यहां बार जाना नहीं मानी जाती बुरी बात! शराब की जगह परोसी जाती है ये ड्रिंक
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यहां बार जाना नहीं मानी जाती बुरी बात! शराब की जगह परोसी जाती है ये ड्रिंक

रवांडा की राजधानी किगाली में ऐसे मिल्क बार की भरमार हो गई है. यहां आकर लोग अपने परिवार, दोस्तों के साथ दूध के मग टकराते हैं और अपनी सेहत भी बनाते हैं. 

देश में बड़ी तादाद में खुले मिल्क बार

नई दिल्ली: समाज में शराब को स्वास्थ्य के लिए हानिकारक कहा जाता है बावजूद इसके लोग जमकर इसका सेवन करते हैं. यही नहीं सरकारों को भी शराब की बिक्री से राजस्व के जरिए करोड़ों की कमाई होती है. लेकिन अफ्रीकी देश रवांडा के बार में आजकल शराब और बीयर नहीं बल्कि दूध परोसा जा रहा है. यहां बड़े-बड़े बीयर मग में लोग दूध का लुत्फ उठाते मिल जाएंगे.

  1. देश में दूध सबसे पॉपुलर ड्रिंक
  2. हर घर में गाय पालने का चलन
  3. लगातार बढ़ी मिल्क बार की तादाद 

बार में शराब नहीं दूध मिल रहा

रवांडा की राजधानी किगाली में ऐसे मिल्क बार की भरमार हो गई है. यहां आकर लोग अपने परिवार, दोस्तों के साथ दूध के मग टकराते हैं और अपनी सेहत भी बनाते हैं. बार के जिन पिचर में पहले बीयर भरकर आती थी, अब वहां मिल्क मिल रहा है और ग्राहक पूरे मजे के साथ दूध का मजा लेते हैं. दूध पीना यहां एक तरह का चलन बन गया है और यही वजह है कि ऐसे बार खूब फल-फूल रहे हैं.

न्यूयॉर्क टाइम्स की खबर के मुताबिक दोपहर से लेकर शाम तक मिल्क बार में लोगों की भारी भीड़ रहती है और हर उम्र के लोग यहां आकर दूध पीते नजर आते हैं. बार में आए एक मोटर साइकिल टैक्सी ड्राइवर जीन बोस्को ने बताया कि उसे दूध बहुत पसंद है क्योंकि इससे न सिर्फ तनाव कम होता है बल्कि यह मन को शांति भी देता है.

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करीब 12 लाख की आबादी वाले देश रवांडा में दूध एक तरह का पॉपुलर ड्रिंक है और इसके जरिए लोग एक-दूसरे से जुड़ते हैं, उनके करीब आते हैं. साथ में बैठकर दूध पीने की वालों की तादाद काफी तेजी से बढ़ रही है और ऐसे मिल्क बार उन्हें एक तरह का प्लेटफॉर्म मुहैया करा रहे हैं. यहां आपको कुर्सी पर अपने परिवार और दोस्तों के साथ बैठे कई ऐसे लोग मिल जाएंगे जो बार में दूध का आनंद ले रहे हैं. 

इकोनॉमी के लिए गाय जरूरी

रवांडा में बीते एक दशक से ऐसे मिल्क बार आपको हर जगह दिख जाएंगे. यह देश की संस्कृति और इकोनॉमी से जुड़ा मुद्दा है क्योंकि दूध से लोगों का घर चलता है. गाय को लेकर भी यहां के लोगों के दिलों में विशेष स्थान है और गाय को संपन्नता के साथ-साथ प्रतिष्ठा की निशानी के तौर पर देखा जाता है. साल 1994 के नरसंहार में चरवाहे के पेशे से जुड़े लाखों लोगों ने अपनी जान गंवाई थी, इस त्रासदी से उबरने के बाद सरकार ने गाय को फिर से देश की अर्थव्यवस्था की नींव के तौर पर देखना शुरू किया और हर घर को सरकारी सहायता के जरिए एक गाय दी गई.

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स्थानीय सरकार की योजना को साल 2006 में राष्ट्रपति पॉल कागामे ने शुरू किया था और तब से लेकर करीब चार लाख गाय बांटी जा चुकी हैं. इस कार्यक्रम को आगे बढ़ाने के लिए सरकारी एजेंसियों के अलावा प्राइवेट कंपनी और बाकी देशों की मदद भी ली जा रही है. 

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