Separation Marriage: सेपरेशन मैरिज में सिंगल वाला अहसास, इसमें क्यों ज्‍यादा खुश रहते हैं पति-पत्नी?
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Separation Marriage: सेपरेशन मैरिज में सिंगल वाला अहसास, इसमें क्यों ज्‍यादा खुश रहते हैं पति-पत्नी?

जापान नें एक अलग तरह की शादी लोकप्रिय हो रही है, जिसमें पति-पत्नी को हमेशा साथ रहने की जरूरत नहीं होती. इस तरह की शादी को ‘सेपरेशन मैरिज’ का नाम दिया गया है.

Separation Marriage: सेपरेशन मैरिज में सिंगल वाला अहसास, इसमें क्यों ज्‍यादा खुश रहते हैं पति-पत्नी?

भारत में शादी का मतलब जन्म-जन्मों तक एक साथ रहने का बंधन माना जाता है. शादी के दौरान पति-पत्नि सात जन्मों तक साथ निभाने की कस्में खाते हैं और फिर वो एक ऐसे बंधन में बंध जाते हैं जिसमें उन्हें जीवन भर साथ रहना होता है. लेकिन इसके विपरीत जापान नें एक अलग तरह की शादी लोकप्रिय हो रही है, जिसमें पति-पत्नी को हमेशा साथ रहने की जरूरत नहीं होती. इस तरह की शादी को ‘सेपरेशन मैरिज’ का नाम दिया गया है.

अब सवाल है कि आखिर इस ‘सेपरेशन मैरिज’ में ऐसा क्या खास है जिसकी वजह से जापान में लोगों का झुकाव इसकी तरफइ तेजी से बढ़ा है? जापान में इसे वीकेंड मैरिज के नाम से भी जाना जाता है. इस शादी में पती और पत्नी दोनों को शादी के बाद भी सिंगल वाली फीलिंग आती है.

सेपरेशन मैरिज में पति और पत्नी भावनात्मक रूप से भी एक दूसरे से जुड़े होते हैं और उन पर एक दूसरे की आदतों समझने, उनके अनुसार ढलने और बातों को मानने का दबाव नहीं होता. साथ ही इसमें पति-पत्नी को एक दूसरे पर उतना ही भरोसा होता है जितना एक साधारण शादी वाले पति-पत्नी को एक दूसरे पर होता है. कई मामलों में सेपरेशन मैरिज में ये भरोसा ज्यादा भी देखा गया है.

क्या है सेपरेशन मैरिज?
जापान में पॉपुलर हो चुके सेपरेशन मैरिज के तहत पति-पत्नी को एक साथ एक ही घर में रहने की अनिवार्यता नहीं होती. यहां तक कि वो इस शादी के बंधन में बंधने के बाद भी साथ नहीं सोते, वो अलग-अलग कमरों में सोते हैं, अलग-अलग घरों में रहते हैं. कई मामलों में पति-पत्नी अलग-अलग सोसाइटी में भी रहते हैं. इस शादी में वो रोज-रोज मिलते भी नहीं हैं. इसके बावजूद उनके बीच अलगाव की भावना नहीं होती बल्कि आम शादी के मुकाबले उनका जुड़ाव ज्यादा मजबूत होता है.

इस शादी की खास बात ये है कि इसमें पति-पत्नी को शादी के बाद भी अपने जीवन को अपने तरीके से जीने की आजादी मिलती है. इस शादी में पति-पत्नी एक दूसरे पर अंधा विश्वास करते हैं, यानी एक दूसरे पर उन्हें पूरा यकीन होता है. वो एक दूसरे का सम्मान करते हैं. यहां तक कि भविष्य की योजनाएं भी वो एक दूसरे से बात करके ही बनाते हैं. आसान शब्दों में कहा जाए तो उनके हर एक फैसले में दोनों की राय शामिल होती है.

बच्चे की जिम्मेदारी किस पर होती है?
इस शादी में बच्चे होने के बाद वो मां के साथ ही सोते हैं. हालांकि, पति चाहे तो वो पत्नी की सहमति के बाद बच्चों के साथ आकर सो सकता है. इस शादी के तहत अगर पति-पत्नी अलग-अलग घरों में रहते हैं तो इस स्थिति में बच्चे मां के साथ ही रहते हैं. 

इस शादी के नुकसान ये हैं कि इसमें महिला की जिम्मेदारी बच्चे को लेकर बढ़ जाती है साथ ही उसे आर्थिक रूप से भी मजबूत होना पड़ता है. वहीं, पुरुष को दफ्तर से लेकर घर तक सारे काम खुद करने पड़ते हैं. टोक्यो फैमिलीज की रिपोर्ट के मुताबिक जापान में 70 फिसदी से ज्यादा पति-पत्नी अलग-अलग सोते हैं और ये ट्रेंड बढ़ता ही जा रहा है.

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