दीदी का परिवर्तन बनाम बीजेपी की परिवर्तन, क्या अकेली रह जाएंगी ममता बनर्जी?

पश्चिम बंगाल चुनाव से पहले ममता बनर्जी का दर्द बढ़ता जा रहा है, अब ऐसा लगने लगा है कि इस बार के चुनाव में दीदी अकेली ही रह जाएंगी. ऐसा हम क्यों कह रहे हैं आपको इस खास रिपोर्ट में समझाते हैं.

Written by - Madhaw Tiwari | Last Updated : Feb 3, 2021, 05:03 PM IST
  • बंगाल में बढ़ रहा है दीदी का दर्द
  • क्या अकेली रह जाएंगी ममता बनर्जी
  • बंगाल में भाजपा बनाम टीएमसी की जंग
दीदी का परिवर्तन बनाम बीजेपी की परिवर्तन, क्या अकेली रह जाएंगी ममता बनर्जी?

कोलकाता: सत्ता के खिलाफ चुनाव लड़ते वक्त अधिकतर पार्टियों ने परिवर्तन का नारा दिया. ममता बनर्जी ने भी वाम दलों के खिलाफ यही नारा दिया था और यहां तक कि उन्होंने 2014 में प्रधानमंत्री बनने का सपना भी देखा. कभी ये नारा काम कर जाता है और कभी औंधे मुंह गिर जाता है. अब बीजेपी ने यही नारा बंगाल में टीएमसी सरकार के खिलाफ दिया है.

बंगाल में ताकत झोंक रही है भाजपा

बीजेपी 5 फरवरी से पश्चिम बंगाल (West Bengal) में परिवर्तन यात्रा शुरू कर रही है. इसके तहत 294 विधासभा क्षेत्रों में रथ यात्राएं निकाली जाएंगी. 5 फरवरी को बीजेपी अध्यक्ष जेपी नड्डा (JP Nadda) परिवर्तन यात्रा को हरी झंडी देंगे. 7 फरवरी को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (Narendra Modi) की हल्दिया यात्रा प्रस्तावित है. 10-11 फरवरी को अमित शाह बंगाल का दौरा कर सकते हैं. बीजेपी की रथ यात्रा से पहले ही टीएमसी में खलबली मची हुई है. बंगाल में परिवर्तन से पहले बीजेपी टीएमसी में परिवर्तन कर रही है. 

..जब दीदी को शाह ने लताड़ा

10 साल पहले पोरिबर्तन का नारा देकर ममता बनर्जी (Mamata Banerjee) पश्चिम बंगाल की सत्ता में आईं. बंगाल को भी लगा कि परिवर्तन होगा लेकिन 10 साल बाद बंगाल के जो हालात हैं, वो बीजेपी को मौका देते हैं कि अब वो पश्चिम बंगाल में परिवर्तन का नारा दें. हाल ही में अमित शाह ने हावड़ा में एक रैली को दिल्ली से वर्चुअली संबोधित करते हुए कहा था कि, "आप रोक नहीं सकती दीदी. क्योंकि ये परिवर्तन का जो सैलाब चला है. क्योंकि आपके आने के बाद बंगाल में जो गुंडागर्दी चली है, टोलबाजी चली है, कानून व्यवस्था की परिस्थिति जिस प्रकार से बिगड़ी है. बंगाल के उद्योग धंधे को जैसे बंद किए हैं, उसके चलते जो बंगाल में परिवर्तन की लहर चली है आप उसे रोक नहीं सकतीं"

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परिवर्तन तो जरूर हुआ, टीएमसी (TMC) में वो जो शुरुआत से ममता बनर्जी के बगल में खड़े रहते थे, जिन्होंने टीएमसी को ये ताकत दी आज वो बीजेपी के साथ हैं, मुकुल रॉय से लेकर शुवेंदु अधिकारी (Suvendu Adhikari) तक. टीएमसी में बहुत परिवर्तन हुआ है. बीजेपी को वैसे तो गुमान है कि ममता चुनाव आते-आते अकेली रह जाएंगी लेकिन उनके लिए बंगाल में चुनाव जीतने का सबसे बड़ा हथियार है बंगाल में हिंसा के हालात. हिंसा को रेखांकित करते हुए अमित शाह (Amit Shah) ने ममता दीदी पर सीधा हमला किया और कहा कि, "इस बंगाल की भूमि को आपने रक्त रंजित किया है. बंगाल की भूमि को घुसपैठियों को घुसने के लिए खुला छोड़ दिया है. मैं पूछना चाहता हूं कि ममता की सरकार क्या घुसपैठ को रोक सकती है. घुसपैठियों को अगर कोई रोक सकता है तो भारतीय जनता पार्टी की सरकार रोक सकती है और कोई रोक नहीं सकता"

PM बनने का सपना देख रही थी दीदी!

हालांकि 7 साल पहले साल 2014 में लोकसभा चुनावों के दौरान ममता बनर्जी ने खुद प्रधानमंत्री बनने के लिए परिवर्तन का हवा हवाई नारा दिया था. एक रैली को सम्बोधित करते हुए ममता बनर्जी ने कहा था कि, "हम परिवर्तन चाहते हैं. दिल्ली में परिवर्तन चाहते हैं... कांग्रेस का विकल्प बीजेपी नहीं है. बीजेपी का विकल्प कांग्रेस (Congress) नहीं है. आज देश के लिए तृणमूल कांग्रेस ही एकमात्र विकल्प है" इस तरह से उन्होंने खुद की पार्टी को संसद में बहुमत वाली पार्टी बनने का ऐलान किया था और साथ ही खुद को प्रधानमंत्री के तौर पर प्रोजेक्ट भी किया था लेकिन ऐसे किसी परिवर्तन को जनता का साथ नहीं मिला बल्कि उस चुनाव में मोदी ने पूरे हिन्दुस्तान में अपना जलवा बिखेरा.

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जो ममता बनर्जी प्रधानमंत्री बनने का सपना देख रही थीं, उनसे फिलहाल प्रदेश नहीं संभल रहा. आए दिन तस्वीरें आ रही हैं कि बंगाल में हर रोज बम चल रहे हैं, गोलियां चल रही हैं, टीएमसी और बीजेपी (BJP) कार्यकर्ताओं के बीच में खूनी जंग चल रही है और इसी को आधार बनाकर बीजेपी पश्चिम बंगाल में परिवर्तन का नारा लेकर आगे बढ़ रही है.

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