Ex-Indian Navy Veterans Released: कतर से पूर्व नौसैनिकों की रिहाई भारत की बड़ी कूटनीतिक जीत है. भारत सरकार ने सभी आठ भारतीयों की रिहाई पर खुशी जताई है और कहा है कि हम अपने नागरिकों की रिहाई के फैसले की सराहना करते हैं.
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Qatar Release Ex-Indian Navy Veterans: कतर में भारत सरकार को बड़ी कूटनीतिक जीत मिली है और कतर में फांसी की सजा पाने वाले आठ भारतीय रिहा हो गए हैं. विदेश मंत्रालय ने बताया कि आठ में से सात भारतीय वापस भारत लौट आए हैं. सभी पूर्व नौ सैनिक दोहा के अल दाहरा ग्लोबल टेक्नोलॉजिज में काम करते थे. यह निजी कंपनी कतर के सशस्त्र बलों और सुरक्षा एजेंसियों को प्रशिक्षण और अन्य सेवाएं प्रदान करती है. भारत सरकार ने सभी आठ भारतीयों की रिहाई पर खुशी जताई है. विदेश मंत्रालय ने बताया हम अपने नागरिकों की रिहाई और घर वापसी के लिए कतर के अमीर के फैसले की सराहना करते हैं.
कथित जासूसी के आरोप में सुनाई गई थी फांसी की सजा
अगस्त, 2022 में कथित जासूसी के आरोप में 8 पूर्व नौसौनिकों को कतर में गिरफ्तार किया गया था. सितंबर, 2023 में भारतीय दूतावास को इसकी सूचना मिली. 26 अक्टूबर 2023 को कतर की कोर्ट ने सभी को मौत की सजा सुनाई थी. कतर के इस फैसले से केंद्र सरकार भी हैरान थी. हालांकि, भारत सरकार के हस्तक्षेप के बाद वहां की अदालत ने सभी सैनिकों की सजा कम कर दी थी. सूत्रों के मुताबिक सभी पर पनडुब्बी परियोजना की कथित जासूसी करने का आरोप था, जिसके बाद सभी को जेल में बंद रखा गया था. कथित जासूसी के आरोप में 8 पूर्व नौसैनिकों को फांसी की सजा सुनाई गई थी.
इन 8 पूर्व भारतीय नौसैनिकों को मिली थी सजा
बता दें कि दोहा स्थित अल दहरा ग्लोबल टेक्नोलॉजीज के साथ काम करने वाले लोगों को अगस्त, 2022 में अरेस्ट किया गया था. इनमें पूर्णेंदु तिवारी, सुगुनाकर पकाला, अमित नागपाल और संजीव गुप्ता कमांडर शामिल हैं. वहीं नवतेज सिंह गिल, बीरेंद्र कुमार वर्मा और सौरभ वशिष्ठ कैप्टन हैं, जबकि आठवां शख्स रागेश गोपकुमार है. भारत ने सभी पूर्व सैनिकों को कानूनी सहायता भी प्रदान की थी. बहरहाल 8 पूर्व नौसैनिकों की रिहाई भारतीय के लिए एक बड़ी जीत है.
कैसे हैं कतर और भारत के रिश्ते?
भारत और कतर के रिश्ते काफी मजबूत हैं और भारत ने कई मौकों पर कतर की मदद के लिए हाथ बढ़ाया है. इसके अलावा, भारत पेट्रोलियम उत्पादों का आयात भी कतर से करता है. साल 2017 में भारत ने कतर की तब मदद की थी जब बहरीन, मिस्र, सऊदी अरब और संयुक्त अरब अमीरात जैसे खाड़ी देशों ने आतंकवाद को बढ़ावा देने का आरोप लगाकर उससे अपने राजनयिक संबंध खत्म कर लिए थे. इसके कारण आयात-निर्यात के लिए उसे सुदूर बंदरगाहों का इस्तेमाल करने पर मजबूर कतर गंभीर संकट से गुजर रहा था. तब वहां गंभीर खाद्य संकट को देखकर भारत सरकार ने भारत-कतर एक्सप्रेस सेवा नामक समुद्री आपूर्ति लाइन के जरिए कतर की मदद की थी. खाने-पीने के सामानों के लिए भी कतर भारत पर निर्भर है.