Self Driving Car: सेल्फ ड्राइविंग कार को मिली खास आंखें, पैदल चलने वालों को देखकर खुद लग जाएगा ब्रेक
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Self Driving Car: सेल्फ ड्राइविंग कार को मिली खास आंखें, पैदल चलने वालों को देखकर खुद लग जाएगा ब्रेक

New Technology: इस एक्सपेरिमेंट के तहत रिसर्चर्स ने जो आंखें कार में लगाईं हैं, वो दोनों आंखें बाएं-दाएं घूमती हैं. ताकि सड़क के अगल-बगल खड़े लोग उसे देखकर अलर्ट हो जाएं और हादसा न हो. यही नहीं अगर लोक नहीं रुकते तो कार खुद लोगों को देखकर रुक जाती है.

ट्रायल के दौरान कार में लगाई गईं आंखें

Research on Self Driving Car: ऑटोमोबाइल सेक्टर में आए दिन नई-नई टेक्नोलॉजी सामने आ रही है. इसमें कई टेक्नोलॉजी ऐसी होती हैं जो आपको हैरान करती हैं. इनमें से कुछ टेक्नोलॉजी पर कंपनियां काम करती हैं तो कुछ पर इंडिविजुअल. कई बार इंडिविजुअल एक्सपेरिमेंट भी सबका ध्यान खींचते हैं. ऐसा ही एक कमाल का जुगाड़ जापान के एक इंजीनियर ने किया है. उसके जुगाड़ के चर्चे इन दिनों खूब हो रहे हैं. दरअसल यह प्रयोग उसने एक सेल्फ ड्राइविंग कार (Self Driving Car) के साथ किया है. इसके तहत उसने कार में आंखें लगाईं हैं. ये दोनों आंखें बाएं-दाएं घूमती हैं. ताकि सड़क के अगल-बगल खड़े लोग उसे देखकर अलर्ट हो जाएं और हादसा न हो.

क्या है ये अनोखी टेक्निक

इस एक्सपेरिमेंट को करने वाले इंजीनियर्स ने बताया कि अगर कार की आंखें किसी भी तरफ नहीं देख रही हैं यानी कार पैदल चलने वाले यात्रियों को नहीं पहचान रही है. ऐसी स्थिति में पैदल चलने वालों को रोड क्रॉस करने से बचना चाहिए. अगर आप रोड क्रॉस करेंगे तो कार टक्कर मार सकती है. इस रिसर्च को अंजाम देने के लिए इंजीनियर्स ने गोल्फ बग्घी (Golf Buggy) को चुना. उसमें आगे की तरफ दो आंखें लगाईं गईं. ये आंखें बाएं-दाएं घूमती हैं. आंखों का कंट्रोल रिसर्चर के पास रखा गया है. लेकिन भविष्य में इसे सेल्फ ड्राइविंग कार का आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) कंट्रोल करे उस पर काम चल रहा है. टीम का कहना है कि भविष्य में कार में कार्टून जैसी आंखें कारों में लगाई जाएंगी. ये आंखें इंसानों को देखकर रुक जाएंगी या फिर इंसान इन कारों को देखकर रुक जाएगा.

इस तरह किया एक्सपेरिमेंट

इस एक्सपेरिमेंट को 9 पुरुष और 9 महिलाओं को लेकर किया गया. इन लोगों से कहा गया था कि जब आंखों वाली कार आए तो ये आपको तय करना है कि आप रोड पार करेंगे या नहीं. चार पस्थितियों में टीम ने एक्सपेरिमेंट शुरू किया. दो बार कार में आंखें लगाईं गईं, जबकि 2 में बिना आंखों के कार को चेक किया गया. इस दौरान पाया गया कि जब रोड क्रॉस करना सेफ था तब भी लोग डर कर रहे थे. जबकि आंखों वाली कार रुकी हुई थी. वहीं लोगों ने रोड तब पार किया जब रिस्क अधिक था.

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