China Population: चीन ने जनसंख्या में गिरावट को रोकने और दंपतियों को अधिक बच्चे पैदा करने के लिए प्रोत्साहित करने के उद्देश्य से कई नई नीतियों की घोषणा की है. इन नीतियों में बच्चा पैदा होने पर सब्सिडी देने और माता-पिता की कर देनदारी में कटौती शामिल है.
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China Population: चीन ने जनसंख्या में गिरावट को रोकने और दंपतियों को अधिक बच्चे पैदा करने के लिए प्रोत्साहित करने के उद्देश्य से कई नई नीतियों की घोषणा की है. इन नीतियों में बच्चा पैदा होने पर सब्सिडी देने और माता-पिता की कर देनदारी में कटौती शामिल है. सोमवार को चीन की केंद्रीय सरकार द्वारा जारी निर्देश में प्रसव सहायता सेवाएं बढ़ाने, बाल देखभाल व्यवस्था का विस्तार करने, शिक्षा, आवास और रोजगार में मदद देने जैसी 13 मुख्य योजनाओं की रूपरेखा दी गई है.
चीन में जन्म दर तेजी से गिर रही है, और इसके चलते पिछले साल चीन जनसंख्या के मामले में भारत से पिछड़ गया. सरकारी रिपोर्ट के अनुसार, नई नीतियों में जन्म पर सब्सिडी देने की व्यवस्था में सुधार और प्रसव से जुड़े व्यक्तिगत आयकर में राहत देने जैसे उपाय शामिल हैं. इन योजनाओं का उद्देश्य उन दंपतियों को समर्थन देना है जो अधिक बच्चे पैदा करना चाहते हैं.
इन नीतियों में मातृत्व बीमा का लाभ उन लोगों को भी दिया जाएगा जो लचीले रोजगार में हैं या प्रवासी मजदूर हैं. इसके साथ ही प्रसव पीड़ा को कम करने वाली सेवाओं और सहायक प्रजनन तकनीक सेवाओं को भी बीमा के तहत लाया जाएगा ताकि इन सेवाओं का लाभ अधिक से अधिक लोग ले सकें.
हालांकि, इन उपायों पर लोगों की मिली-जुली प्रतिक्रिया आई है. सोशल मीडिया पर एक व्यक्ति ने लिखा कि ये मदद ऐसी है जैसे "आप फरारी खरीद रहे हों और सरकार आपको सिर्फ 100 युआन का कूपन दे रही हो." इससे पता चलता है कि कई लोग इन नीतियों को पर्याप्त नहीं मानते हैं.
चीन में जनसंख्या का बड़ा हिस्सा अब तेजी से वृद्ध हो रहा है. देश की कुल जनसंख्या में से लगभग 14 प्रतिशत लोग 65 वर्ष से अधिक उम्र के हैं, और 2023 के अंत तक 60 वर्ष और उससे अधिक उम्र के लोगों की संख्या 30 करोड़ तक पहुंचने का अनुमान है. यह संख्या 2035 तक 40 करोड़ और 2050 तक 50 करोड़ तक पहुंच सकती है.
कम जन्म दर के कारण चीन में कई किंडरगार्टन स्कूल बंद हो रहे हैं, और उन्हें वृद्धाश्रम में बदला जा रहा है. दशकों तक एक बच्चा नीति लागू रहने से चीन अब गंभीर जनसांख्यिकी संकट का सामना कर रहा है, और यह संकट भविष्य में और भी गहराता जा रहा है.
(एजेंसी इनपुट के साथ)