बेंगलुरू: अखिल कर्नाटक ब्राह्मण महासभा (एकेबीएम) ने कहा है कि आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग (ईडब्ल्यूएस) कोटा में प्रमुख लिंगायतों और वोक्कालिगा समुदायों को समायोजित करने का भाजपा की अगुवाई वाली राज्य सरकार का फैसला 'ब्राह्मण विरोधी' है.
कर्नाटक सरकार के खिलाफ ब्राह्मण समूहों की ये अपील
एकेबीएम के अध्यक्ष और वरिष्ठ वकील अशोक हरनहल्ली ने कहा कि राज्य सरकार के इस फैसले को ब्राह्मण स्वीकार नहीं कर सकते. एक वीडियो बयान में, हरनहल्ली ने कर्नाटक सरकार के फैसले के खिलाफ लड़ने के लिए ब्राह्मण समुदाय के सभी उप-संप्रदायों से एक साथ आने की अपील की है.
उन्होंने कहा- निर्देशों के बावजूद, राज्य सरकार का निर्णय कि आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग को 10 प्रतिशत आरक्षण दिया जाना चाहिए, सरकार कई वर्षों से आगे नहीं बढ़ी है. हालांकि, उसने अब अचानक से 10 फीसदी आरक्षण को बांटकर दो समुदायों - लिंगायत और वोक्कालिगा को देने का फैसला किया है. सरकार की योजना ब्राह्मण समुदाय को आरक्षण को केवल दो से तीन प्रतिशत तक सीमित करने की है.
आरक्षण कोटा में 56 प्रतिशत तक बढ़ाया गया रिजर्वेशन
उन्होंने कहा कि, सरकार ने अनुसूचित जाति और जनजाति के आरक्षण कोटा में वृद्धि के साथ आरक्षण को 56 प्रतिशत तक बढ़ा दिया था. वोक्कालिगा और लिंगायत समुदाय पहले से ही कोटा का लाभ उठा रहे हैं, उन्हें ईडब्ल्यूएस श्रेणी में शामिल नहीं किया जा सकता है.
ब्राह्मण इस फैसले को स्वीकार नहीं कर सकते. सत्तारूढ़ भाजपा ने हाल ही में प्रभावशाली वोक्कालिगा और लिंगायत समुदायों के लिए आरक्षण कोटे की घोषणा की थी और कहा था कि वह उन्हें ईडब्ल्यूएस कोटा में समायोजित करेगी.
(इनपुट- आईएएनएस)
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