Russia Ukraine War: पुतिन की वॉर मशीन के आगे NATO पस्‍त! अमेरिका और यूरोप से तीन गुना ज्‍यादा गोला-बारूद बना रहा रूस
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Russia Ukraine War: पुतिन की वॉर मशीन के आगे NATO पस्‍त! अमेरिका और यूरोप से तीन गुना ज्‍यादा गोला-बारूद बना रहा रूस

Russia Artillery Shell Production Capacity: व्‍लादिमीर पुतिन की 'वॉर मशीन' पूरी क्षमता से काम कर रही है. अमेरिका और यूरोप के मुकाबले रूस करीब तीन गुना ज्‍यादा गोला-बारूद बना रहा है.

Russia Ukraine War: पुतिन की वॉर मशीन के आगे NATO पस्‍त! अमेरिका और यूरोप से तीन गुना ज्‍यादा गोला-बारूद बना रहा रूस

Russia Ukraine War News: यूक्रेन से युद्ध लड़ रहे रूस ने डिफेंस प्रोडक्शन कई गुना बढ़ाया है. उसी का नतीजा है कि वह यूक्रेन पर रोज हजारों गोले दाग पा रहा है. CNN की रिपोर्ट बताती है कि रूस रोजाना लगभग 10,000 गोले दागता है. जवाब में यूक्रेन की तरफ से रोज बमुश्किल 2,000 गोले ही दागे जाते हैं. 600 मील से ज्‍यादा लंबे मोर्चे पर कहीं-कहीं यह अनुपात और बुरा है. रूस के पास इतनी फायरपावर कहां से आ रही है? जानने के लिए रूस की वॉर मशीन को समझना होगा. NATO का अनुमान है कि रूस अभी हर महीने करीब ढाई लाख आर्टिलरी म्यूनिशन (तोप के गोले) बना रहा है. यानी सालभर में रूस लगभग 30 लाख आर्टिलरी शेल्स बना लेता है. इसके उलट, अमेरिका और यूरोप मिलकर भी यूक्रेन के लिए सालभर में सिर्फ 12 लाख गोले बना पा रहे हैं. NATO के एक सीनियर अधिकारी ने CNN से कहा, 'अब हम प्रोडक्शन वॉर में हैं. यूक्रेन का नतीजा क्‍या होगा, यह इसपर निर्भर करता है कि दोनों पक्ष इस युद्ध को जारी रखने के लिए कितना तैयार हैं.

रूस की वॉर मशीन का फुल फॉर्म में चले जाना यूक्रेन की मुश्किलें बढ़ाता है. यूक्रेन को अमेरिकी फंडिंग रुक गई है क्योंकि कांग्रेस के भीतर रिपब्लिकन उसका विरोध कर रहे हैं. दूसरी तरफ, रूस अपनी ताकत के दम पर युद्ध में आगे निकलता जा रहा है. हाल ही में रूस ने यूक्रेन के अवदीवका शहर पर कब्‍जा किया है. यूक्रेन न सिर्फ गोला-बारूद की किल्लत, बल्कि सैनिकों की कमी से भी जूझ रहा है.

रूस-यूक्रेन युद्ध : कैसे काम कर रही पुतिन की 'वॉर मशीन'

NATO अधिकारी के हवाले से CNN ने बताया कि रूस की आर्टिलरी फैक्ट्रियां 24x7 चल रही हैं. 12-12 घंटों की रोटेटिंग शिफ्ट लगती है. यूक्रेन युद्ध शुरू होने से पहले रूस के डिफेंस सेक्टर में 20-25 लाख कर्मचारी थे. अब उनकी संख्या लगभग 35 लाख तक पहुंच गई है. रूस की वॉर मशीन ने रफ्तार पकड़ ली है. हालांकि, पश्चिमी अधिकारियों को लगता है कि जितनी जरूरत है, रूस अब भी उतना उत्पादन नहीं कर पा रहा. उनका अनुमान है कि अगले साल किसी वक्त रूस की फैक्ट्रियों का उत्पादन चरम पर होगा. 

यूक्रेन की डिफेंस प्रोडक्शन कैपेसिटी पर रूस ने की चोट

रूस ने हाल के दिनों में लंबी दूरी की मिसाइलों का इस्तेमाल बढ़ाया है. वह इनके जरिए यूक्रेन के घरेलू डिफेंस प्रोडक्शन को निशाना बना रहा है. NATO के एक सीनियर अधिकारी के मुताबिक, रूस हर महीने 115 से 130 लॉन्ग रेंज की मिसाइलें बना रहा है. इसके अलावा प्रति माह, 300-350 वन-वे अटैक ड्रोन बनाए जा रहे हैं जिसका मॉडल ईरान ने दिया है. रूस के पास युद्ध के पहले लंबी दूरी की हजारों मिसाइलें थीं. आज उनकी संख्या 700 तक आ गई है.

यूक्रेन युद्ध के बीच पुतिन की सबसे बड़ी चुनौती टैंक और अन्य हथियारबंद गाड़ियों का उत्पादन है. हर महीने लगभग 125 टैंक बन रहे हैं लेकिन अधिकतर पुराने मॉडल के हैं जिन्हें रीफर्बिश किया गया है. NATO के मुताबिक, रूस के पास अब भी करीब 5000 टैंक स्टोरेज में हैं. फरवरी 2022 में युद्ध शुरू होने के बाद से रूस ने कम से कम 2,700 टैंक गंवाए हैं. 

NATO की नजरें रूसी अर्थव्यवस्था पर भी हैं जो युद्ध की वजह से 'पूरी तरह बदल' गई है. एक अधिकारी के मुताबिक, सोवियत युग के बाद तेल प्रमुख सेक्टर था लेकिन अब डिफेंस सबसे बड़ा सेक्‍टर हो गया है और उसका खर्च तेल से निकल रहा है.

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