वैदिक ज्योतिष में सूर्य-उपासना का क्या है महत्व, रविवार को 108 बार इस मंत्र के जाप से मिलता है शुभ फल

Jyotish Upay: वैदिक ज्योतिष में सूर्यदेव का विशेष महत्व होता है. आदिकाल से ही भगवान सूर्य की उपासना होती चली आ रही है. सूर्य समस्त लोकों में ऊर्जा के केन्द्र माने गए हैं. सूर्यदेव को प्रत्यक्ष देवता माना गया है, क्योंकि उनके दर्शन हमें प्राप्त होते हैं. मान्यता है की सूर्य की उपासना करने से रोगों से मुक्ति मिलती है.

Written by - Zee Hindustan Web Team | Last Updated : Jun 26, 2022, 06:14 AM IST
  • जानिए सनातन परम्परा में सूर्य का महत्व
  • नवग्रह में सूर्यदेव का विशेष स्थान
वैदिक ज्योतिष में सूर्य-उपासना का क्या है महत्व, रविवार को 108 बार इस मंत्र के जाप से मिलता है शुभ फल

नई दिल्ली: वैदिक ज्योतिष में सूर्यदेव का विशेष महत्व होता है. आदिकाल से ही भगवान सूर्य की उपासना होती चली आ रही है. सूर्य समस्त लोकों में ऊर्जा के केन्द्र माने गए हैं. सूर्यदेव को प्रत्यक्ष देवता माना गया है, क्योंकि उनके दर्शन हमें प्राप्त होते हैं. मान्यता है की सूर्य की उपासना करने से रोगों से मुक्ति मिलती है.

वैदिक ज्योतिष में नवग्रहों के राजा हैं सूर्य
वैदिक ज्योतिष में सूर्य को नवग्रहों का राजा कहा गया है. जातक की कुंडली में सूर्यदेव का विशेष महत्व होता है. क्योंकि यह मनुष्य के जीवन पर गहरा प्रभाव छोड़ते हैं. सूर्य की साधना स्वयं प्रभु श्री राम ने भी की थी. शास्त्रों में वर्णन है कि भगवान श्रीकृष्ण के पुत्र सांब भी सूर्य की उपासना करके ही कुष्ठ रोग दूर कर पाए थे. ज्योतिष में सूर्य को आत्मा का कारक ग्रह माना गया है.

सूर्य को वेदों में जगत की आत्मा और ईश्वर का नेत्र बताया गया है. सूर्य को जीवन, स्वास्थ्य और शक्ति के देवता के रूप में मान्यता हैं. मान्यता के अनुसार सूर्यदेव की साधना से न सिर्फ सुख-समृद्धि की प्राप्ति होती है, बल्कि आरोग्य भी प्राप्त होता है. सूर्य को किए जाने वाले नमस्कार को सर्वांग व्यायाम कहा जाता है.

सनातन परम्परा में सूर्य का महत्व
सनातन परंपरा में प्रत्यक्ष देवता सूर्य की साधना-उपासना शीघ्र ही फल देने वाली मानी गई है. सूर्यदेव की पूजा के लिए सूर्योदय से पूर्व उठकर स्नान करें. इसके पश्चात् उगते हुए सूर्य का दर्शन करते हुए उन्हें घ् घृणि सूर्याय नमः कहते हुए जल अर्पित करें. सूर्य को दिए जाने वाले जल में लाल रोली, लाल फूल मिलाकर जल दें. सूर्य को अर्घ्य देने के पश्चात्प लाल आसन में बैठकर पूर्व दिशा में मुख करके सूर्य के मंत्र का कम से कम 108 बार जप करें. रविवार के दिन श्री सूर्य देव की पूजा करने से अनेक लाभ होते हैं. हमारे जीवन में सूर्य देव के बहुत ही महत्तवपूर्ण लाभ होते हैं. उनसे हमें धूप मिलती है और साथ ही साथ रोशनी भी. ऐसा माना जाता है कि सुबह-सुबह घर में अगर सूर्य देव की आरती चलती है तो घर में खुशहाली आती है.

जब जातक पर सूर्यदेव की कृपा होती है-

अगर किसी जातक के ऊपर सूर्य की कृपा होती है तो उसके सभी बिगड़े हुए काम जल्दी पूरे होने लगते हैं. रास्ते में पड़ने वाली बाधाएं हटने लगती हैं.
सूर्यदेव की कृपा होने पर कुंडली में नकारात्मक प्रभाव देने वाले ग्रहों का प्रभाव कम हो जाता है.
धन प्राप्ति के योग बनते हैं और घर में हमेशा सुख-शांति का वातावरण बना रहता है.
जातक की कुंडली में सूर्य प्रबल होने पर मान-सम्मान, नेतृत्व क्षमता में वृद्धि और सरकारी नौकरी के अवसर प्राप्त होते हैं.

नवग्रह में सूर्यदेव का विशेष स्थान

ज्योतिष के अनुसार सूर्य को नवग्रहों में प्रथम ग्रह और पिता के भाव कर्म का स्वामी माना गया है. जीवन से जुड़े तमाम दुखों और रोग आदि को दूर करने के साथ-साथ जिन्हें संतान नहीं होती उन्हें सूर्य साधना से लाभ होता हैं. पिता-पुत्र के संबंधों में विशेष लाभ के लिए सूर्य साधना पुत्र को करनी चाहिए. वैदिक काल से ही भारत में सूर्य की पूजा का प्रचलन रहा है. पहले यह साधना मंत्रों के माध्यम से हुआ करती थी लेकिन बाद में उनकी मूर्ति पूजा भी प्रारंभ हो गई. जिसके बाद तमाम जगह पर उनके भव्य मंदिर बनवाए गए. प्राचीन काल में बने भगवान सूर्य के अनेक मन्दिर आज भी भारत में हैं. सूर्य की साधना-अराधना से जुड़े प्रमुख प्राचीन मंदिरों में कोणार्क, मार्तंड और मोढ़ेरा आदि हैं.
शास्त्रों में बताया गया है कि सूर्यदेव की आराधना का अक्षय फल मिलता है. सच्चे मन से की गई साधना से प्रसन्न होकर भगवान भास्कर अपने भक्तों को सुख-समृद्धि एवं अच्छी सेहत का आशीर्वाद प्रदान करते हैं.

सूर्य की साधना को समर्पित है रविवार का दिन
रविवार का दिन भगवान सूर्य को समर्पित है. इस दिन भगवान सूर्य की साधना-आराधना करने पर शीघ्र ही उनकी कृपा प्राप्त होती है. रविवार के दिन भक्ति भाव से किए गए पूजन से प्रसन्न होकर प्रत्यक्ष देवता सूर्यदेव अपने भक्तों को आरोग्य का आशीर्वाद प्रदान करते हैं.

उगते ही नहीं डूबते सूर्य को भी देते हैं अर्घ्य
सूर्यदेव की न सिर्फ उदय होते हुए बल्कि अस्त होते समय भी की जाती है. भगवान भास्कर की डूबते हुए साधना सूर्य षष्ठी के पर्व पर की जाती है. जिसे हम छठ पूजा के रूप में जानते हैं. इस दिन सूर्य देवता को अर्घ्य देने से इस जन्म के साथ-साथ, किसी भी जन्म में किए गए पाप नष्ट हो जाते हैं. अस्त हो रहे सूर्य को पूजन करने के पीछे ध्येय यह भी होता है कि ‘हे सूर्य देव, आज शाम हम आपको आमंत्रित करते हैं कि कल प्रातःकाल का पूजन आप स्वीकार करें और हमारी मनोकामनाएं पूरी करें.

सात घोड़ों के रथ पर सवार हैं भगवान सूर्य
सृष्टि के प्रत्यक्ष देवता भगवान सूर्य के रथ में सात घोड़े होते हैं, जिन्हे शक्ति एवं स्फूर्ति का प्रतीक माना जाता है. भगवान सूर्य का रथ यह प्रेरणा देता है कि हमें अच्छे कार्य करते हुए सदैव आगे बढ़ते रहना चाहिए, तभी जीवन में सफलता मिलती है.

यह भी पढ़िए: ऐसे पुरुषों के होते हैं एक्स्ट्रा मेरिटल अफेयर्स, लेकिन दूसरी शादी के बाद भी नहीं मिलती खुशी

ट्रेंडिंग न्यूज़