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Al-Qaeda refocusing on Kashmir: वैश्विक आतंकवादी संगठन अलकायदा को लेकर बड़ी खबर आ रही है. दरअसल भारतीय उपमहाद्वीप में अल-कायदा (AQIS) की पत्रिका के नाम में बदलाव हुआ है. नाम में हुए इस बदलाव से कई बड़े संकेत मिल रहे हैं. दरअसल संयुक्त राष्ट्र संघ (UN) की एक रिपोर्ट के हवाले से अनुमान लगाया जा रहा है कि ये आतंकवादी संगठन अब अफगानिस्तान (Afghanistan) से एक बार फिर कश्मीर (Kashmir) की तरफ बढ़ने की फिराक में है.
अफगानिस्तान की शांति, स्थिरता एवं सुरक्षा के लिए खतरा पैदा करने वाले तालिबान और अन्य संबद्ध व्यक्तियों एवं संस्थाओं के संबंध में संकल्प 2611 (2021) के तहत ‘विश्लेषणात्मक सहायता और प्रतिबंध निगरानी दल’ की 13वीं रिपोर्ट हाल ही में दुनिया के सामने रखी गई है. इस रिपोर्ट में कहा गया है कि अल-कायदा के अधीनस्थ होने के कारण AQIS अफगानिस्तान में अधिक चर्चा में नहीं रहता, जहां उसके अधिकतर आतंकवादी मौजूद हैं. रिपोर्ट में साफ कहा गया है कि इस समूह के लड़ाकों में बांग्लादेश, भारत, म्यांमा और पाकिस्तान के नागरिक शामिल हैं. जो गजनी, हेलमंद, कांधार, निमरुज, पक्तिका और जाबुल प्रांत में सक्रिय हैं.
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रिपोर्ट के मुताबिक, AQIS का कांधार के शोराबक इलाके में अक्टूबर 2015 में अमेरिका और अफगानिस्तान द्वारा किए गए संयुक्त हमले से हुए नुकसान के कारण अब भी उसकी गिनती एक कमजोर संगठन के रूप में हो रही है. AQIS को फंड की कमी के कारण मजबूरी में कम आक्रामक रुख अपनाने के लिए मजबूर होना पड़ा है.
अफगानिस्तान में पिछले साल अगस्त में तालिबान के सत्ता में आने के नौ महीने बाद जारी इस रिपोर्ट में कहा गया है, ‘अफगानिस्तान की नई परिस्थितियां अल-कायदा की तरह एक्यूआईएस को भी खुद को फिर से खड़ा करने की इजाजत दे सकती हैं. एक्यूआईएस की पत्रिका का नाम 2020 में ‘नवा-ए-अफगान जिहाद’ से बदलकर ‘नवा-ए-गजवाह-ए हिंद’ किया जाना संकेत देता है कि AQIS अपना ध्यान एक बार फिर अफगानिस्तान से कश्मीर की ओर केंद्रित कर रहा है.’
रिपोर्ट के अनुसार, ‘पत्रिका ने अपने पाठकों को याद दिलाया है कि अप्रैल 2019 के दाएश श्रीलंका हमलों के बाद अल-जवाहिरी ने कश्मीर में ‘जिहाद’ का आह्वान किया था.’ रिपोर्ट में सदस्य देशों ने यह भी बताया है कि 2021 की दूसरी छमाही में अफगानिस्तान से नशीले पदार्थों की तस्करी के मामलों में वृद्धि हुई है.
रिपोर्ट के मुताबिक, ‘ऐसा माना जा रहा है कि आईएसआईएल-के और अलकायदा का भले ही कोई भी इरादा हो तथा तालिबान उन्हें रोकने के लिए कार्रवाई करे या नहीं, लेकिन दोनों ही संगठन 2023 से पहले अंतरराष्ट्रीय हमले करने में सक्षम नहीं हैं. हालांकि, अफगान भूमि पर उनकी और अन्य आतंकवादी संगठनों की मौजूदगी पड़ोसी देशों और व्यापक अंतरराष्ट्रीय समुदाय के लिए चिंता का विषय है.’
(भाषा इनपुट के साथ)
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