Russia Ukraine War: हाथ में AK-47, लेकिन सैनिटरी पैड का संकट; इन महिला सैनिकों की लाइफ नहीं आसान
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Russia Ukraine War: हाथ में AK-47, लेकिन सैनिटरी पैड का संकट; इन महिला सैनिकों की लाइफ नहीं आसान

Ukraine War: करीब 17 महीनों से रूस के सैनिकों का डट कर मुकाबला कर रहीं यूक्रेन की महिला सैनिकों के हौसलों को लोग सलाम कर रहे हैं. जिन मुश्किल हालातों में ये नारी शक्ति हाथ में बंदूक थामकर मोर्चे पर डटी है, उसकी आप कल्पना भी नहीं कर सकते हैं.

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Russia Ukraine War Latest: युद्ध कौशल और रणनीति के जानकारों का कहना है कि जंग संसाधनों से नहीं हौसले से लड़ी जाती है. इस बार यह बात साबित कर दिखाई है रूस-यूक्रेन सीमा पर डटीं उन महिला सैनिकों ने जो मुश्किल हालातों का सामना करने के साथ-साथ अपने दुश्मनों को मुंहतोड़ जवाब दे रही हैं. यहां पर बात यूक्रेन की महिला सैनिकों की उस टुकड़ी की जो रूस के हमले से देश की रक्षा करते समय संसाधनों की भीषण कमी से जूझ रही है. इस बीच कुछ वार रिपोर्टर्स ने कई महिला सैनिकों से बात की है जिन्होंने अपने मुश्किल हालातों की जानकारी देते हुए कहा कि संसाधनों की कमी उनका हौसला नहीं तोड़ पाई है. हालात ऐसे हैं कि महिला सैनिकों की वर्दी तक उनके साइज से काफी बड़ी है.

60 हजार महिला सैनिकों की पीड़ा

'डेली बीस्ट' में प्रकाशित रिपोर्ट के मुताबिक, रूस के खिलाफ चल रहे युद्ध के बीच यूक्रेन की हजारों महिला सैनिक बहादुरी से युद्ध लड़ रही हैं. इन महिला सैनिकों के पास उनके सही साइज की यूनिफार्म तक नहीं है. यूक्रेन के सशस्त्र बलों में करीब 60000 महिलाएं तैनात हैं. इस रिपोर्ट में कई महिला सैनिकों का हवाला देते हुए सेना में महिला संसाधनों की व्यापक कमी का जिक्र किया गया है. ऐसे हालातों ने यूक्रेन के मिलिट्री वालंटियर्स की चिंता को और बढ़ा दिया है.

महिला सैनिकों की कुछ और चिंताओं की बात करें तो उनके पास खराब फिटिंग वाली ड्रेस के अलावा अच्छी क्वालिटी के जूते भी नहीं है. कुछ महिलाओं को पुरुष सैनिकों के बॉडी आर्मर का इस्तेमाल करना पड़ रहा है. जूतों का सही साइज न होने से वो जरूरत पड़ने पर तेजी से दौड़ भी नहीं सकती हैं.

दवाएं और सैनिटरी पैड तक नहीं

महिला सैनिकों का कहना है कि उनके पास महिने में कुछ दिन राशन तक नहीं होता. उन्हें दवाओं और सैनिटरी पैड की कमी का सामना भी करना पड़ रहा है. युद्ध के मैदान में महिला सैनिक खुद की देखभाल करने में असमर्थ हैं. उन्हें स्वास्थ्य संबंधी कई तरह की समस्याओं से जूझना पड़ रहा है. जूलिया नाम की एक महिला सैनिक ने बताया कि जंगल में जहां माइनस में तापमान हो वहां टॉयलट जाने का इंतजाम भी नहीं है. महिला सैनिकों को सिस्टिटिस और पीठ दर्द की समस्या का सबसे ज्यादा सामना करना पड़ता है.

ऐसे मुश्किल हालातों में भी अपने देश की सुरक्षा का ये जज्बा यूक्रेन की नारी शक्ति के दम को दिखाता है. मीडिया में इनकी मुश्किलों की कहानी प्रकाशित होने के बाद लोग उनके हिम्मत को सलाम कर रहे हैं.

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