Goodbye 2022, Boxing : साल 2022 में भारकतीय मुक्केबाजों में कई टूर्नामेंट में झंडे गाड़े लेकिन कुछ असफलता भी मिली. निकहत जरीन 'रिंग की रानी' बनीं तो वहीं छह बार की विश्व चैंपियन मेरीकॉम को CWG में अपने खिताब का बचाव करने का मौका भी नहीं मिल पाया.
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Indian Boxing in Year 2022: साल 2022 अब अपने अंतिम पड़ाव पर है. इस साल भारत ने खेल में कई बड़े मुकाम हासिल किए. मुक्केबाजी में भी झंडे गाड़े जिससे इस साल ऐतिहासिक सफलता भी भारतीय खिलाड़ियों को मिली. इसी साल देश को निकहत जरीन के रूप में नई स्टार मिली. वहीं, दिग्गज बॉक्सर और कई बार की वर्ल्ड चैंपियन एमसी मैरीकॉम को बॉक्सिंग रिंग में निराशा हाथ लगी.
फ्लाईवेट में चमकीं निकहत
भारत को इस साल बॉक्सिंग रिंग में अच्छी सफलता मिली. उसे अगले साल होने वाली महिला वर्ल्ड चैंपियनशिप की मेजबानी भी मिली. इस बीच वैश्विक स्तर पर इस खेल की ओलंपिक में मौजूदगी पर आशंका के बादल छाए रहे. कई साल तक मैरीकॉम के साए में बिताने के बाद निकहत को जब मौका मिला तो उन्होंने दमखम दिखाया. निकहत ने उसी फ्लाईवेट वर्ग में अपना जलवा दिखाया, जिसमें छह बार की विश्व चैंपियन मैरीकॉम का दबदबा रहा था.
गोल्ड मेडल की हैट्रिक
निकहत ने साल 2022 में स्वर्ण पदकों की हैट्रिक लगाई. वह प्रतिष्ठित स्ट्रैंड्जा मेमोरियल टूर्नामेंट में दूसरा स्वर्ण पदक जीतने वाली पहली भारतीय खिलाड़ी बनीं. इसके बाद उन्होंने मैरीकॉम के पदचिन्हों पर चलते हुए वर्ल्ड चैंपियनशिप में खिताब जीता. यह पिछले चार वर्षों में किसी भारतीय का पहला खिताब था. यह 26 वर्षीय मुक्केबाज कॉमनवेल्थ गेम्स में खिताब की प्रबल दावेदार के रूप में उतरीं और 50 किग्रा भार वर्ग में स्वर्ण पदक जीतकर निराश भी नहीं किया. निकहत जहां रिंग की रानी बनकर सामने आईं, वहीं दिग्गज मैरीकॉम के लिए यह वर्ष अच्छा नहीं रहा. उन्होंने बर्मिंघम में कॉमनवेल्थ गेम्स पर ध्यान देने के लिए विश्व चैंपियनशिप और स्थगित किए गए एशियाई खेलों से हटने का फैसला किया था.
मैरीकॉम को लगी चोट
लंदन ओलंपिक की ब्रॉन्ज मेडलिस्ट और छह बार की विश्व चैंपियन मेरीकॉम ट्रायल्स में नीतू घंघास के खिलाफ मुकाबले के दौरान चोटिल हो गईं. उन्हें राष्ट्रमंडल खेलों में अपने खिताब का बचाव करने का मौका भी नहीं मिल पाया. एशियन गेम्स अब अगले वर्ष सितंबर में होने हैं और यदि 40 साल की मैरीकॉम फिट रहती हैं तो यह उनका आखिरी टूर्नामेंट हो सकता है.
अमित और शिव चमके
पुरुष मुक्केबाजों ने अमित पंघाल पिछले साल टोक्यो ओलंपिक में पदक के प्रबल दावेदार थे लेकिन शुरू में ही इस टूर्नामेंट से बाहर हो गए. रोहतक के इस मुक्केबाज ने कॉमनवेल्थ गेम्स में गोल्ड जीतकर शानदार वापसी की. अनुभवी शिव थापा ने भी एशियन चैंपियनशिप में अपना छठा पदक जीतकर इतिहास रचा. फाइनल में हालांकि चोटिल होने के कारण उन्हें मुकाबले के बीच में से हटकर रजत पदक से संतोष करना पड़ा था. टोक्यो ओलंपिक में कांस्य पदक जीतकर सुर्खियां बटोरने वाली लवलीना बोरगोहेन इस साल कुछ खास प्रदर्शन नहीं कर पाईं. उन्होंने कॉमनवेल्थ गेम्स से पहले अपनी निजी कोच संध्या गुरंग को ‘एक्रीडेशन’ नहीं मिलने का मुद्दा उठाया. यह मामला सुलझने के बाद हालांकि वह क्वार्टर फाइनल से आगे नहीं बढ़ पाईं.
ओलंपिक में बॉक्सिंग के भविष्य पर सवाल
25 साल की लवलीना ने CWG की निराशा को भुलाकर एशियन चैंपियनशिप में 75 किग्रा भार वर्ग में स्वर्ण पदक जीता. लवलीना इससे पहले 69 किग्रा भार वर्ग में हिस्सा लेती थीं लेकिन इसे ओलंपिक से हटा दिया गया है. ओलंपिक में मुक्केबाजी के भविष्य को लेकर भी वर्ष 2022 में अटकलें लगाई जाती रहीं. संचालन संबंधी कई मामलों के कारण लॉस एंजेलिस में 2028 में होने वाले ओलंपिक गेम्स के शुरुआती खेलों से मुक्केबाजी को हटा दिया गया है. अंतरराष्ट्रीय मुक्केबाजी संघ इस खेल को ओलंपिक में वापसी दिलाने के लिए कोशिशों में जुटा है लेकिन अंतरराष्ट्रीय ओलंपिक समिति (IOC) ने अब भी उमर क्रेमलेव की अगुआई वाले वर्तमान संघ के कार्यों को लेकर चिंता जताई है. (Input: भाषा)
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