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स्टाकहोम: तंजानियाई लेखक अब्दुलरजाक गुरनाह (Abdulrazak Gurnah) को वर्ष 2021 के साहित्य के नोबेल पुरस्कार के लिए चुना गया है. स्वीडिश एकेडमी ने कहा कि ‘उपनिवेशवाद के प्रभावों को बिना समझौता किये और करुणा के साथ समझने’ में उनके योगदान के लिए पुरस्कार प्रदान किया जा रहा है.
जांजीबार में 1948 में जन्मे गुरनाह 1968 में हिंद महासागरीय द्वीप में विद्रोह के बाद किशोर शरणार्थी के रूप में ब्रिटेन आ गये थे. इंग्लैंड में रहने वाले लेखक अब्दुलरजाक गुरनाह (Abdulrazak Gurnah) यूनिवर्सिटी ऑफ केंट में प्रोफेसर हैं. उनके उपन्यास ‘पैराडाइज’ को 1994 में बुकर पुरस्कार के लिए चयनित किया गया था. इस प्रतिष्ठित पुरस्कार के तहत एक गोल्ड मेडल और एक करोड़ स्वीडिश क्रोनर (लगभग 11.4 लाख डॉलर) की इनाम दी जाएगी.
World exclusive: Listen to our interview with 2021 literature laureate Abdulrazak Gurnah on the value that refugees can bring to a country. #NobelPrize pic.twitter.com/AkejPuzVjo
— The Nobel Prize (@NobelPrize) October 7, 2021
गुरनाह को स्वीडिश एकेडमी ने जिस समय पुरस्कार के लिए चुने जाने की सूचना के लिए फोन किया, वह दक्षिण पूर्व ब्रिटेन में अपने घर में रसोई में थे. शुरू में उन्होंने इस फोन कॉल को मजाकिया समझा. उन्होंने कहा कि वह पुरस्कार के लिए चुने जाने पर सम्मानित महसूस कर रहे हैं. गुरनाह ने कहा कि उन्होंने अपने लेखन में विस्थापन और प्रवासन के जिन विषयों को खंगाला, वे हर रोज सामने आते हैं. उन्होंने कहा कि वह 1960 के दशक में विस्थापित होकर ब्रिटेन आये थे और आज यह चीज पहले से ज्यादा दिखाई देती है.
गुरनाह ने कहा, ‘दुनियाभर में लोग मर रहे हैं, घायल हो रहे हैं. हमें इन मुद्दों से अत्यंत करुणा के साथ निपटना चाहिए.’ गुरनाह के उपन्यास ‘पैराडाइज’ को 1994 में बुकर पुरस्कार के लिए चयनित किया गया था. उन्होंने कुल 10 उपन्यास लिखे हैं. साहित्य के लिए नोबेल समिति के अध्यक्ष एंडर्स ओल्सन ने उन्हें ‘दुनिया के उत्तर-औपनिवेशिक काल के सर्व प्रतिष्ठित लेखकों में से एक’ बताया. पिछले साल साहित्य का नोबेल पुरस्कार अमेरिकी कवयित्री लुइस ग्लुक को दिया गया था.
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