बेंगलुरु को 'सिलिकॉन वैली' बनाने वाले कर्नाटक के पूर्व सीएम एस एम कृष्णा का निधन, ऐसा रहा था राजनीतिक सफर

SM Krishna Death News: एस एम कृष्णा साल 1999-2004 तक कर्नाटक के मुख्यमत्री रह चुके हैं. इसके बाद वे साल 2004-2008 तक महाराष्ट्र के राज्यपाल रहे हैं. वहीं साल 2009-2012 तक वे भारत के विदेश मंत्री रहे हैं.   

Written by - Shruti Kaul | Last Updated : Dec 10, 2024, 08:28 AM IST
  • कर्नाटक के पूर्व मुख्यमंत्री का निधन
  • बेंगलुरु को बनाया था 'सिलिकॉन वैली'
बेंगलुरु को 'सिलिकॉन वैली' बनाने वाले कर्नाटक के पूर्व सीएम एस एम कृष्णा का निधन, ऐसा रहा था राजनीतिक सफर

नई दिल्ली: SM Krishna Death News: कर्नाटक के पूर्व मुख्यमंत्री और पूर्व विदेश मंत्री सोमनहल्ली मल्लैया कृष्णा का मंगलवार 10 दिसंबर 2024 को निधन हो गया. लंबे समय से बीमार चल रहे एस एम कृष्णा ने तड़के सुबह 2:45 बजे अपने आवास पर अंतिम सांस ली. उनके पार्थिव शरीर को आज मद्दुर ( मांड्या) लाया जाएगा. 

बेंगलुरु को बनाया 'सिलिकॉन वैली' 
एस एम कृष्णा साल 1999-2004 तक कर्नाटक के मुख्यमत्री रह चुके हैं. इसके बाद वे साल 2004-2008 तक महाराष्ट्र के राज्यपाल रहे हैं. वहीं साल 2009-2012 तक वे भारत के विदेश मंत्री रहे हैं. बता दें कि अपने मुख्यमंत्री पद के कार्यकाल के दौरान एस एम कृष्णा ने बेंगलुरु को देश के प्रौद्योगिकी केंद्र में बदला, जिसे आज 'भारत की सिलिकॉन वैली' भी कहा जाता है. उन्हें बेंगलुरु को तकनीकी हब बनाने का भी श्रेय दिया जाता है. 

 पद्म विभूषण से हुए थे सम्मानित 
एस एम कृष्णा के परिवार में उनकी पत्नी प्रेमा और 2 बेटियां मालविका और शांभवी हैं. साल 2023 में उन्हें पद्म विभूषण से भी सम्मानित किया गया था. यह सम्मान उन्हें उके 6 दशक लंबे राजनीतिक करियर और भारत के विकास में उनके अहम योगदान के लिए दिया गया था. बता दें कि एस एम कृष्णा के कार्यकाल के दौरान IT सेक्टर में अभूतपूर्व विकास हुआ है. उन्होंने बैंगलोर एजेंडा टास्क फोर्स ( BATF) की स्थापना भी की थी. उनके इन प्रयासों से कई युवाओं को रोजगार भी मिला है. 

इस बात का रहा मलाल 
एस एम कृष्णा ने साल 2017 में कांग्रेस का साथ छोड़ भाजपा का दामन थामा था, हालांकि इस दौरान वे राजनीति में काफी कम एक्टिव हो गए थे. उन्होंने अपने एक इंटरव्यू में कहा था कि साल 2004 में विधानसभा भंग करना और महाराष्ट्र के राज्यपाल पद को स्वीकारना उनके राजनीतिक सफर में अबतक की सबसे बड़ी भूल थी. उनका मानना था कि अगर वे केवल राज्य की राजनीति में ही बने रहते तो बेंगलुरु और भी ज्यादा बेहतर बना सकते थे.   

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