जाली पहचान पत्र, फर्जी वेबसाइट, इमिग्रेशन रैकेट... बांग्लादेशियों की कैसे होती थी भारत में एंट्री
Advertisement
trendingNow12574421

जाली पहचान पत्र, फर्जी वेबसाइट, इमिग्रेशन रैकेट... बांग्लादेशियों की कैसे होती थी भारत में एंट्री

Illegal Immigrants: आरोपियों ने फर्जी वेबसाइट के जरिए जाली आईडी का इस्तेमाल कर फर्जी आधार कार्ड, वोटर आईडी कार्ड और अन्य दस्तावेज बनाए. बांग्लादेश से दिल्ली में अवैध अप्रवासियों को लाने के लिए जंगल के रास्तों और एक्सप्रेस ट्रेनों का इस्तेमाल किया.

जाली पहचान पत्र, फर्जी वेबसाइट, इमिग्रेशन रैकेट... बांग्लादेशियों की कैसे होती थी भारत में एंट्री

Illegal Immigration Nexus in Delhi: दिल्ली पुलिस ने अवैध इमिग्रेंट्स के एक गिरोह का भंडाफोड़ किया है और 11 लोगों को गिरफ्तार किया है. इनमें फर्जी वेबसाइट के पीछे काम करने वाले दस्तावेज जालसाज, आधार ऑपरेटर और तकनीकी विशेषज्ञ शामिल हैं. आरोपियों ने फर्जी वेबसाइट के जरिए जाली आईडी का इस्तेमाल कर फर्जी आधार कार्ड, वोटर आईडी कार्ड और अन्य दस्तावेज बनाए. यह कार्रवाई दिल्ली के उपराज्यपाल सचिवालय द्वारा मुख्य सचिव और पुलिस प्रमुख को शहर में अवैध बांग्लादेशी प्रवासियों की पहचान करने और उनके खिलाफ सख्त कार्रवाई करने के लिए दो महीने का अभियान शुरू करने के निर्देश दिए जाने से पहले की गई है.

कैसे होती थी अवैध इमिग्रेंट्स की एंट्री?

बताया जा रहा है कि आरोपियों ने बांग्लादेश से दिल्ली में अवैध अप्रवासियों (Illegal Immigrants) को लाने के लिए जंगल के रास्तों और एक्सप्रेस ट्रेनों का इस्तेमाल किया. उन्होंने अवैध अप्रवासियों को फर्जी आधार कार्ड, अस्थायी सिम कार्ड और यात्रा खर्च के लिए नकद राशि मुहैया कराई. इस काम में फर्जी पहचान पत्र बनाकर आधार कार्ड और अन्य दस्तावेज तैयार करना शामिल था.

कैसे हुआ मामले का खुलासा?

टीओआई की रिपोर्ट के अनुसार, यह मामला तब प्रकाश में आया जब पुलिस ने संगम विहार थाना क्षेत्र में 21 अक्टूबर को हुई सेंटू शेख उर्फ ​​राजा की हत्या की जांच की. डीसीपी (दक्षिण) अंकित चौहान ने बताया, 'जांच के दौरान हमने चार बांग्लादेशियों को गिरफ्तार किया, जिन्होंने सेंटू की हत्या की बात स्वीकार की. लगातार पूछताछ के बाद हमें दिल्ली में चल रहे एक बड़े इमिग्रेशन रैकेट के बारे में जानकारी मिली.

गिरफ्तार बांग्लादेशियों की पहचान मिदुल मियां उर्फ ​​आकाश अहमद, फरदीन अहमद उर्फ ​​अभि अहमद और दो महिलाओं के रूप में हुई है, जो पुलिस हिरासत में हैं. डीसीपी (दक्षिण) अंकित चौहान ने बताया, 'पूछताछ में पता चला कि वे अवैध रूप से भारत में घुसे थे और संगम विहार में एक साल से अधिक समय से रह रहे थे. उन्होंने नकली भारतीय पहचान दस्तावेज हासिल किए थे. पूछताछ के दौरान, उन्होंने चिप-आधारित एनआईडी कार्ड और जन्म प्रमाण पत्र सहित अपने असली बांग्लादेशी पहचान दस्तावेज पेश किए.'

फिर अवैध इमिग्रेंट्स को लेकर एक्शन में आई पुलिस

इसके बाद पुलिस अवैध इमिग्रेंट्स को लेकर एक्शन में आ गई और पुलिस टीम ने अपना ध्यान अवैध अप्रवास को सुविधाजनक बनाने के लिए नकली भारतीय दस्तावेज बनाने वाले गिरोह पर केंद्रित कर दिया. मृतक के घर से पुलिस को 21 आधार कार्ड, 4 वोटर आईडी कार्ड और 8 पैन कार्ड मिले, जो सभी बांग्लादेशी नागरिकों के होने का संदेह है. इस खोज से पुलिस को दस्तावेज जालसाजों और तकनीकी विशेषज्ञों के एक विस्तृत नेटवर्क का पता चला.

हत्या के आरोपियों से मिली जानकारी के आधार पर पुलिस ने कई इलाकों में छापेमारी की, जिसके बाद तकनीकी टीम के साहिल सहगल, अफरोज, सोनू कुमार के अलावा मोहम्मद दानिश और सद्दाम हुसैन को गिरफ्तार किया, जो वित्तीय मामलों को संभालते थे. इसके अलावा पुलिस ने रंजीत नामक बिचौलिए को भी गिरफ्तार किया. जांच में पता चला कि आरोपियों ने रोहिणी के सेक्टर-5 में पूनम ऑनलाइन कंप्यूटर सेंटर के जरिए अपने आधार कार्ड बनवाए थे, जिसका मालिक सहगल है.

ऐसे चलता था अवैध अप्रवासियों का खेल

टीओआई की रिपोर्ट के अनुसार, दिल्ली के बवाना के रहने वाले अफरोज एक बैंक में अधिकृत आधार ऑपरेटर के रूप में काम करता था, जो फर्जी दस्तावेजों का उपयोग करके आधार कार्ड बनाता था. सोनू ने तकनीकी विशेषज्ञ के रूप में काम किया, जिसने Jantaprints.site नामक एक फर्जी वेबसाइट डेवलप की. इस साइट पर जन्म प्रमाण पत्र, मैट्रिकुलेशन प्रमाण पत्र, जाति प्रमाण पत्र, कोविड प्रमाण पत्र और आय प्रमाण पत्र सहित फर्जी दस्तावेज नाममात्र की कीमतों पर उपलब्ध थे.

एक वरिष्ठ पुलिस अधिकारी ने कहा कि फर्जी वेबसाइट को प्रामाणिक दिखने के लिए डिजाइन किया गया था, जिसमें एक हेल्पलाइन नंबर और प्रभावशाली आंकड़े शामिल थे, जिसमें 5000 से अधिक डाउनलोड, 1500 से अधिक रेटिंग, 300 से ज्यादा कमेंट्स और 10000 से ज्यादा शिकायतों का समाधान शामिल था. वेबसाइट ने संदिग्ध रूप से कम कीमतों पर नकली दस्तावेज पेश किए, जैसे कि 20 रुपये में जन्म प्रमाण पत्र और आधार कार्ड और 7 रुपये में ड्राइविंग लाइसेंस.

सोनू ने यूट्यूब पर फर्जी वेबसाइट बनाने का तरीका सीखा. उसने फर्जी आईडी दस्तावेज बनाने के लिए पोर्टलवाले डॉट कॉम और पोर्टलवाले डॉट ऑनलाइन भी बनाया था. वह नोएडा में एक साइबर कैफे चलाता है. एक वरिष्ठ पुलिस अधिकारी ने बताया, 'आरोपी ने एक सुव्यवस्थित प्रणाली बनाई थी. अवैध अप्रवासी जंगल के रास्ते भारत में प्रवेश करते थे, एसी ट्रेन से दिल्ली आते थे और वहां पहुंचने पर उन्हें फर्जी आधार कार्ड और सिम कार्ड दिए जाते थे.' वित्तीय सुराग के आधार पर मोहम्मद चांद और सद्दाम हुसैन को गिरफ्तार किया गया, जो पेटीएम क्यूआर कोड के जरिए भुगतान करते थे. पुलिस ने रंजीत को भी गिरफ्तार किया, जो कंप्यूटर सेंटर और आधार ऑपरेटर के बीच बिचौलिए का काम करता था.

Breaking News in Hindi और Latest News in Hindi सबसे पहले मिलेगी आपको सिर्फ Zee News Hindi पर. Hindi News और India News in Hindi के लिए जुड़े रहें हमारे साथ.

TAGS

Trending news