Chhattigarh Chunav: बघेल की राह में बाधा ! BJP के साथ-साथ इस नई पार्टी ने दी टेंशन
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Chhattigarh Chunav: बघेल की राह में बाधा ! BJP के साथ-साथ इस नई पार्टी ने दी टेंशन

छत्तीसगढ़ विधानसभा चुनाव में हमर राज पार्टी की एंट्री के बाद से कांग्रेस की गणित गड़बड़ा सकती है. सात नवंबर को आदिवासी बहुल इलाकों में चुनाव होने जा रहा है. यह दल खासतौर से कांग्रेस पर निशाना साध रहा है कि क्या पार्टी के पास सीएम पद के लिए कोई आदिवासी चेहरा नहीं है.

Chhattigarh Chunav: बघेल की राह में बाधा ! BJP के साथ-साथ इस नई पार्टी ने दी टेंशन

Chhattisgarh Elections 2023: छत्तीसगढ़ के मौजूदा सीएम भूपेश बघेल का दावा है कि कांग्रेस एक बार फिर सरकार बनाने जा रही है. अपने दावे के समर्थन में वो अपनी सरकार की कामयाबी का बखान कर रहे हैं. लेकिन जमीन पर क्या सब कुछ वही हो रहा है जैसा कि वो सोच रहे हैं. वैसे तो सियासी दल अंतिम समय तक अपनी जीत के दावे करते हैं. हालांकि उनका सुर तब बदल जाता है कि जब नतीजों का औपचारिक तौर पर ऐलान हो जाता है. यहां हम बताएंगे कि भूपेश बघेल का दावा गलत भी साबित हो सकता है. दरअसल पहले चरण में जिन सीटों पर चुनाव होने जा रहा है वो आदिवासी बहुल इलाके हैं, इन इलाकों में हमर राज पार्टी लोगों से पूछ रही है कि आदिवासी समाज से कोई सीएम क्यों नहीं बन सका. कांग्रेस पार्टी कहा करती थी कि उसके लिए यह समाज वंदनीय है, लेकिन क्या वो वंदना कागजों तक सीमित रहेगी. हमर राज पार्टी के खुला विरोध के बाद कांग्रेस के लिए मुश्किल इस लिए बढ़ गई है क्योंकि इस समय सूबे में कांग्रेस की ही सरकार है.

सात नवंबर को पहले चरण का मतदान

छत्तीसगढ़ विधानसभा की सभी 90 सीटों के लिए चुनाव दो चरणों में होना है. पहले चरण का चुनाव सात नवंबर को होगा. इस चरण में आदिवासी बहुल इलाकों में मतदान होना है जिस पर हर किसी की नजर है. दरअसल 2018 के चुनाव से पहले बस्तर के इलाके में कांग्रेस और बीजेपी के बीच ही सीधी टक्कर होती थी. लेकिन अब हमर राज पार्टी के चुनावी मैदान में आने की वजह से मुकाबला दिलचस्प हो गया है. छत्तीसगढ़ की राजनीति पर करीब से नजर रखने वाले जानकारों का कहना है कि हमर राज पार्टी वैसे तो कोई खास करिश्मा करे उसकी उम्मीद कम है. लेकिन अगर यह पार्टी पांच से 10 हजार वोट पाने में कामयाब होती है तो कांग्रेस या बीजेपी दोनों का खेल खराब हो सकता है.

क्या कहते हैं जानकार

जानकारों का कहना है कि कांग्रेस के लिए मुश्किल कुछ अधिक है. यहां सवाल यह कि हमर राज पार्टी की वजह से कांग्रेस को ही नुकसान होने की संभावना क्यों अधिक है. दरअसल बस्तर के इलाके में पिछले विधानसभा चुनाव यानी 2018 के चुनाव में कांग्रेस को जबरदस्त सफलता मिली थी. अब सूबे में कांग्रेस की ही सरकार है तो हमर राज पार्टी के निशाने पर सबसे अधिक कांग्रेस ही है. हमर राज पार्टी का दावा है कि 2018 के चुनाव में उनका असर ही था कि बीजेपी सत्ता से बाहर हो गई. अब हमारा मकसद किसी को हराने का नहीं है बल्कि जीतने का है. लिहाजा आदिवासी समाज को हम समझाने की कोशिश कर रहे हैं कि सूबे को एक ऐसे चेहरे की जरूरत है जो आपके समाज यानी आदिवासी समाज से हो. हमर राज पार्टी की यह अपील जमीन पर नजर भी आ रही है, हालांकि ईवीएम में उस भाव को यह पार्टी किस हद तर कंवर्ट कराने में कामयाब होगी यह देखने वाली बात होगी.

अगर आप छत्तीसगढ़ को देखें तो आदिवासी बहुल राज्य का मुखिया आदिवासी समाज से नहीं हैं, अगर बात डॉ रमन सिंह की करें या मौजूदा सीएम भूपेश बघेल की करें दोनों का इस समाज से वास्ता नहीं है. हमर राज पार्टी के नेता इसी बात को प्रमाण के साथ पेश कर रहे हैं कि ये दोनों दल आदिवासी समाज के हितों की दुहाई तो देते हैं लेकिन जब सत्ता सौंपने का मौका आता है तो इनके लिए आदिवासी का महत्व नहीं रह जाता है, ऐसी सूरत में आपका भला तभी होगा जब आपके बीच से कोई राज्य की सबसे बड़ी कुर्सी पर बैठे.

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