बिहार से तिहाड़ तक... आंगनबाड़ी सहायिका का लड़का कैसे बना 'Kanhaiya Kumar'?

Who is Kanhaiya Kumar: कन्हैया कुमार दिल्ली की उत्तर-पूर्वी लोकसभा सीट से कांग्रेस के प्रत्याशी हैं. उनका मुकाबला भाजपा के मनोज तिवारी से है. मनोज तिवारी इस सीट से दूसरी बार सांसद हैं.

Written by - Zee Hindustan Web Team | Last Updated : May 25, 2024, 11:21 AM IST
  • 2019 में कन्हैया चुनाव हारे
  • तब CPI ने दिया था टिकट
बिहार से तिहाड़ तक... आंगनबाड़ी सहायिका का लड़का कैसे बना 'Kanhaiya Kumar'?

नई दिल्ली: Who is Kanhaiya Kumar: दिल्ली की उत्तर-पूर्वी लोकसभा सीट से कन्हैया कुमार को कांग्रेस ने अपना प्रत्याशी बनाया है. 2019 में कन्हैया बिहार के बेगूसराय से चुनाव लड़ चुके, तब वे कम्युनिस्ट पार्टी के प्रत्याशी थे. कन्हैया कुमार का बचपन गरीबी में बीता. तब उनके पास खुद का घर तक नहीं था. 

क्लास मॉनिटर बने
कन्हैया का जन्म 2 जनवरी, 1987 को बेगूसराय के मसनदपुर में हुआ. कन्हैया की शुरुआती पढ़ाई गांव के ही सरकारी स्कूल में हुई. कन्हैया के पिता जयशंकर सिंह बालू विक्रेता थे. उनका निधन हो चुका है. मां मीना देवी आंगनबाड़ी सहायिका थीं. चौथी क्लास में कन्हैया पहली बार कक्षा के मॉनिटर बने. फिर पांचवीं क्लास में भी वे मॉनिटर रहे.

जीवन का टर्निंग पॉइंट
कन्हैया ने अपनी आगे की पढ़ाई पटना कॉलेज से की. 10 हजार रुपये की आमदनी में कन्हैया की मां ने उन्हें पढ़ाया. यहां से ग्रेजुएट होने के बाद कन्हैया ने JNU में अफ्रीकन स्टडीज में एम.फिल और पीएचडी के लिए एडमिशन ले लिया. यही कन्हैया के जीवन का टर्निंग पॉइंट था. यहीं से कन्हैया कुमार के सियासी करियर की शुरुआत हुई. वे 2015 में JNU छात्र संघ (JNUSU) के अध्यक्ष चुने गए.

जब लाइमलाइट में आए कन्हैया
कन्हैया सबसे पहले लाइमलाइट में तब आए, जब उन पर साल 2016 में देशद्रोह का आरोप लगा और उन्हें गिरफ्तार कर लिया गया. दरअसल, 2016 में JNU के कैंपस में एक कार्यक्रम में कथित तौर पर देशद्रोही नारे लगे थे. तब कन्हैया JNU के छात्र संघ अध्यक्ष हुआ करते थे. उनके विरोधियों ने उन्हें 'टुकड़े-टुकड़े गैंग' कहना शुरू कर दिया. तब उनकी गिरफ्तारी हुई, वे तिहाड़ जेल भी गए. इसके बाद कन्हैया को रातोंरात फेम मिल गई, उनके भाषण वायरल होने लगे. कन्हैया ने खुद को एक नौजवान वामपंथी नेता के तौर पर स्थापित कर लिया. 

हार गए थे चुनाव
2019 में कन्हैया ने अपने गृह जिले बेगूसराय से लोकसभा चुनाव लड़ा. उन्हें CPI ने टिकट दिया था. लेकिन भाजपा के दिग्गज नेता गिरिराज सिंह से उन्हें भारी मतों से चुनाव हराया. 2021 में कन्हैया ने CPI को अलविदा कह दिया, वे कांग्रेस में आ गए. अब वे राहुल गांधी के सबसे करीबियों में से एक हैं. यही कारण है कि कन्हैया पर कांग्रेस ने भरोसा जताया है और एक बार फिर वे चुनावी मैदान में हैं. 

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