Deflation in China: पाकिस्तान के मददगार चीन की डगमगाई नैया, मंडराया अब तक का सबसे बड़ा खतरा
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Deflation in China: पाकिस्तान के मददगार चीन की डगमगाई नैया, मंडराया अब तक का सबसे बड़ा खतरा

China slips into deflation: एक रिसर्च नोट में कहा गया है कि चीन के हालात चिंताजनक हैं, जिनके सबूत चीन में व्यापक आर्थिक मंदी की धारणा का समर्थन करते हैं. चीन की अर्थव्यवस्था डिफ्लेशन की ओर फिसल गई है क्योंकि जुलाई में दो साल से अधिक समय में पहली बार उपभोक्ता कीमतों में गिरावट आई है.

 

Deflation in China: पाकिस्तान के मददगार चीन की डगमगाई नैया, मंडराया अब तक का सबसे बड़ा खतरा

Deflation in China : चीन की अर्थव्यवस्था को कई हजार वोल्ट का तगड़ा झटका लगा है. कर्ज के जाल में गरीब देशों को फंसाकर उनकी जमीन हड़पने के चक्कर में बीजिंग की अर्थव्यवस्था की लुटिया कब डूबने के कगार पर आ गई उसे पता तक नहीं चला. वैश्विक अर्थव्यवस्था के जानकारों का कहना है कि चीन की इकोनॉमी पर डिफ्लेशन का खतरा मंडराने लगा है. जिसका असर पूरी दुनिया पर पड़ सकता है.

डांवाडोल हो रही अर्थव्यवस्था

चीन से आए आंकड़ों के मुताबिक वहां महंगाई में आई गिरावट के बाद जहां आम लोगों को राहत मिली है, वहीं दूसरी ओर नया संकट खड़ा हो गया है. चीन में जुलाई में कंज्यूमर प्राइस इंडेक्स (CPI) और प्रोड्यूसर प्राइस इंडेक्स (PPI) में बड़ी गिरावट आई है. इसके बाद 'डिफ्लेशन' का खतरा बढ़ गया है. जुलाई में चीन में कंज्यूमर प्राइस इंडेक्स में पिछले साल के मुकाबले 0.3 फीसदी की बड़ी गिरावट दर्ज की गई है. डिफ्लेशन के खतरे के बीच चीन में पोर्क की कीमतों में 26% की गिरावट तो सब्जियों की कीमतों में 1.5 प्रतिशत की गिरावट आई है. बहुत सारे उत्पाद सस्ते हुए हैं. चीन का उत्पादक मूल्य सूचकांक (PPI) जो फैक्ट्री गेट पर माल की कीमतों को मापता है, वो जुलाई में एक साल पहले की तुलना में 4.4 प्रतिशत कम हो गया.

क्या होता है डिफ्लेशन?

डिफ्लेशन से मतलब है वस्तुओं और सेवाओं की कीमतों में एक सामान्य गिरावट, जो आमतौर पर अर्थव्यवस्था में धन और ऋण की आपूर्ति में संकुचन से जुड़ी होती है. सामान्य भाषा मे महंगाई में तेजी से गिरावट को 'डिफ्लेशन' कहते हैं. महंगाई में कमी होने के बाद ग्राहक सस्ते में कोई चीज खरीद सकते है, लेकिन इससे बिजनेस पर बहुत बुरा असर पड़ता है और कंपनियों का प्रॉफिट मार्जिन कम हो जाता है. 'डिफ्लेशन' का मुख्य कारण होता है मार्केट में प्रोडक्ट्स की ज्यादा मात्रा और खरीदारों की संख्या कम होना होता है. ऐसे सप्लाई और मांग में अंतर होने के कारण 'डिफ्लेशन' की स्थिति पैदा होती है.

दुनिया पर पड़ेगा कोई असर?

ब्लूमबर्ग से लेकर सीएनएन की रिपोर्ट में चीन की हालत पर चिंता जताई गई है. चीन एक बड़ा बाजार है. चीन पर अगर कोई बड़ा संकट आता है तो उसका कितना असर बाकी दुनिया पर पड़ेगा या नहीं पड़ेगा इस पर फिलहाल कुछ कह पाना मुश्किल है. इस बीच एक रिसर्च नोट में आईएनजी समूह के विश्लेषकों के हवाले से कहा गया है कि संयुक्त उपभोक्ता और उत्पादक मूल्य अपस्फीति के साक्ष्य निस्संदेह चीन में व्यापक आर्थिक मंदी की धारणा का समर्थन करते हैं. लंबे समय से चीन के प्रॉपर्टी मार्केट में मंदी का माहौल है. एजुकेशन समेत कई सेक्टर बेहाल हैं. चीन के मुश्किल वक्त में बाकी दुनिया भारत की ओर अपने कदम बढ़ा सकती है.

 

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