International AIDS Conference: असुरक्षित संबंध बनाने के बाद एंटीबायोटिक्स खाने से क्या होगा, सर्वे में हुआ खुलासा
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International AIDS Conference: असुरक्षित संबंध बनाने के बाद एंटीबायोटिक्स खाने से क्या होगा, सर्वे में हुआ खुलासा

Medical survey report: इसी तरह के एक शोध को 2017 में काम खत्म होने से पहले रोक दिया गया था. तब असुरक्षित संबंधों के लेकर छिड़ी एक बहस के चलते ऐसा करना पड़ा था. लेकिन पांच साल बाद अब ये बड़ा खुलासा हुआ है.

सांकेतिक तस्वीर

International AIDS conference Canada: हाल ही में कनाडा के मॉन्ट्रियल (Montreal) में आयोजित 24 वें अंतर्राष्ट्रीय एड्स सम्मेलन (International AIDS conference ) में पेश की गई एक रिपोर्ट में यह दावा किया गया है कि असुरक्षित यौन संबंध के बाद अगर डॉक्सीसाइक्लिन (Doxycycline) नामक एंटीबायोटिक लेने से तीन तरह की वायरस जनित यौन संचारित रोगों (STD) यानी बीमारियों के फैलने के खतरे को काफी हद तक कम हो जाता है. बताते चलें कि सिफलिस, गोनोरिया और क्लैमाइडिया की गिनती उच्च जोखिम वाली बीमारियों में होती है.

कम हुआ खतरा

आपको बताते चलें कि इन बीमारियों से संक्रमित होने पर मरीज को काफी समस्याओं का सामना करना पड़ता है. सर्वे में दावा किया गया कि इस खास एंटीबायोटिक ने कथित तौर पर इन Sexually transmitted disease का खतरा 60 प्रतिशत तक कम कर दिया. डॉक्सीसाइक्लिन का कारगर असर सिफलिस नाम की बीमारी से पीड़ित लोगों पर भी पड़ा. हालांकि इस शोध में निर्णायक परिणाम देने के लिए पर्याप्त केस मौजूद नहीं थे. ये अध्ययन 500 लोगों पर किया गया था, जिनमें ज्यादातर समलैंगिक पुरुष और ट्रांसजेंडर महिलाओं के साथ कई अन्य लोग भी थे. सर्वे में शामिल कुछ लोग ऐसे भी थे तो एचआईवी (HIV) एड्स से संक्रमित होने की वजह से इस मर्ज की दवाईयां पहले से खा रहे थे. इस दौरान एड्स पीड़ित और गैर एड्स पीड़ित दोनों वर्गों में नया संक्रमण फैलने की संभावना 62 से 66 फीसदी तक कम हो गई थी.

2017 में रोका गया था शोध

2017 में इसी तरह के एक अध्ययन को उस वक्त रोक दिया गया था जब असुरक्षित यौन संबंधों के मामले में एंटीबायोटिक दवाओं के सेवन को नैतिकता और अनैतिकता के दायरे में जोड़ कर देखा जा रहा था. उस समय पेरिस के सेंट-लुई हॉस्पिटल में संक्रामक रोगों के प्रमुख डॉ जीन-मिशेल मोलिना ने कहा था कि वो एसटीडी बीमारियों को रोकने के लिए लंबे समय तक एंटीबायोटिक दवाओं के उपयोग की इजाजत देने का कभी समर्थन नहीं करेंगे. गौरतलब है कि डॉक्टर जीन उस वक्त मेडिकल जर्नल लैंसेट में प्रकाशित रिसर्च की रिपोर्ट के प्रमुख लेखकों में से एक थे.

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