कैसे गिराया जाएगा ट्विन टावर? नुकसान ना हो, इसके लिए क्या है पूरा प्लान

एडिफिस इंजीनियरिंग ने ट्विन टावर के गिराने को लेकर बड़ा दावा किया है. उन्होंने कहा है कि 'नोएडा के ट्विन टावर को सुरक्षित रूप से ढहाने का '150 प्रतिशत' भरोसा है.'

Last Updated : Aug 26, 2022, 06:18 PM IST
  • ट्विन टावर के गिराने को लेकर बड़ा दावा
  • सुरक्षित रूप से ढहाने का 150% भरोसा
कैसे गिराया जाएगा ट्विन टावर? नुकसान ना हो, इसके लिए क्या है पूरा प्लान

नई दिल्ली: 'अगर नोएडा में सुपरटेक के ट्विन टावर का निर्माण इंजीनियरिंग का बेजोड़ नमूना था तो उसका ध्वस्तीकरण भी किसी उपलब्धि से कम नहीं होगा.' मुंबई स्थित एडफिस इंजीनियरिंग के उत्कर्ष मेहता ने शुक्रवार को यह बात कही. एडफिस इंजीनियरिंग को 28 अगस्त को लगभग 100 मीटर ऊंचे ट्विन टावर को सुरक्षित रूप से ढहाने का जिम्मा सौंपा गया है.

दोनों टावर को किस तरह से गिराना है?
कंपनी ने इस जोखिम भरे काम के लिए दक्षिण अफ्रीका की जेट डिमॉलिशन्स से हाथ मिलाया है. उसे दोनों टावर को कुछ इस तरह से गिराना है कि महज नौ मीटर की दूरी पर स्थित आवासीय इमारतों को कोई नुकसान न पहुंचे. मेहता ने कहा कि एडिफिस और जेट डिमॉलिशन्स की टीम ट्विन टावर को सुरक्षित रूप से ढहाने को लेकर '150 प्रतिशत' आश्वस्त है.

उन्होंने भरोसा दिलाया कि इस प्रक्रिया में आसपास की इमारतों में 'मामूली दरारें' आने के सिवा कोई संरचनात्मक क्षति नहीं पहुंचेगी. मेहता ने 'पीटीआई-भाषा' को दिए साक्षात्कार में कहा, 'ध्वस्तीकरण के दौरान क्षति को लेकर हमारे पास सौ करोड़ रुपये का बीमा है, किंतु हमें विश्वास है कि हमें इसके लिए दावा करने की जरूरत नहीं पड़ेगी.'

एडिफिस इंजीनियरिंग और जेट डिमॉलिशन्स ने इससे पहले 2020 में कोच्चि (केरल) स्थित मराडू कॉम्प्लेक्स को मिलकर ढहाया था, जिसमें 18 से 20 मंजिलों वाले चार आवासीय भवन शामिल थे. वर्ष 2019 में जेट डिमॉलिशन्स ने जोहानिसबर्ग (दक्षिण अफ्रीका) में बैंक ऑफ लिस्बन की 108 मीटर ऊंची इमारत को ढहाया था, जिसके आठ मीटर के दायरे में कई भवन थे.

'इंप्लोजन तकनीक' से दिया गया था अंजाम
ध्वस्तीकरण की इन दोनों ही प्रक्रियाओं को 'इंप्लोजन तकनीक' के माध्यम से अंजाम दिया गया था और संबंधित इमारतें चंद सेकेंड में ताश के पत्तों की तरह ढह गई थीं. नोएडा के ट्विन टावर को 15 सेकेंड से भी कम समय में ढहाने के लिए भी इसी तकनीक का सहारा लिया जाएगा.

सुप्रीम कोर्ट ने नियमों के उल्लंघन के चलते इन इमारतों को गिराने का आदेश दिया है. मेहता ने 'पीटीआई-भाषा' से कहा, 'इंप्लोजन तकनीक गुरुत्वाकर्षण के सिद्धांत पर काम करती है. इसके तहत कोई इमारत अपने दायरे में ही गिरती है, जबकि विस्फोट में मलबा बाहर भी जाता है.'

उन्होंने कहा, 'अगर आप किसी इमारत की बुनियाद को इस तरह से हटाएं कि गुरुत्वाकर्षण का केंद्र समान रूप से कुछ मिलीमीटर खिसक जाए तो तय समय में संबंधित संरचना गिर जाएगी. गुरुत्वाकर्षण कभी थमता नहीं है. यह पूरे दिन और पूरी रात काम करता है. 'इंप्लोजन' का पूरा सिद्धांत यही है.'

यह पूछे जाने पर कि क्या नोएडा में ट्विन टावर को ढहाने के लिए वे 'इंप्लोजन तकनीक' के किसी पुराने अनुभव का संदर्भ ले रहे हैं, जवाब में मेहता ने कहा कि वे अपने दक्षिण अफ्रीकी सहयोगी की विशेषज्ञता को भुना रहे हैं, जो पिछले 45 वर्षों से इस क्षेत्र में सक्रिय है और अपनी कंपनी के 20 साल के अनुभव की भी मदद ले रहे हैं.

इसे अंजाम देने का कोई विशेष तरीका नहीं
उन्होंने कहा, 'ध्वस्तीकरण की इस प्रक्रिया का उल्लेख किसी पुस्तक में नहीं है. इसे अंजाम देने का कोई विशेष तरीका नहीं है और इसे कैसे किया जाना चाहिए, इस पर संसार में कहीं भी कोई शब्द नहीं लिखा गया है. यह प्रक्रिया केवल कर्मचारियों के कौशल और इसे अंजाम देने के उनके अनुभवों पर आधारित है.'

मेहता के मुताबिक, विध्वंस टीम ध्वस्तीकरण की प्रक्रिया को रिकॉर्ड करने के लिए अलग-अलग स्थानों पर कई उपकरण तैनात कर रही है, जिनमें तेज और धीमी गति के कैमरे शामिल हैं, ताकि काम पूरा होने के बाद तकनीक का बारीकी से अध्ययन किया जा सके.

उन्होंने कहा, 'हम जो कर रहे हैं, विधिवत कर रहे हैं. अगर विस्फोटकों के लिए इमारत में किया गया छेद 2.634 मिलीमीटर का होना चाहिए तो हम यह सुनिश्चित कर रहे हैं कि इसका माप सटीक तौर पर उतना ही हो. अगर हमने आकलन किया है कि 9,640 छेद किए जाने चाहिए तो यह संख्या 9,640 ही होनी चाहिए. हमने जैसी कल्पना की है, इमारतों को उसी तरह से ढहाने के लिए हमें हर चीज सटीक रखनी पड़ेगी.'

'तस्वीरों और वीडियो का विश्लेषण करेंगे'
मेहता के अनुसार, 'ध्वस्तीकरण की प्रक्रिया को अंजाम देने के बाद जब हम उसकी तस्वीरों और वीडियो का विश्लेषण करेंगे तो हम यह देखेंगे कि क्या मलबे का कोई टुकड़ा दोनों इमारतों के दायरे से बाहर गिरा या उड़ा. अगर हां तो किसी मंजिल या क्षेत्र में. इसका कारण क्या था, क्या उसे पर्याप्त रूप से ढका नहीं गया था या फिर हमने ज्यादा विस्फोटकों का इस्तेमाल कर दिया.'

इस जोखिम भरे काम के लिए जेट डिमॉलिशन्स के साथ साझेदारी के मुद्दे पर मेहता ने कहा कि कई बार यह सिर्फ पैसों का नहीं, बल्कि प्रतिष्ठा का भी सवाल होता है. उन्होंने कहा, 'जेट डिमॉलिशन्स एक 40-45 साल पुरानी कंपनी है. वहीं, हम (एडिफिस इंजीनियरिंग) भी 20 साल से इस क्षेत्र में सक्रिय में हैं. इसलिए हम दोनों ही अपनी साख को खतरे में नहीं डालना चाहेंगे, हम भारतीय बाजार में और वे वैश्विक बाजार में.'

मेहता ने कहा, 'मैं निवासियों को भरोसा दिलाना चाहता हूं कि उनमें से किसी को भी चिंता करने की जरूरत नहीं है. हां, धूल वाकई एक मुद्दा है, जिससे हमें निपटने की जरूरत है. इसके अलावा, कोई संरचनात्मक नुकसान नहीं होगा.' उन्होंने हालांकि कहा कि आसपास की उन इमारतों के पेंट या प्लास्टर में 'मामूली दरारें' आ सकती हैं, जो पुरानी हो चुकी हैं और कुछ छिड़कियों के कांच भी चटक सकते हैं.

निवासियों और पालतू जानवरों को निकाला जाएगा
मेहता ने कहा, 'हमने उसी दिन काम कराने के लिए एक ठेकेदार के साथ पहले से ही करार कर लिया है. सब कुछ ठीक नजर आने पर टीमें शाम छह बजे से तैयार रहेंगी और चटके हुए शीशों को बदलने का काम शुरू कर देंगी.' 
निवासियों और पालतू जानवरों को निकाल दिया जाएगा.

ट्विन टावर की दो सबसे नजदीकी सोसायटी-एमराल्ड कोर्ट और एटीएस विलेज के 5,000 से अधिक निवासियों और उनके 150 से 200 पालतू जानवरों को रविवार सुबह सात बजे वहां से निकाल दिया जाएगा. दोनों परिसरों से लगभग 2,700 वाहन भी हटा दिए जाएंगे.

ट्विन टावर के आसपास 500 मीटर के दायरे में एक 'एक्सक्लुजन जोन' बनाया जाएगा, जिसमें ध्वस्तीकरण की प्रक्रिया में शामिल भारतीय और विदेशी कर्मचारियों के अलावा किसी भी मनुष्य या पशु को आने की अनुमति नहीं होगी. प्राप्त सूचना के अनुसार, एपेक्स और सियान टावर को ढहाने के लिए 3,700 किलोग्राम से अधिक विस्फोटक का उपयोग किया जाएगा.

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