Tamil Nadu: 2022 में हुई थी रिहाई, अब राजीव गांधी के 3 हत्‍यारों को श्रीलंका क्‍यों भेजा जा रहा?
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Tamil Nadu: 2022 में हुई थी रिहाई, अब राजीव गांधी के 3 हत्‍यारों को श्रीलंका क्‍यों भेजा जा रहा?

Chennai News: राजीव गांधी की हत्या 21 मई 1991को आम चुनाव के दौरान तमिलनाडु (Tamilnadu) के श्रीपेदम्बूदूर में हुई थी. ये साजिश लिट्टे ने रची  थी. अब अब करीब 33 साल बाद उस हत्याकांड के तीन दोषियों श्रीहरन उर्फ मुरुगन (Sriharan alias Murugan), रॉबर्ट पायस (Robert Payas) और जयकुमार (Jayakumar) को वापस श्रीलंका भेजा जा रहा है.  

राजीव गांधी हत्याकांड के दोषी मुरगन (बाएं) और रॉबर्ट पायस (दाएं)

Rajiv Gandhi assassination: भारत के पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी की हत्या पर कई तरह की चर्चाएं होती रहती हैं. देश के खिलाफ हुई साजिश कितनी गहरी थी. उनकी हत्या के पीछे केवल तमिल समुदाय का असंतोष भर था या कुछ और ऐसे कई सवाल हैं, जिन पर अक्सर बातचीत होती है. इस बीच तमिलनाडु से खबर आई कि राजीव गांधी की हत्या के तीन दोषियों को वापस श्रीलंका (Sri Lanka) भेजा जा रहा है. स्टालिन सरकार ने मद्रास हाईकोर्ट (Madras high court) को बताया है श्रीलंका के डिप्टी हाईकमीशन ने श्रीहरन उर्फ मुरुगन, रॉबर्ट पायस और जयकुमार को अस्थायी यात्रा दस्तावेज जारी कर दिए हैं. ऐसे में उनकी वतन वापसी का रास्ता साफ हो गया है. 

सुप्रीम कोर्ट से मिली थी रिहाई- देरी की वजह भी जानिए

सुप्रीम कोर्ट ने 11 नवंबर, 2022 को राजीव गांधी हत्याकांड में उम्र कैद की सजा काट रहे 6 दोषियों को रिहा करने का आदेश दिया था. आदेश के अगले दिन नलिनी, श्रीहरन, संथन, रॉबर्ड पायस, जयकुमार और रविचंद्रन को 32 साल बाद जेल से रिहा कर दिया गया था. लेकिन यहां एक पेंच ये फंस गया कि नलिनी और रविचंद्रन को आजाद होते ही परिवार के पास जाने की अनुमति मिल गई लेकिन बाकी चार को त्रीची सेंट्रल जेल के स्पेशल कैंप में रख दिया गया. क्योंकि ये चारों श्रीलंकाई नागरिक थे.

एक हफ्ते में पहुंच जाएंगे श्रीलंका!

टीओआई की एक रिपोर्ट के मुताबिक मुरुगन, रॉबर्ट पायस और जयकुमार की वतन वापसी हो रही है. अपने घर तो संथन भी जाना चाहता था. लेकिन उसकी किस्मत में ऐसा नहीं लिखा था. संथन ने जून 2023 में त्रीची जेल के स्पेशल कैंप से पत्र लिखकर कहा था कि वो अपनी मां से मिलना चाहता है.

पत्र में उसने लिखा था - 'मैं पीएम मोदी, केंद्रीय गृह मंत्री और विदेश मंत्री को पत्र लिख चुका हूं कि मेरे श्रीलंका भेजने का इंतजाम किया जाए. मैंने अधिकारियों से अनुरोध किया कि मुझे चेन्नई स्थित श्रीलंका के डिप्टी हाई कमीशन ऑफिस जाने दिया जाए ताकि मैं पासपोर्ट रिन्यू करा सकूं. मैं 32 सालों से अपनी मां से नहीं मिला हूं और मैं खुद को दोषी महसूस करता हूं कि उम्र के इस पड़ाव पर मैं उनकी मदद नहीं कर पा रहा. अधिकारियों ने हमें जिंदा तो रखा है लेकिन जीने नहीं दे रहे हैं.' 

 फरवरी 2024 में जेल में इलाज के दौरान उसकी मौत हो गई थी.  

मुरगन श्रीलंका नहीं तो कहां जाएगा, कोर्ट को बताया  

मुरगन ने वतन वापसी के लिए हाईकोर्ट में याचिका लगाई थी. उसने याचिका में कहा था कि उसने यूके में शरण मांगी है. वो बेटी मेहरा से मिलना चाहता है, जो यूके की नागरिक है. 28 फरवरी को संथन की मौत के बाद, मुरुगन ने चेन्नई स्थित श्रीलंकाई उप उच्चायोग से यात्रा दस्तावेजों के लिए हाईकोर्ट का रुख किया था. हाईकोर्ट के आदेश के अनुसार, तीनों को 13 मार्च को डिप्टी कमीशन ले जाया गया.

मुरुगन का कहना है कि श्रीलंका में उनकी जान को खतरा है इसलिए वो ब्रिटेन में शरण मांग रहा है. इसलिए भारत से सीधे ब्रिटेन जाने की मंजूरी पाने की कोशिशें जारी हैं. उसने अपनी पत्नी नलिनी जो भारतीय मूल की नागरिक है, उसके साथ यूके के वीजा के लिए आवेदन किया है. नलिनी का वीजा इंटरव्यू हो चुका है और वो ब्रिटिश हाईकमीशन के फैसले का इंतजार कर रही है. मुरुगन का मामला इसलिए अटक गया क्योंकि उनके पास जरूरी यात्रा दस्तावेज नहीं थे.

हाईकोर्ट का निर्देश

मुरुगन की याचिका का निपटारा करते हुए, हाईकोर्ट ने कहा, 'श्रीलंकाई उच्चायोग द्वारा याचिकाकर्ता को जारी किया गया यात्रा दस्तावेज स्वयं एक वैध दस्तावेज है, जिसके आधार पर वो चेन्नई स्थित एफआरआरओ से निर्वासन का आदेश प्राप्त कर सकता है और उसके बाद तत्काल अपने देश वापस जा सकता है.' इसके बाद सरकार ने जानकारी देते हुए कहा कि एक हफ्ते के भीतर फॉरेन रीजनल रजिस्ट्रेशन ऑफिस (FRRO) से तीनों का डिपॉर्टेशन यानी निर्वासन आदेश जारी होते ही उन्हें श्रीलंका भेज दिया जाएगा.

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