तो उसका पति उसके साथ गैर-सहमति से यौन संबंध बना सकता है और आईपीसी के तहत उसे दंडित करने का प्रावधान नहीं है.

क्या कहा उपराज्यपाल ने

दिल्ली के उपराज्यपाल ने कहा कि यदि सिफारिश को लागू किया जाता है और आईपीसी में संशोधन किया जाता है, तो 15 से 18 वर्ष के बीच की पत्नी के साथ गैर-सहमति से यौन संबंध बलात्कार की श्रेणी में आएगा और आईपीसी के तहत दंडनीय होगा. सूत्रों ने कहा कि यह यौन अपराधों से बच्चों का संरक्षण करने संबंधी अधिनियम (पोक्सो) के बीच की विसंगति को भी दूर करेगा, जो 18 वर्ष तक के किसी भी व्यक्ति के खिलाफ अपराधों और आईपीसी के प्रचलित प्रावधानों पर लागू होता है.

गृह मंत्रालय ने मांगी थी राय

गृह मंत्रालय के एक पत्र के जवाब में दिल्ली पुलिस और कानून विभाग द्वारा इस आशय का प्रस्ताव पेश किया गया था. गौरतलब है कि गृह मंत्रालय ने दिल्ली उच्च न्यायालय में उस रिट याचिका के मद्देनजर इस विषय पर शहर सरकार की राय मांगी थी, जिसमें आईपीसी की धारा 375 के अपवाद 2 की वैधता को इस आधार पर चुनौती दी गई है कि यह संविधान के अनुच्छेद 14 और 21 का उल्लंघन करता है और पोक्सो अधिनियम के प्रावधानों के अनुरूप भी नहीं है.

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