Japan Moon Mission: हमारे प्रज्ञान जैसा काम नहीं कर पाएगा जापानी 'चंद्रयान', विक्रम की तरह लैंडिंग सही लेकिन सोलर पॉवर गुल
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Japan Moon Mission: हमारे प्रज्ञान जैसा काम नहीं कर पाएगा जापानी 'चंद्रयान', विक्रम की तरह लैंडिंग सही लेकिन सोलर पॉवर गुल

Japan Moon Mission News: जापानी स्मार्ट लैंडर या एसएलआईएम, स्थानीय समय के अनुसार रात लगभग 12 बजकर 20 मिनट पर चांद की सतह पर उतरा. इसके साथ ही जापन चंद्रमा की सतह पर कदम रखने वाला पांचवां देश बन गया. 

Japan Moon Mission: हमारे प्रज्ञान जैसा काम नहीं कर पाएगा जापानी 'चंद्रयान', विक्रम की तरह लैंडिंग सही लेकिन सोलर पॉवर गुल

Japan Moon Mission vs Chandrayaan-3: जापान चंद्रमा पर पहुंचने वाला दुनिया का पांचवां देश बन गया. उसके बिना अंतरिक्ष यात्रियों वाले यान ने शनिवार तड़के चंद्रमा की सतह पर सफलतापूर्वक लैंडिंग की. हालांकि जापान की कामयाबी की तुलना पिछले साल भारत को चंद्रयान-3 मिशन में मिली सफलता से नहीं की जा सकती. बता दें चंद्रयान-3 ने चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर उतर कर इतिहास रच दिया था. भारत पहला देश था जो कि चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर उतरने में सफल रहा.

लैंडिंग खड़ी हुई बड़ी चुनौती
दरअसरल अंतरिक्ष यान के सोलर जनरेटर काम नहीं कर रहे हैं, और यह पूरी तरह से बैटरी से ऑपरेट हो रहा है. अगर इसे ठीक नहीं किया जा सका, तो कुछ ही घंटों में बैटरी पूरी तरह से खत्म हो जाएगी. जापान की अंतरिक्ष एजेंसी अब बैटरी खत्म होने से पहले सौर जनरेटरों को ठीक करने में लगी है.

जापान एयरोस्पेस एक्सप्लोरेशन एजेंसी (JAXA) के लिए राहत भरी बात यह रही कि याने के चंद्रमा पर उतरने के बाद उसने यान से सिग्नल मिलने लगे. बता दें  स्मार्ट लैंडर या एसएलआईएम, स्थानीय समय के अनुसार रात लगभग 12 बजकर 20 मिनट पर चांद की सतह पर उतरा.

वैज्ञानिकों को है यह उम्मीद
सीएनएन रिपोर्ट के मुताबिक टीम को ऐसी उम्मीद है कि जैसे ही चंद्रमा पर सोलर एंगल बदलेगा, सौर सेल फिर से चार्ज करने में सक्षम हो सकता है. हालांकि इसमें कुछ समय लग सकता है और यह इस पर निर्भर करेगा कि एसएलआईएम ठंडी चंद्र रात में जीवित रह सकता है या नहीं.

JAXA टीम सौर जनरेटरृ समस्या का कारण और लैंडर के लिए अगले कदम निर्धारित करने के लिए डाटा का विश्लेषण कर रही है. JAXA के अधिकारियों ने कहा कि सोलर जनरेटर की समस्या का कारण अंतरिक्ष यान का इच्छित दिशा में नहीं जाना हो सकता है.

जापान का मून मिशन कितना सफल?
एजेंसी का मानना है कि मिशन ने 'न्यूनतम सफलता' घोषित करने की शर्तों को पूरा किया है. क्योंकि अंतरिक्ष यान ने ऑप्टिकल नेविगेशन का इस्तेमाल करके चंद्रमा पर सटीक और नरम लैंडिंग की.  हालांकि लैंडिंग ऑपरेशन का स्कोर पूछा गया, तो JAXA के महानिदेशक डॉ. हितोशी कुनिनाका ने इसे '100 में से 60' अंक दिए, साथ ही भी कहा कि वह 'कठोर टिप्पणियां' करने के लिए जाने जाते हैं.

एपी के मुताबिक कुनिनका ने कहा, 'अंतरिक्ष वैज्ञानिकों का मानना है कि एसएलआईएम के छोटे रोवर्स को योजना के अनुसार लॉन्च किया गया था और डाटा वापस पृथ्वी पर भेजा जा रहा है.' लेकिन उन्होंन कहा कि एसएलआईएम की बैटरी काम नहीं कर रही.

चंद्रयान-3 से ऐसे पीछे रह गया जापान का मिशन
चंद्रयान-3 की सफल लॉन्चिंग के बाद भी इसके लैंडर विक्रम और रोवर ‘प्रज्ञान’ने बिल्कुल ठीक काम किया. पीटीआई-भाषा के मुताबिक पिछले साल 2 सितंबर को भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) ने जानकारी दी कि चंद्रयान-3 के रोवर ‘प्रज्ञान’ ने चंद्रमा की सतह पर अपना काम पूरा कर लिया है और अब यह निष्क्रिय (स्लीप मोड) अवस्था में चला गया है. इसरो के प्रमुख एस सोमनाथ ने कहा  कि चंद्रमा पर भेजे गए चंद्रयान-3 के रोवर और लैंडर ठीक से काम कर रहे हैं और चूंकि चंद्रमा पर अब रात हो जाएगी इसलिए इन्हें ‘निष्क्रिय’ किया जाएगा. 

गौरतलब है कि 23 अगस्त को शाम 18:03 पर चंद्रयान-3 चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर सफलतापूर्वक उतरा था. 

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