रूस-यूक्रेन युद्ध: न जेट से, न टैंकों से, न मिसाइलों से, दिल बहलता है मेरा ड्रोन के आ जाने से... यूक्रेनी कमांडर की घातक चाल
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रूस-यूक्रेन युद्ध: न जेट से, न टैंकों से, न मिसाइलों से, दिल बहलता है मेरा ड्रोन के आ जाने से... यूक्रेनी कमांडर की घातक चाल

Ukraine war: 16 दिन बाद रूस यूक्रेन युद्ध को शुरू हुए पूरे दो साल हो जाएंगे. अब तक जंग का नतीजा नहीं निकल सका है. यूक्रेनी राष्ट्रपति जेलेंस्की ने रूसी प्रेसिडेंट पुतिन (Vladimir Putin) को कड़ी टक्कर दी है. कीव ने मास्को को वॉक ओवर देने के बजाए जो रास्ता चुना, अब उसमें उन्हें कामयाबी की किरण दिख रही है.

रूस-यूक्रेन युद्ध: न जेट से, न टैंकों से, न मिसाइलों से, दिल बहलता है मेरा ड्रोन के आ जाने से... यूक्रेनी कमांडर की घातक चाल

Russia-Ukraine war: 24 फरवरी, 2022 को रूस ने यूक्रेन पर पूरी ताकत से हमला किया. माना जा रहा था कि चंद दिनों यूक्रेन घुटने टेक देगा. रूसी सेना ने शुरुआत में महत्वपूर्ण बढ़त भी बनाई लेकिन अमेरिकी मदद से पुतिन का सपना पूरा न हो सका. यूक्रेन के राष्ट्रपति बीते करीब दो सालों से दुनियाभर में घूम-घूम कर पैसे और हथियारों का इंतजाम करते रहे तो उनके वफादार सैन्य कमांडरों ने रूस को छकाने में कोई कसर नहीं छोड़ी. यूक्रेन सेना प्रमुख जनरल वेलेरी जेलुजनी (Valerii Zaluzhnyi) ने पिछली गलतियों से सबक लेते हुए जो रणनीति अपनाई वो सुपर पावर रूस के मुखिया पुतिन को भारी पड़ती दिख रही है. 

युद्ध के पिछले हफ्ते की बात करें तो यूक्रेनी सेना के प्रमुख ने चौंकाते हुए अपने ड्रोन से रूस की मिसाइल यूनिट, रूसी हवाई क्षेत्र और एक ऑयल रिफाइनरी को निशाना बनाया. इस हमले से रूस को काफी बड़ा नुकसान हुआ है.

ये गेम जरा हट के है....

यूक्रेन सेना के चीफ वेलेरी अब आमने सामने की लड़ाई के बजाए, रूस को गहरी चोट देने का काम कर रहे हैं. पुतिन के सीक्रेट एजेंट चाहकर भी कीव में बैठे किसी बड़े सैन्य अफसर या राष्ट्रपति जेलेंस्की का बाल बांका नहीं कर पाए हैं. उसके पीछे वेलेरी का चतुर दिमाग है. वेलेरी ने अपनी सेना के प्रमुख लोगों की सुरक्षा के लिए जो चक्रव्यूह रचा है, उसे रूस भेद नहीं पाया है. 

न जेट से, न टैंकों से, न मिसाइलों से, दिल बहलता है मेरा ड्रोन के आ जाने से...

रूस से युद्द में हुए नुकसान का पूरा कैलकुलेशन और उससे मिले सबक, मानो यूक्रेनी सेना प्रमुख वेलेरी को जुबानी याद हैं. उन्हें वॉर जोन के सभी ब्लैक स्पॉट पता हैं. ऐसे में अपने संख्याबल का ध्यान रखते हुए यूक्रेनी कमांडर ने अब टैंक, फाइटर जेट या भारी भरकम महंगी मिसाइल के बजाए ताबड़तोड़ ड्रोन हमलों पर फोकस करते हुए रूस की नाक में दम कर दिया है.

यूक्रेनी कमांडर वेलेरी जेलुजनी का ड्रोन सिद्धांत

यूक्रेनी कमांडर-इन-चीफ वेलेरी जेलुजनी ने हाल ही में अपने एक पत्र में लिखा, 'मानवरहित प्रणालियां (UAV) सैन्य अभियानों के दौरान खुद की रक्षा करने के साथ दुश्मन को खत्म करने के लिए सबसे कारगर उपाय है. पारंपरिक भारी भरकम सुरक्षा कवच महंगे हैं और वहीं ड्रोन्स सशस्त्र बलों की जान बचाने का एक कामयाब उपाय है. हमने तकनीकी रेनोवेशन के एक पूरी तरह से नए सिस्टम की शुरुआत की है जिसके पूरा होने में पांच महीने तक का समय लग सकता है. उसके बाद हालात पूरी तरह से हमारे हक में होंगे.' 

वेलेरी जेलुजनी के इस नए सैन्य सिद्धांत की बात करें तो वो बीते साल के आखिर में यूक्रेन सरकार के 2024 में ड्रोन प्रोडक्शन और ड्रोन एरेंजमेंट को लेकर रखे गए लक्ष्य से मेल खाता है. दरअसल जेलेंस्की सरकार ने 11000 मध्यम और लंबी दूरी के घातक ड्रोन बनाने की तैयारी की है, उस दिशा में तेजी से काम हो रहा है. 

पुतिन (रूस) पर दबाव ज्यादा?

मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक सारा खेल साइकोलॉजी (मनोविज्ञान) का है. जिसे यूक्रेन सेना के चीफ ने बेहतर समझा है. जियो पॉलिटिक्स और रक्षा मामलों के जानकारों का मानना है कि पुतिन चाहे भले स्वीकार न करें लेकिन, दो साल तक खिंच गए इस युद्ध का दबाव यूक्रेन की तुलना में रूस पर ज्यादा है. 

यूक्रेन के सेना प्रमुख अपने एक-एक सैनिक का हिसाब किताब खुद देख रहे हैं. यानी वो अपने हर सैनिक के डायरेक्ट टच में हैं. वो उनकी फिटनेस और उसकी सुविधाओं का ध्यान रख रहे हैं. अमूनन ये काम कोई कंपनी कमांडर करता है, लेकिन जब सेना प्रमुख खुद किसी जवान की परेशानी में सीधे फोन करके हौसला बढ़ाएं या मिलने चले आएं तो उससे जो पॉजिटिविटी आती है, बस रूस उसे ही क्रैक या ब्रेक नहीं कर पा रहा है.

रूसी फौज की हालत समझिए

रूसी सैनिकों की पत्नियां यूक्रेन में लड़ रहे अपने फौजी पतियों को वॉर जोन से बुलाने की मांग कर रही हैं. रूस पर दबाव बढ़ता देख यूक्रेनी सेना प्रमुख ने रणनीति में जो बदलाव किया, उसे रूस के रणनीतिकार समझ ही नहीं पा रहे हैं. यूक्रेन ने रूस पर बड़े पैमाने पर ड्रोन हमले शुरू कर दिए हैं. यूक्रेनी सांसदों ने लामबंदी विधेयक के पहले हिस्से को पारित कर लिया है, कुल मिलाकर अब आगे और दमखम से लड़ने की तैयारी है.

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