PDA Vs DPA... क्या BJP ने निकाल लिया अखिलेश के फॉर्मूले का तोड़?

 PDA Vs DPA: भाजपा के पूर्व केंद्रीय मंत्री कौशल किशोर ने यूपी में DPA यात्रा निकालने का ऐलान किया है. इस यात्रा के पहले चरण में 6 जिलों को कवर किया जाएगा. ये यात्रा अखिलेश यादव के 'PDA' फॉर्मूले को फेल करने के लिए निकाली जाएगी.

Written by - Ronak Bhaira | Last Updated : Jul 8, 2024, 02:42 PM IST
  • कौशल किशोर निकालेंगे यात्रा
  • मोदी सरकार में रहे हैं मंत्री
PDA Vs DPA... क्या BJP ने निकाल लिया अखिलेश के फॉर्मूले का तोड़?

नई दिल्ली: PDA Vs DPA: उत्तर प्रदेश में हुए विधानसभा चुनाव में भाजपा की उम्मीदों से विपरीत परिणाम आए. जबकि अखिलेश यादव की समाजवादी पार्टी ने बेहतरीन प्रदर्शन किया. राजनीतिक विश्लेषकों ने माना कि अखिलेश का 'PDA' फॉर्मूला यूपी में काम कर गया. PDA का मतलब है पिछड़े, दलित व अल्पसंख्यक. अखिलेश ने इनके सहारे ही 37 सीटों पर बाजी मारी. अब भाजपा भी अखिलेश को काउंटर करने के लिए DPA का फॉर्मूला लाई है.

क्या है DPA फॉर्मूला?
दरअसल, मोदी सरकार में मंत्री रहे और भाजपा के पूर्व सांसद कौशल किशोर प्रदेश में एक यात्रा निकालने जा रहे हैं, इसे DPA यात्रा कहा जा रहा है. DPA का मतलब है दलित, पिछड़ा और अगड़ा. ये यात्रा 15 अगस्त के बाद यूपी में शुरू होगी, आगामी विधानसभा चुनाव के लिए इसे भाजपा की रणनीति का अहम हिस्सा माना जा रहा है. कौशल ने लखनऊ में ‘भारतीय संविधान है और रहेगा’ टॉपिक पर आयोजित एक कार्यक्रम में DPA यात्रा का ऐलान किया.

कौशल किशोर ही क्यों निकाल रहे यात्रा?
कौशल किशोर यूपी में भाजपा के दिग्गज नेता हैं, जो दलित समुदाय से आते हैं. इस बार उन्होंने मोहनलालगंज से लोकसभा चुनाव लड़ा था, लेकिन वे सपा के आरके चौधरी से हार गए. पहले कौशल किशोर सपा की मुलायम सरकार में मंत्री भी रह चुके हैं. साल 2013 में ही वे भाजपा में शामिल हुए थे. 1989 से 2014 तक कौशल किशोर ने 6 बार विधानसभा का चुनाव लड़ा, सिर्फ एक बार 2002 में वे चुनाव जीते थे. फिर 2014 और 2019 में वे भाजपा की टिकट पर मोहनलालगंज सीट से सांसद बने. किसान परिवार से आने वाले कौशल किशोर की दलित समुदाय में अच्छी पैठ है, वे जमीनी नेता माने जाते हैं.

पहले चरण में 6 जिलों को कवर करेगी यात्रा
DPA यात्रा पहले चरण में 6 जिलों को कवर करेगी. इनमें लखनऊ, सीतापुर, बाराबंकी, हरदोई, उन्नाव और रायबरेली शामिल हैं. यात्रा में सभाओं के अलावा लोगों से संवाद होगा और पार्टी से दूर जा चुके दलित वोटर्स को वापस लाने का प्रयास किया जाएगा. 

रिजर्व्ड सीटों पर BJP हो रही कमजोर
यूपी में SC के लिए 17 लोकसभा सीटें रिजर्व्ड हैं. 2014 के लोकसभा चुनाव में भाजपा सभी 17 सीटों पर जीती थी. लेकिन 2019 के लोकसभा चुनाव में ये सीटें घटकर 14 हो गईं. जबकि 2024 के लोकसभा चुनाव में भाजपा के खाते में केवल 8 रिजर्व्ड सीटें गई हैं.

29 सीटों पर दलित वोटर निर्णायक
गौरतलब है कि यूपी की 80 में से 29 लोकसभा सीटों पर दलित वोट 22 से 40% के बीच है, यानी यह निर्णायक भूमिका में है. लेकिन इस बार के लोकसभा चुनाव में ये वोट बैंक भाजपा या बसपा की बजाय सपा के खाते में गया और अखिलेश का PDA फॉर्मूला काम कर गया. DPA के जरिये भाजपा ने अखिलेश के इसी फॉर्मूले का तोड़ निकाला है.

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