नई दिल्ली. विवाह से पहले वर-वधु के सुखद वैवाहिक जीवन के लिए की कुंडली का मिलान किया जाता है. अगर किसी व्यक्ति की कुंडली में मांगलिक दोष के लक्षण दिखाई देते हैं तो इसे बेहद अशुभ माना जाता है. माना जाता है कि मंगल दोष की वजह से आगे चलकर उन्हें काफी परेशानियों का सामना करना पड़ता है.
क्या है मंगल दोष?
वैवाहिक जीवन के लिए अशुभ माने जाने वाले मंगल दोष को लेकर मान्यता है कि मांगलिक व्यक्ति मांगलिक से ही विवाह करना चाहिए. अगर युवक और युवती दोनों की कुंडली में मंगल दोष की तीव्रता समान है तो ही दोनों को एक दूसरे से विवाह करना चाहिए. अन्यथा इस दोष की वजह से पति-पत्नी में से किसी एक की मृत्यु भी हो सकती है.
क्या होता है असर?
अगर किसी की कुंडली में मंगल 1, 4, 7वें, 8वें और 12वें भाव में हो तो जातक को मंगल दोष लगता है. पहला स्थान का मंगल व्यक्ति को और अधिक तेज बना देता है. चौथे स्थान का मंगल पारिवारिक जीवन पर असर डालता है. सातवें स्थान का मंगल साथी के साथ व्यव्हार को बदल देता है, जबकि 8वें और 12वें स्थान पर मंगल आयु पर प्रभाव डालता है.
मंगल दोष का निवारण
- प्रतिदिन गायत्री मंत्र का 108 बार जाप करें.
- दिन में कम से कम एक बार हनुमान चालीसा का पाठ करें.
- मंगलवार के दिन व्रत रखने और हनुमान जी को सिन्दूर चढ़ाने से मांगलिक दोष शांत होता है.
- वट सावित्री और मंगला गौरी का व्रत करना बेहद लाभदायी होता है.
- कार्तिकेय जी की पूजा करने से भी इस दोष से छुटकारा मिलता है.
- महामृत्युजय मंत्र का जाप सभी मांगलिक दोष का नाश कर देता है.
- मंगल ग्रह की शांति करना लाभदायक साबित होता है.
- मंगलवार को शिवलिंग पर कुमकुम चढ़ाने से भी लाभ मिलता है.
(Disclaimer: यहां दी गई सभी जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. Zee Hindustan इसकी पुष्टि नहीं करता है.)
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