Space Explorations: जब धरती पर मौजूद हैं सबसे कीमती चीजें, फिर क्यों मची है स्पेस में जाने की होड़
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Space Explorations: जब धरती पर मौजूद हैं सबसे कीमती चीजें, फिर क्यों मची है स्पेस में जाने की होड़

Asteroids Research: एक नीलामी में क्रिस्टी ने चंद्रमा से पैदा एक उल्कापिंड के लिए रिकॉर्ड तोड़, लगभग 189,000 अमेरिकी डॉलर की कीमत हासिल की थी. अरबों डॉलर की कीमत के संसाधनों के साथ उल्कापिंड बहुतायत में उपलब्ध हैं और जो लोग इन्हें खोजने का तरीका जानते हैं, उनके लिए धरती पर भी इनकी कमी नहीं है. 

Space Explorations: जब धरती पर मौजूद हैं सबसे कीमती चीजें, फिर क्यों मची है स्पेस में जाने की होड़

Space Mining Ventures: एस्टेरॉयड को लेकर दुनिया की दिलचस्पी की कोई सीमा नहीं है. इसका अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि इसके लिए कुछ लोग स्पेस ट्रैवल करने की ख्वाहिश जाहिर कर चुके हैं और कुछ ने उल्कापिंड के अवशेषों को धार्मिक स्थलों पर रखने का सुझाव तक दिया है.

इतना ही नहीं, एक नीलामी में क्रिस्टी ने चंद्रमा से पैदा एक उल्कापिंड के लिए रिकॉर्ड तोड़, लगभग 189,000 अमेरिकी डॉलर की कीमत हासिल की थी. अरबों डॉलर की कीमत के संसाधनों के साथ उल्कापिंड बहुतायत में उपलब्ध हैं और जो लोग इन्हें खोजने का तरीका जानते हैं, उनके लिए धरती पर भी इनकी कमी नहीं है. 

नहीं है स्पेस में जाने की जरूरत

प्राकृतिक संसाधनों के संकट को खत्म करने के लिए उल्कापिंड हमें जरूरी कैमिकल मॉडल दिखा सकते हैं, लेकिन हमें इनकी तलाश के लिए धरती से बाहर स्पेस में जाने की जरूरत नहीं है. 

हर साल धरती पर लगभग 40,000 टन उल्कापिंड के टुकड़े और धूल गिरती है. ज्यादातर उल्कापिंड महासागरों और जमीन पर गिरते है. अंटार्कटिका, साइबेरिया, सहारा के अलावा कनाडा और ऑस्ट्रेलिया के उजाड़ क्षेत्रों में इन्हें आसानी से देखा जा सकता है. गिरे हुए उल्कापिंडों की कीमत का सही आकलन अभी तक नहीं किया जा सका है, लेकिन कुछ अनुमानों के अनुसार, 2027 तक अंतरिक्ष खनन का ग्लोबल मार्केट 1.99 अरब अमेरिकी डॉलर तक पहुंचने की उम्मीद है. उल्कापिंडों में खनिज तत्व मिलने के कई मामले सामने आए हैं. मेक्सिको और अंटार्कटिका में गिरे दो उल्कापिंड में ग्राफीन पाया था.

यूरोपीय संघ ने किया है बड़ा निवेश

ग्राफीन परमाणुओं की एक परत से बना, कार्बन का एक रूप है जिसमें हाई कंडक्टिविटी और काफी मजबूती होती है. अहम बात यह है कि इसे डेवलप करने के लिए यूरोपीय संघ ने एक अरब यूरो का निवेश किया है. जबकि चीन ने इसे हाई नेशनल प्रायॉरिटी माना है. 

टेट्राटेनाइट, लोहे और निकल की मिश्र धातु है जो केवल उल्कापिंडों में पाई जाती है. इसे चुम्बकों में इस्तेमाल दुर्लभ खनिजों के रिप्लेसमेंट के रूप में देखा जा रहा है. इसका इस्तेमाल कार निर्माण, कंप्यूटिंग और कई अन्य रोजमर्रा की चीजों में इस्तेमाल किए जाने वाले प्रोडक्ट के तौर पर किया जा सकता है. 

ऐसा जरूरी नहीं कि हर उल्कापिंड में ग्राफीन या टेट्राटेनाइट जैसे कीमती तत्व मिल जाएं, लेकिन ये तत्व अहम खनिजों की हमारी मांग पूरी करने में मदद कर सकते हैं. हालांकि, इनका खनन करना इतना भी आसान नहीं होता. चंद्रमा में कमर्शियल क्वांटिटी में खनन के लिए इस्तेमाल किसी क्षेत्र की संभावना भी नहीं देखी है. 

लॉन्च किए गए हैं ये मिशन

इसके अलावा, एलियन माइनिंग वहां से हटा कर ओर (Ore) को धरती पर वापस लाने का कारोबार मौजूदा समय के नमूना वापसी मिशनों की तुलना में बहुत अधिक है. ओर को निकालने के लिए इंसानों को अंतरिक्ष में भेजने के बजाय, धरती पर आई उल्कापिंड सामग्री में इनकी खोज अधिक किफायती लगती है. आखिरकार, जब हम क्षमता विकसित करते हैं, तो धरती से दूर ठिकानों पर मौजूदगी बनाए रखने के लिए इंसानों का नियमित रूप से दूसरे ग्रहों से संसाधनों को निकालने की संभावना तलाश करना स्वाभाविक है. 

बहरहाल, यह क्षमता अभी बहुत दूर है. क्षुद्रग्रहों या धूमकेतुओं के लिए नासा के कई मिशन - स्टारडस्ट, ओएसआईआरआईएस-आरईएक्स, जेएएक्सए (दो बार), हायाबुसा 1 और हायाबुसा 2 संचालित हुए और ये सभी मिशन दस दस ग्राम से कम पराग्रही नमूने लेकर लौटे हैं जिनका विश्लेषण जारी है.

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