UK General Election 2024: भारत में लोकसभा चुनाव के बाद अब सात समंदर पार ब्रिटेन में चुनाव की धूम है. जिन अंग्रेजों ने भारत समेत आधी दुनिया पर 200 साल तक राज किया. उस ब्रिटेन की पॉलिटिकल डेमोग्राफी तेजी से बदल रही है. ऐसा इसलिए क्योंकि ये पहला मौका है जब भारतीय मूल के रिकॉर्ड नेता वहां सांसदी का चुनाव लड़ रहे हैं.
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UK General Election: ब्रिटेन में आम चुनाव की धूम है. भारतीय मूल के ऋषि सुनक ब्रिटेन के प्रधानमंत्री हैं. उनके सियासी विरोधी उन्हें रंग से ब्राउन लेकिन आदत से अंग्रेज बताते हैं. वो ऐसे समय पीएम बने थे जब ब्रेग्जिट के बाद ब्रिटेन की इकॉनमी डांवाडोल होने के साथ-साथ वहां पर रंगभेद आसमान जितनी ऊंचाइयां छू रहा था. लाख दावों के बावजूद आज भी ब्रिटेन में इस तरह के हालात कुछ खास नहीं बदले हैं. साल 2024 में ब्रिटेन के चुनाव (UK Poll) को आम भारतीयों के नजरिये से देखें तो नस्लभेद के कारण भेदभाव का शिकार होने वाले लोगों के लिए फिलहाल राहत भरी खबर बस इतनी है कि कंजरवेटिव हो या लेबर या फिर अन्य सभी दलों से इस बार करीब 107 देसी (भारतीय मूल) कैंडिडेट चुनाव लड़ रहे हैं.
ब्रिटेन की संसद को समझिए- सुनक की पार्टी 14 साल से सत्ता में
यूके की संसद के निचले सदन यानी हाउस ऑफ कॉमन्स में कुल 650 सीटें हैं. बहुमत का आंकड़ा 326 है. निवर्तमान संसद में 15 भारतीय मूल के सांसद हैं. पीएम ऋषि सुनक की सत्ताधारी कंजरवेटिव पार्टी की मुख्य विपक्षी दल लेबर पार्टी में मुख्य मुकाबला है. यहां बहुमत का आंकड़ा 326 है. ब्रिटेन में करीब 5 करोड़ वोटर्स हैं. यहां 37.3 लाख लोग भारतीय मूल के रहते हैं.
कंजर्वेटिव के चुनावी वादे बनाम लेबर पार्टी के वादे
पीएम ऋषि सुनक की अगुवाई में कंजर्वेटिव ने अपने मेनिफेस्टो में इकॉनमी को मजबूत करने का वादा किया है. सुनक ने हर साल TAX में कटौती करने, पब्लिक हेल्थ सेक्टर का बजट बढ़ाने जैसे लोकलुभावन वादों के साथ 2030 तक रक्षा खर्च बढ़ाकर सीमाओं को मजबूत करने का दावा किया है. प्रवासियों के मामले में नियमों में बदलाव करके उनकी पार्टी पहले ही भारतीयों को ब्रिटेन से बाहर जाने का रास्ता दिखा चुकी है. इसके बावजूद इस बार भी सुनक भारतीय मूल के मतदाताओं की ओर बड़ी उम्मीद से देख रहे हैं. मंदिर जा रहे हैं, उनकी पत्नी भी भारतीय मूल के लोगों के बीच कार्यक्रमों में बढ़चढ़कर हिस्सा ले रही हैं. इस कवायद से इतर सुनक की पार्टी ने अप्रवासियों की संख्या को सीमित करने और कुछ शरणार्थियों को रवांडा भेजने का भी वादा किया है.
लेबर पार्टी की बात करें तो वामपंथी विचारधारा वाली लेबर पार्टी के नेता कीर स्टारमर हैं. उनके प्रमुख अपोनेंट सुनक अर्थशास्त्री हैं तो स्टारमर पेशे से लॉयर (वकील) हैं. उन्होंने लेबर पार्टी को पूर्व नेता जेरेमी कॉर्बिन की समाजवादी नीतियों से दूर रखने और आंतरिक विभाजन को शांत करने के लिए बहुत काम किया है. उनकी अगुवाई में लेबर पार्टी की लोकप्रियता बढ़ी है. हालांकि पिछले आम चुनाव में लेबर पार्टी को 202 सीटें मिली थीं. यानी लेबर पार्टी बहुमत से 124 सीटें दूर रह गई थी.
ब्रिटेन आम चुनाव में देसी बनाम देसी की टक्कर, पहली बार व्हीटिश/ब्राउन दिखेगी संसद?
ब्रिटेन के पड़ोसी आयरलैंड के प्रधानमंत्री लियो वरदकर भी भारतीय मूल के हैं लेकिन उन्हें प्रो इंडियन नहीं माना जाता है. यही बात सुनक पर भी लागू होती है. कभी आधी से ज्यादा दुनिया पर करीब 200 साल राज करने वाली ब्रिटिश संसद में अब बड़ा बदलाव दिख रहा है. इस बार 100 से ज्यादा भारतवंशी चुनाव लड़ रहे हैं, अगर आधे भी जीत गए (हालांकि इसकी उम्मीद कम ही है लेकिन सियासत में जनता ही जनार्दन होती है.) तो अंग्रेजों की पार्लियामेंट में गेहुंवे या कथित ब्राउन लोंगों की संख्या बढ़ जाएगी.
आपका क्या फायदा?
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक सुनक हो या वरदकर दोनों परवरिश से ब्रिटिश अपर क्लास मानसिकता के हैं. उनमें और गोरे रंग के ब्रिटेनवासियों में कोई खास अंतर नहीं है. इन्हीं की तरह ब्रिटिश भूभाग में चुनाव लड़ रहे भारतीय मूल के नेता भले रंग से भूरे हैं लेकिन आदत से अंग्रेज हैं. इसलिए वो इस बार चुनाव जीत कर भारत के लोगों के लिए कुछ एक्स्ट्रा करेंगे या कुछ तवज्जो देंगे इसकी उम्मीद करना बेमानी होगा.
2024 के आम चुनाव में क्या होगा?
कंजर्वेटिव पार्टी ने पिछले चुनाव में 365 सीटें जीती थी. कंजरवेटिव बीते 14 सालों से ब्रिटेन पर राज कर रहे हैं. इस बार तमाम प्री पोल सर्वे में सत्ताधारी पार्टी को भारी नुकसान दिख रहा है, वहीं लेबर पार्टी 4 जून गुरुवार को होने वाले आम चुनाव में बड़े मार्जिन से लीड लेती दिख रही है.
भारतीयों की बात करें तो इस बार सत्ताधारी पार्टी यानी कंजरवेटिव पार्टी से 30 ब्रिटिश भारतीय चुनावी मैदान में हैं. इनमें 23 नए चेहरे हैं. जिन सात दिग्गज भारतीय मूल के नेताओं की टिकट को रिपीट किया गया है उसमें ऋषि सुनक, प्रीति पटेल और सुएला ब्रेवरमैन का नाम सबसे आगे है.
लेबर पार्टी की बात करें तो 33 ब्रिटिश भारतीय चुनावी मैदान में हैं. इसमें 26 नए चेहरे हैं. पुराने मजबूत उम्मीदवारों में तंमंजीत सिंह, सीमा मल्होता जैसे सभी कैंडिडेट अपनी अपनी जीत का दावा कर रहे हैं.
हमेशा से यहां कंजरवेटिव और लेबर पार्टी के दबदबे के बीच छोटी पार्टियों के लिए सीट जीतना मुश्किल होता है. इसके बावजूद इस बार लिबरल डेमोक्रेट्स, रिफॉर्म यूके, स्कॉटिश नेशनल पार्टी और ग्रीन पार्टी भी चुनावी मैदान में हैं. खुशी की बात ये है कि इस बार हर राजनीतिक दल ने पर्याप्त मात्रा में भारतीय मूल के उम्मीदवारों को टिकट दिया है.