धरती की तरफ तेजी से बढ़ रहा है 52 फीट का एस्टेरॉयड, NASA ने दी ये चेतावनी
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धरती की तरफ तेजी से बढ़ रहा है 52 फीट का एस्टेरॉयड, NASA ने दी ये चेतावनी

Asteroid News: यह एस्टेरॉयड 14,400 किलोमीटर प्रतिघंटा की रफ्तार से धरती की ओर आ रहा है. इसका साइज 52 फीट है. इससे पहले भी यह एस्टेरॉयड चार बार धरती के करीब से गुजर चुका है. 

प्रतीकात्मक फोटो

World News in Hindi: नासा ने पृथ्वी की तरफ बढ़ते एक एस्टेरॉयड को लेकर अलर्ट जारी किया है.  खास बात ये है कि 2019 से 2023 के बीच यह पांचवी बार धरती की ओर आ रहा है. एस्टेरॉयड 2020 PP1 नाम का यह एस्टेरॉयड अगले 48 घंटों में धरती के करीब पहुंचने वाला है.

यह एस्टेरॉयड 14,400 किलोमीटर प्रतिघंटा की रफ्तार से धरती की ओर आ रहा है. इसका साइज 52 फीट है. अगर यह नासा धरती एस्टेरॉयड धरती से टकराता है तो बड़ा नुकसान का कारण बन सकता है. लेकिन नासा ने अभी तक इसके धरती से टकराने को लेकर कोई सूचना नहीं दी है.

इससे पहले यह एस्टेरॉयड चार बार- 9 अगस्त 2019, 5 अगस्त 2020, 3 अगस्त 2021, 1 अगस्त 20232 को धरती के करीब से गुजर चुका है. नासा हर साल इस एस्टेरॉयड पर नजर रखती है. इस साल यह 29 जुलाई को धरती के करीब आएगा.

क्या होते हैं एस्टेरॉयड?
एस्टेरॉयड को हिंदी में उल्कापिंड या क्षुद्रग्रह भी कहते हैं. इन्हें किसी ग्रह या तारे का टूटा हुआ टुकड़ा माना जाता है. इनका आकार एक छोटे पत्थर लेकर बड़ी-बड़ी चट्टानों तक हो सकता है. कहते हैं सौरमंडल में लाखों एस्टेरॉयड घूम रहे हैं. 

एस्टरॉयड सूरज का चक्कर लगाते हैं और ऐसा करते हुए यह पृथ्वी के निकट आ जाते हैं. आकाश से कभी- कभी आपने जलती हुयी रोशनी के साथ एक गिरते हुए गोले जैसा दृश्य देखा होगा, ये उल्का होते है जब ये उल्का जलते हुए रूप में नीचे आकर पृथ्वी तक पहुंच जाते है तब इन्हे (उल्का पिण्ड) कहते है, और साधारण बोलचाल में 'टूटते हुए तारे' अथवा 'लूका' कहते हैं.

वैज्ञानिक दृष्टि से महत्वपूर्ण
वैज्ञानिक दृष्टि से इनका महत्त्व बहुत अधिक है क्योंकि एक तो ये अति दुर्लभ होते हैं, दूसरे आकाश में विचरते हुए विभिन्न ग्रहों इत्यादि के संगठन और संरचना (स्ट्रक्चर) के ज्ञान के प्रत्यक्ष स्रोत केवल ये पिंड ही हैं. इनके अध्ययन से हमें यह भी बोध होता है कि भूमंडलीय वातावरण में आकाश से आए हुए पदार्थ पर क्या-क्या प्रतिक्रियाएं होती हैं.

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