ज्यादा ऑनलाइन रहने से नींद में खलल पड़ सकता है, खाने की आदतें बदल सकती हैं और दिमाग के उन हिस्सों को भी नुकसान पहुंच सकता है जो जरूरी कामों जैसे फैसले लेने में मदद करते हैं. ये सारे बदलाव खासतौर पर बच्चों और किशोरों के दिमाग में ज्यादा तेजी से होते हैं.
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इंटरनेट की लत कोई नई बात नहीं है, और हम जानते हैं कि घंटों ऑनलाइन रहना शरीर के लिए बिल्कुल भी अच्छा नहीं है. इंटरनेट हमारे सोचने की प्रक्रिया को प्रभावित करता है, स्क्रीन हमारी आंखों को खराब करती है. लेकिन हाल ही में एक अध्ययन से पता चला है कि इंटरनेट की लत का दिमाग पर और भी गहरा असर होता है, यह सीधे हमारे दिमाग की कोशिकाओं को बदल देता है. इतना ही नहीं, ज्यादा ऑनलाइन रहने से नींद में खलल पड़ सकता है, खाने की आदतें बदल सकती हैं और दिमाग के उन हिस्सों को भी नुकसान पहुंच सकता है जो जरूरी कामों जैसे फैसले लेने में मदद करते हैं. ये सारे बदलाव खासतौर पर बच्चों और किशोरों के दिमाग में ज्यादा तेजी से होते हैं.
इंटरनेट की लत खतरनाक
हाल ही में पीएलओएस मेंटल हेल्थ नाम की एक पत्रिका में प्रकाशित एक अध्ययन, जिसकी रिपोर्ट द गार्डियन ने की थी, उसमें बताता है कि इंटरनेट की लत दिमाग के कई न्यूरल नेटवर्क को काफी प्रभावित करती है. इस अध्ययन का उद्देश्य यह पता लगाना था कि कैसे इंटरनेट की लत युवा लोगों में मस्तिष्क के केमिकल्स को प्रभावित करती है, जिससे ऐसे बदलाव होते हैं जो और ज्यादा आदत लगने वाले व्यवहार को बढ़ावा दे सकते हैं. यह शोध 2013 से 2023 के बीच किए गए 12 पिछले स्टडी के आंकड़ों का सिंथेसिस करता है, जिसमें 10 से 19 साल के 237 किशोर शामिल थे, जिन्हें औपचारिक रूप से इंटरनेट की लत का पता चला था. फंक्शनल मेग्नेटिक रेसोनेंस इमेजिंग (fMRI) का उपयोग करके, शोधकर्ताओं ने जांच की कि इंटरनेट की लत वाले व्यक्तियों में मस्तिष्क के विभिन्न क्षेत्र कैसे एक्शन करते हैं.
स्टडी में हुआ ये खुलासा
स्टडी में पाया गया कि जिन लोगों ने बहुत ज्यादा समय ऑनलाइन बिताया, उनके दिमाग के कुछ खास हिस्सों में आराम करने के दौरान भी ज्यादा हलचल देखी गई. उल्टा, दिमाग का वो हिस्सा जो सोचने, याद रखने और फैसले लेने का काम करता है, उसमें कम तालमेल पाया गया.
हो सकती हैं ये दिक्कतें
स्टडी के मुताबिक, दिमाग में हुए इन बदलावों का नाता किशोरों में कई तरह की चीजों की लत से जुड़ा हुआ पाया गया, मसलन किसी भी चीज के पीछे पड़ जाना. साथ ही, ये बदलाव दिमागी सेहत, विकास, सीखने की शक्ति और शरीर के संतुलन को भी प्रभावित कर सकते हैं. रिसर्च करने वालों का कहना है कि दिमाग के केमिलस में लोगों से मिलने-जुलने और रोजमर्रा के कामों, जैसे खाने-पीने और सोने में भी दिक्कतें पैदा कर सकते हैं.
स्टडी के लीड ऑथर और यूनिवर्सिटी कॉलेज लंदन के ग्रेट ऑरमंड स्ट्रीट इंस्टीट्यूट ऑफ चाइल्ड हेल्थ में मास्टर्स के छात्र मैक्स चांग ने भी इंटरनेट की लत को रोकने के लिए माता-पिता की शिक्षा की ज़रूरत बताई. उनका कहना है कि पढ़े-लिखे माता-पिता अपने बच्चों के स्क्रीन टाइम, जल्दबाजी और इंटरनेट की लत से जुड़े अन्य खतरों को बेहतर तरीके से संभाल सकते हैं.