Russia War: प्लीज बचा लो... यूक्रेन बॉर्डर पर जबरन लड़ रहे 4 भारतीय, आखिर 'रूस आर्मी' में कैसे पहुंचे?
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Russia War: प्लीज बचा लो... यूक्रेन बॉर्डर पर जबरन लड़ रहे 4 भारतीय, आखिर 'रूस आर्मी' में कैसे पहुंचे?

Indians Forced to Fight Russia War: रूस और यूक्रेन के बीच लड़ाई अब भी जारी है. इस बीच, अच्छी कमाई के चक्कर में रूस पहुंचे चार युवा मुश्किल में फंस गए हैं. बताया जा रहा है कि उन्हें हेल्पर की नौकरी पर भेजा गया था लेकिन अब लड़ने के लिए यूक्रेन बॉर्डर पर भेज दिया गया है. 

Russia War: प्लीज बचा लो... यूक्रेन बॉर्डर पर जबरन लड़ रहे 4 भारतीय, आखिर 'रूस आर्मी' में कैसे पहुंचे?

Indians in Russia: यूक्रेन बॉर्डर पर फंसे चार भारतीय युवकों ने SOS भेजकर मदद की गुहार लगाई है. ये सभी फर्जी आर्मी जॉब रैकेट में फंसकर रूस चले गए थे. 22 साल का एक युवक तेलंगाना और तीन कर्नाटक के कलबुर्गी के रहने वाले हैं. तेलंगाना के नारायणपेट के मोहम्मद सूफियान ने अपने घरवालों को वीडियो संदेश भेजकर मदद मांगी है, 'प्लीज हमें बचा लीजिए.' TOI की रिपोर्ट के मुताबिक सेना की वर्दी में दिखाई दे रहे सूफियान ने बताया है कि उन्हें यूक्रेन के साथ चल रही रूस की लड़ाई में उनकी मर्जी के बगैर में लड़ने के लिए मजबूर किया जा रहा है. 

रूस में हेल्पर की नौकरी का ऑफर

सूफियान ने बताया कि उन्हें नौकरी देने वालों ने आर्मी सिक्योरिटी हेल्पर के तौर पर काम करने का ऑफर दिया था. उन्हें दिसंबर 2023 में रूस भेजा गया. चारों युवकों की एजेंटों से मुलाकात दुबई में हुई थी. मोटी सैलरी का वादा किया गया. नवंबर में भारत लौटने के बाद अगले महीने उन्हें रूस भेज दिया गया. उन्होंने चेन्नई से फ्लाइट पकड़ी थी. खास बात यह है कि उन्हें विजिटर वीजा पर ले जाया गया. 

2 लाख की सैलरी का लालच

ये चारों लड़के दुबई में 30,000 से 40,000 रुपये तक कमा रहे थे. एक सूत्र ने कहा कि उन्हें एजेंटों ने 2 लाख रुपये तक की सैलरी का वादा किया था. परिवार के एक सदस्य ने बताया कि सिक्योरिटी हेल्पर की नौकरी के बदले दुबई में ही एजेंटों ने हर युवक से 3.5 लाख रुपये लिए थे. बताया जा रहा है कि महाराष्ट्र के एक शख्स के बहकावे में आकर ये सभी रूस गए. 

वेगनर आर्मी क्या है?

परिवारवालों को शक है कि उन्हें शायद वेगनर ग्रुप में भर्ती कर लिया गया है. यह कथित तौर पर रूसी सरकार की फंडिंग पर काम करने वाली एक प्राइवेट आर्मी है, जो यूक्रेन में लड़ रही है. इन चार युवकों के अलावा भी करीब 60 युवकों के बारे में माना जाता है कि उन्हें बिना मर्जी के प्राइवेट आर्मी में भर्ती किया गया है. रूसी भाषा में लिखे गए कॉन्ट्रैक्ट लेटर में उनके हस्ताक्षर लिए गए होंगे. 

31 साल के सुलेमान ने टीओआई को बताया कि 15 दिन पहले जब मेरी अपने भाई सूफियान से बात हुई तो उसने बताया कि वे यूक्रेन बॉर्डर से महज 40 किमी की दूरी पर हैं. उन्हें उनकी इच्छा के बगैर भेजा गया है. सुलेमान ने कहा कि जब मेरे भाई को मौका मिला तो उसने एक रूसी सैनिक के मोबाइल फोन से मुझे मैसेज भेजा. उसने भारत वापस लाने के लिए मदद की गुहार लगाई है.

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