Paush Purnima 2024: कब है पौष पूर्णिमा, जानें पूजा विधि, शुभ मुहूर्त और महत्व

Paush Purnima 2024: हिंदू धर्म में  एक साल में 12 पूर्णिमा मनाई जाती है. हिंदू धर्म में पूर्णिमा का बहुत ही शुभ महत्व माना जाता है. पौष पूर्णिमा माता लक्ष्मी को समर्पित होती है. इस साल गुरुवार 25 जनवरी के दिन पौष पूर्णिमा मनाई जाएगी. आइए जानते हैं, पौष पूर्णिमा की सही तिथि, समय और पूजा विधि. 

Written by - Shruti Kumari | Last Updated : Jan 24, 2024, 09:04 AM IST
  • कब है पौष पूर्णिमा
  • पौष पूर्णिमा का पूजा विधि
Paush Purnima 2024: कब है पौष पूर्णिमा, जानें पूजा विधि, शुभ मुहूर्त और महत्व

नई दिल्ली:  Paush Purnima 2024: हिंदू पंचांग के अनुसार, पौष माह में शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा को पौष पूर्णिमा कहा जाता है. हिंदू धर्म में पूर्णिमा तिथि का बहुत ही बड़ा महत्व है. हिंदू धर्म में पौष पूर्णिमा के दिन दान, स्नान और सूर्य देव को अर्घ्य देने का विशेष महत्व है. हिंदू पंचांग के अनुसार, ऐसा कहा जाता है कि पौष पूर्णिमा के दिन काशी, प्रयागराज और हरिद्वार में गंगा स्नान का बड़ा महत्व होता है. आइए जानते हैं, पौष पूर्णिमा की सही तिथि, समय और पूजा विधि.

कब है पौष पूर्णिमा  
पंचांग के अनुसार, पौष पूर्णिमा 25 जनवरी दिन  को रखा जा रहा है. पौष पूर्णिमा तिथि की शुरुआत 24 जनवरी यानी आज शाम 9 बजकर 52 मिनट से शुरू हो रहा है और इसका समापन 25 जनवरी यानी कल शाम 10 बजकर 26 मिनट पर होगा. 

पौष पूर्णिमा का महत्व
हिंदू धर्म के अनुसार, पौष सूर्य देव का माह कहा जाता है. पौष पूर्णिमा के बाद से ही माघ माह की शुरुआत हो जाती है और इस दिन से ही प्रयाग राज में संगम तट पर माघ मेला शुरू हो जाता है, जिसमें देश-विदेश से आने वाले लाखों श्रद्धालु संगम तट पर डुबकी लगाते हैं. इस मास में सूर्य देव की पूजा करने से मोक्ष की प्राप्ति होती है. पौष पूर्णिमा के दिन पवित्र नदियों में स्नान और सूर्य देव को अर्घ्य देने की परंपरा है.  इस दिन सूर्य और चंद्रमा दोनों के पूजन से मनोकामनाएं पूर्ण होती है और जीवन में आने वाली बाधाएं दूर होती है.

पौष पूर्णिमा का पूजा विधि
पौष पूर्णिमा पर स्नान, दान, जप और व्रत करने से पुण्य की प्राप्ति होती है और मोक्ष मिलता है. इस दिन सूर्य देव की पूजा का विशेष महत्व है. पवित्र नदी या कुंड में स्नान करें और स्नान से पूर्व वरुण देव को प्रणाम करें. स्नान के बाद सूर्य देव के मंत्र का उच्चारण करते हुए सूर्य देव को अर्घ्य देना चाहिए. किसी जरुरतमंद व्यक्ति या ब्राह्मण को भोजन कराकर दान-दक्षिणा देनी चाहिए. ऐसा कहा जाता कि दान में तिल, गुड़, कंबल और ऊनी वस्त्र विशेष रूप से देने चाहिए.

(Disclaimer: यहां दी गई सभी जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. Zee Hindustan इसकी पुष्टि नहीं करता है. किसी भी जानकारी को अमल में लाने से पहले संबंधित विशेषज्ञ से सलाह जरूर ले लें.)
   

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