Pakistan Maldives: दुश्मन का दुश्मन दोस्त...भारत ने घटाया मालदीव का फंड तो पाकिस्तान को दिखा ये 'मौका'
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Pakistan Maldives: दुश्मन का दुश्मन दोस्त...भारत ने घटाया मालदीव का फंड तो पाकिस्तान को दिखा ये 'मौका'

Maldives Latest Updates: भारत ने वित्त वर्ष 2024-25 में मालदीव को दी जाने वाली आर्थिक मदद को 750 करोड़ से घटाकर 600 करोड़ कर दिया है. इस फैसले के बाद कंगाल पाकिस्तान को मौका मिल गया है और उसने कहा है कि वह मालदीव की मदद करेगा.

 

Pakistan Maldives: दुश्मन का दुश्मन दोस्त...भारत ने घटाया मालदीव का फंड तो पाकिस्तान को दिखा ये 'मौका'

Pakistan Maldives Latest Updates: घर में नहीं दाने, अम्मा चली भुनाने. पाकिस्तान की हालत कुछ इसी कहावत जैसी हो गई है. पाकिस्तान के पास खुद तो खाने के लाले पड़े हुए हैं लेकिन अपने आप को भारत के बराबर दिखाने की होड़ में उसने मालदीव की आर्थिक मदद करने का आश्वासन दिया है. पाकिस्तान की ओर से यह बयान भारतीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण की उस बजट घोषणा के बाद आया है, जिसमें मालदीव को दी जाने वाली आर्थिक मदद में इस साल कटौती कर दी गई है. पाकिस्तान के इस ऐलान को कूटनीतिज्ञ विशेषज्ञ एक मजाक के रूप में मान रहे हैं. उनका कहना है कि पाकिस्तानी नेता चाहे कितनी भी डींगे हाक लें, लेकिन ऐसा करना उनके लिए संभव नहीं है. 

मालदीव को आर्थिक मदद का ऐलान

रिपोर्ट के मुताबिक पाकिस्तान के कार्यवाहक प्रधानमंत्री अनवर उल हक काकर ने शुक्रवार को मालदीव के राष्ट्रपति मोहम्मद मुइज्जू के साथ टेलीफोन पर बातचीत की. इस बातचीत में काकर ने मालदीव को जरूरी विकास योजनाओं को पूरा करने के लिए अपना समर्थन देने का आश्वासन दिया. मालदीव के राष्ट्रपति कार्यालय ने बयान जारी कर कहा, राष्ट्रपति मोहम्मद मुइज्जू के साथ टेलीफोन पर बातचीत के दौरान पाकिस्तान के कार्यवाहक प्रधान मंत्री अनवर-उल हक काकर ने दोनों देशों के बीच द्विपक्षीय संबंधों को मजबूत करने के तरीकों पर चर्चा की. इसके साथ ही मालदीव की तत्काल विकास जरूरतों को पूरा करने के लिए पाकिस्तानी सरकार के समर्थन का भी आश्वासन दिया गया.

पाकिस्तानी एक्टिंग पीएम ने मिलाया फोन

रिपोर्ट के मुताबिक काकर ने पाकिस्तान- मालदीव के बीच संबंध बढ़ाने और अंतरराष्ट्रीय क्षेत्र में सहयोग को गहरा करने के तरीकों पर भी बात की. इसके साथ ही दोनों नेताओं ने दोनों देशों की शीर्ष प्राथमिकताओं पर भी चर्चा की गई. बातचीत में पाकिस्तानी कार्यवाहक प्रधानमंत्री ने जलवायु परिवर्तन के प्रभावों को कम करने के मालदीव के प्रयासों को अपना समर्थन और सहायता देने का आश्वासन दिया.

वर्ष 1966 में स्थापित हुए थे राजनयिक संबंध

बताते चलें कि मालदीव ने 26 जुलाई, 1966 को पाकिस्तान के साथ राजनयिक संबंध स्थापित किए थे. उसके बाद से दोनों देशों के संबंध सामान्य रहे हैं. हालांकि भारत से अंधी दुश्मनी के चक्कर में पाकिस्तान ने चीन से दोस्ती गहरी कर ली और अब एक तरह से वह चीन की कॉलोनी बनकर रह गया है. वहीं मालदीव की पाकिस्तान और चीन के बजाय भारत से ज्यादा दोस्ती रही है. 

कट्टर इस्लामिक विचारधारा ने डुबोया मालदीव

मालदीव पर जब भी संकट आया, तब भारत उसके साथ एक भरोसेमंद दोस्त के रूप में खड़ा रहा है. हालांकि पिछले कुछ वर्षों में वहां पर कट्टर इस्लामिक विचारधारा का असर बढ़ा है और वहां का एक राजनीतिक खेमा भारत को नीचा दिखाने के लिए चीन के साथ अपनी पींगे बढ़ा रहा है. मालदीव में पिछले साल राष्ट्रपति का चुनाव जीतने वाले मोहम्मद मुइज्जू भी चीन परस्त माने जाते हैं. मालदीव में आमतौर पर परंपरा है कि निर्वाचित होने के बाद वहां के राष्ट्रपति पहली विदेश यात्रा भारत की करते हैं. 

भारत के खिलाफ आग उगल रहे मुइज्जू

लेकिन मुइज्जू ने जानबूझकर इस रवायत को तोड़ दिए. उन्होंने पहली विदेश यात्रा के लिए हजारों किमी दूर तुर्की को चुना और इसके बाद चीन पहुंच गए. वहां पर चीन ने मौका देखकर उन्हें भारत के खिलाफ खूब भड़काया. इसका असर मालदीव की नई सरकार पर तुरंत नजर आया और राजधानी माले पहुंचते ही मुइज्जू ने भारत के खिलाफ आग उगलनी शुरू कर दी. 

कहीं देश का न हो जाए बेड़ागर्क!

मुइज्जू ने कहा कि हम छोटे जरूर हैं लेकिन कोई हमें धमका नहीं सकता. इसके साथ ही उन्होंने अपने देश में बचाव कार्यों के लिए मौजूद भारतीय सेना के छोटे से दल को निकालने के लिए 15 मार्च की डेडलाइन भी तय कर दी. मुइज्जू के इन आग उगलने वाले बयानों के उलट भारत की प्रतिक्रिया अब तक शांत रही है और वह राजनयिक चैनलों के जरिए मालदीव को स्पष्ट संदेश दे चुका है कि आग से खेलने का अंजाम उसे ले डूबेगा.  

मुइज्जू की कुर्सी भी खतरे में 

भारत की इस दृढ लेकिन शांत प्रतिक्रिया का असर मालदीव पर साफ नजर भी आ रहा है. वहां का पर्यटन उद्योग डगमगाना शुरू हो गया है. भारत से दोस्ती खराब करने के बाद मालदीव सरकार अपने नागरिकों के इलाज के लिए नजदीकी पड़ोसी श्रीलंका के आगे गिड़गिड़ा रही है. यह हाल तब है, जब श्रीलंका सरकार खुद भारत की मदद पर निर्भर है. यही नहीं, अब मुइज्जू के खिलाफ महाभियोग लाने की तैयारी भी चल रही है. अगर ऐसा हुआ तो भारत विरोध के चक्कर में मुइज्जू की कुर्सी भी जा सकती है. 

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