नई दिल्ली: भारत सरकार 2G स्कैम मामले में एक बार फिर सुप्रीम कोर्ट पहुंची है. 12 साल बाद केंद्र सरकार इसके आदेश में संशोधन की मांग कर रही है. इस मामले में कोर्ट ने साल 2012 में फैसला सुनाया था.
क्या केंद्र सरकार की मांग
दरअसल, कोर्ट ने तब अपने फैसले में कहा था कि देश के प्राकृतिक संसाधनों को ट्रांसफर करते समय सरकार नीलामी करना आवश्यक है. जबकि केंद्र ने नीलामी के विकल्प को हटाने और कानून के अनुसार प्रशासनिक प्रक्रिया के माध्यम से आवंटन करने की मांग की है. इस मामले में कोर्ट ने साल 2012 में फैसला सुनाया था.
याचिका में केंद्र ने क्या कहा?
केंद्र का तर्क है कि इस फैसले में संशोधन की जरूरत है, क्योंकि स्पेक्ट्रम का आवंटन न सिर्फ वाणिज्यिक दूरसंचार सेवाओं के लिए आवश्यक है, बल्कि गैर-वाणिज्यिक उपयोग के लिए भी जरूरी है. अटॉर्नी जनरल (एजी) आर. वेंकटरमणी ने चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ और जस्टिस जेबी पार्डीवाला की पीठ के समक्ष कहा कि याचिका 2012 के फैसले में संशोधन की मांग करती है, क्योंकि केंद्र सरकार कुछ मामलों में 2G स्पेक्ट्रम लाइसेंस देना चाहती है.
चीफ जस्टिस ने दिया ये जवाब
इस पर चीफ जस्टिस ने कहा- हम इसे देखेंगे, कृपया आप इस संबंध में हमें ई-मेल भेजें. इस आवदेन का एनजीओ सेंटर फॉर पब्लिक इंटरेस्ट लिटिगेशन की ओर से पेश हुए वकील प्रशांत भूषण ने विरोध किया. उन्होंने कहा कि सुप्रीम कोर्ट ने नीलामी संबंधी अपने फैसले में इस मुद्दे को अच्छी तरह से सुलझा लिया था. प्रशांत भूषण जिस NGO की तरफ से पेश हुए, यह उन याचिकाकर्ताओं में था, जिनकी याचिकाओं पर SC ने फरवरी 2012 में फैसला सुनाया.
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