Berlin Wall: वो दीवार जिसने एक मुल्‍क को 2 भागों में बांट दिया, जानें क्यों बनाई गई थी बर्लिन वॉल
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Berlin Wall: वो दीवार जिसने एक मुल्‍क को 2 भागों में बांट दिया, जानें क्यों बनाई गई थी बर्लिन वॉल

Berlin Wall History: दूसरे विश्व युद्ध के बाद जर्मनी संयुक्त राज्य अमेरिका के नेतृत्व वाले पश्चिमी ब्लॉक और सोवियत यूनियन के नेतृत्व वाले पूर्वी ब्लॉक के बीच विभाजित हो गया था और दो अलग-अलग जर्मन देश उभरे.

Berlin Wall: वो दीवार जिसने एक मुल्‍क को 2 भागों में बांट दिया, जानें क्यों बनाई गई थी बर्लिन वॉल

Fall of Berlin Wall: किसी भी देश के लिए बंटवारे के दर्द को भुलाना बहुत मुश्किल है. एक देश का दो हिस्सो में बंटना जनता के लिए सबसे बड़ी त्रासदियों में से एक है. इतिहास ने इसे बार-बार साबित किया है. जर्मनी भी विभाजन का दंश झेल चुका है हालांकि इस लिहाज से वह एक खुशकिस्मत देश है कि इसने अपने आप को फिर से एक करने में कामयाबी हासिल की. जर्मनी के बंटवारे की सबसे बड़ी प्रतीक बनी थी एक दीवार, जिसे इतिहास में वर्लिन वॉल के रूप में जाना जाता है.

करीब 28 साल तक इस दीवार ने बर्लिन शहर को पूर्वी और पश्चिमी टुकड़ों में विभाजित करके रखा. इसका निर्माण 13 अगस्त, 1961 को इसका निर्माण शुरू हुआ था. यह करीब 160 किलीमीटर लंबी थी.

क्यों पड़ी इस दीवार को बनाने की जरुरत
दूसरे विश्व युद्ध के बाद जर्मनी संयुक्त राज्य अमेरिका के नेतृत्व वाले पश्चिमी ब्लॉक और सोवियत यूनियन के नेतृत्व वाले पूर्वी ब्लॉक के बीच विभाजित हो गया था और शीत युद्ध में दो अलग-अलग जर्मन देश उभरे.

23 मई 1949 को स्थापित फेडरल रिपब्लिक ऑफ जर्मनी (Federal Republic of Germany), जिसे आमतौर पर पश्चिम जर्मनी के नाम से जाना जाता है, एक उदारवादी आर्थिक प्रणाली वाला एक संसदीय लोकतंत्र था.

वहीं 7 अक्टूबर 1949 को स्थापित जर्मन डेमोक्रेटिक रिपब्लिक, जिसे आमतौर पर पूर्वी जर्मनी के नाम से जाना जाता है, एक मार्क्सवादी-लेनिनवादी समाजवादी गणराज्य था, जिसका नेतृत्व सोवियत-गठबंधन सोशलिस्ट यूनिटी पार्टी ऑफ जर्मनी (एसईडी) के हाथ में था.

इस विभाजन के बाद सैकड़ों कारीगर और व्यवसायी हर दिन पूर्वी बर्लिन को छोड़कर पश्चिमी बर्लिन जाने लगे. कुछ लोग राजनैतिक कारणों से भी पूर्वी बर्लिन को छोड़ रहे थे. इस सब के चलते पूर्वी जर्मनी को आर्थिक और राजनैतिक मोर्च पर नुकसान होने लगा.

इन हालात में एक दीवार बनाने का फैसला किया गया. ऐसा माना जाता है कि तत्कालीन सोवियत संघ के सर्वोच्च नेता निकिता ख्रुश्चेव की सहमति के बाद दीवार का निर्माण शुरू हुआ. दीवार बन जाने के बाद लोगों का प्रवासन काफी हद तक रुक गया. हालांकि दीवार की फांदकर पूर्वी से पश्चिमी जर्मनी जाने की कोशिशें जारी रहीं जिनमें लोगों को जान भी गंवानी पड़ी.

आखिरकार ढही दीवार
हालांकि यह दीवार ज्यादा वर्षों तक जर्मनी को विभाजित नहीं रख पाई. 80 के दशक में सोवियत संघ कमोजर पड़ने लगा और इसी के साथ पूर्वी जर्मनी में भी कम्युनिस्ट शासस के खिलाफ विरोध प्रदर्शन बढ़ने लगे. आखिरकार 9 नवंबर 1989 को इस दीवार को ढहाने का काम शुरू हो गया और इसी के साथ जर्मनी के एकीककरण की प्रक्रिया भी शुरू हो गई.

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