Chinese Economy: चीन में दुनिया कई बड़ी कंपनियों ने अपने कारखाने स्थापित कर रखे हैं. चीनी फैक्ट्रियों में निर्मित माल पूरी दुनिया में स्पलाई होता है. चीन कई देशों के साथ एक प्रमुख द्विपक्षीय व्यापार भागीदार है.
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China Economic Crisis: दुनिया का सुपर पॉवर बनने का सपना देखने वाले चीन को इस समय आर्थिक संकट पर बड़े संकट का सामना करना पड़ रहा है. दूनिया की दूसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था यदि मुश्किलों में घिरती है तो इसका असर पूरी दुनिया पर देखने को मिलेगा.
इसलिए जरूरी है दुनिया का चिंतित होना
चीन में दुनिया कई बड़ी कंपनियों ने अपने कारखाने स्थापित कर रखे हैं. चीनी फैक्ट्रियों में निर्मित माल पूरी दुनिया में स्पलाई होता है. इसके अलावा चीन दुनिया की सबसे बड़ी विनिर्माण अर्थव्यवस्था और वस्तुओं का निर्यातक है. इतना ही नहीं चीन धातुओं सहित कई प्रमुख वस्तुओं का दुनिया का सबसे बड़ा उपभोक्ता भी है. चीन कई देशों के साथ एक प्रमुख द्विपक्षीय व्यापार भागीदार है. साफ है अगर चीनी अर्थव्यवस्ता में उथल फुथल हुई तो दुनिया भी इस प्रभाव से बच नहीं पाएगी.
‘चीन का सफल वृद्धि मॉडर चरमराया’
अमेरिका के एक प्रमुख दैनिक समाचार पत्र ने रविवार को अपनी खबर में दावा किया कि चीन की अर्थव्यवस्था अब गहरे संकट में है और उसका 40 साल का सफल वृद्धि मॉडल चरमरा गया है.
‘वॉल स्ट्रीट जर्नल’ (डब्ल्यूएसजी) की खबर के मुताबिक अर्थशास्त्री अब मानते हैं कि चीन बहुत धीमी वृद्धि के युग में प्रवेश कर रहा है. प्रतिकूल जनसांख्यिकी , अमेरिका तथा उसके सहयोगियों के साथ बढ़ती दूरियों से स्थिति और खराब हो गई है, जो विदेशी निवेश व व्यापार को खतरे में डाल रहा है.
‘वॉल स्ट्रीट जर्नल’ ने कोलंबिया विश्वविद्यालय में इतिहास के प्रोफेसर व आर्थिक संकटों के विशेषज्ञ एडम टोजे के हवाले से कहा, ‘ हम आर्थिक इतिहास के सबसे नाटकीय बदलाव को देख रहे हैं.’
खबर में बैंक फॉर इंटरनेशनल सेटलमेंट्स के आंकड़ों के हवाले से कहा गया कि सरकार व राज्य के स्वामित्व वाली कंपनियों के विभिन्न स्तरों के कर्ज सहित कुल ऋण 2022 तक चीन के सकल घरेलू उत्पाद का करीब 300 प्रतिशत हो गया था, जो अमेरिकी स्तर को पार कर गया. यह 2012 में 200 प्रतिशत से भी कम था.
दूसरी ओर, चीन के राष्ट्रीय सांख्यिकी ब्यूरो (एनबीएस) ने जून में कहा था कि चीन का सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) 2023 की पहली छमाही (एच1) में सालाना आधार पर 5.5 प्रतिशत बढ़ा. पहली छमाही में चीन की जीडीपी 59,300 अरब युआन रहा.
चीन पहले भी आ चुका है ऐसा संकट
हालांकि इससे पहले दो बार ऐसा हुआ जब चीन की अर्थव्यवस्था संकट में आई है। साल 2008-09 के वैश्विक वित्तीय संकट के दौरान और साल 2015 में भी चीन को इसी तरह के झटके का सामना करना पड़ा लेकिन दोनों बार चीन ने तमाम अशांकाओं को गलत साबित कर दिया और उसकी अर्थयव्यस्था और मजबूत होकर उभरी.