जब सचिन के लिए BCCI ने अजहर को लगाई डांट, ये घटना पहले कभी नहीं आई सामने
Advertisement

जब सचिन के लिए BCCI ने अजहर को लगाई डांट, ये घटना पहले कभी नहीं आई सामने

टीम इंडिया के पूर्व कप्तान मोहम्मद अजहरुद्दीन ने सचिन तेंदुलकर से पहली बार ओपनिंग कराने के फैसले के बारे में भी बताया.

एक मैच के दौरान मोहम्मद अजहरुद्दीन और सचिन तेंदुलकर.

नई दिल्ली: मास्टर ब्लास्टर सचिन तेंदुलकर (Sachin Tendulkar) की प्रतिभा पर तो शायद ही किसी को शक रहा हो, लेकिन अपने करियर की शुरुआत में मध्य क्रम में खेलने वाले सचिन को क्रिकेट का भगवान जैसा तमगा हासिल करने का मौका ओपनिंग चालू करने के बाद ही मिल पाया. यही वो बल्लेबाजी क्रम था, जिसकी बदौलत उन्हें विकेट पर ज्यादा से ज्यादा समय बिताकर वनडे क्रिकेट में 49 शतक ठोकने और 18 हजार से ज्यादा रन बनाने का मौका मिल पाया.

  1. सचिन तेंदुलकर ने 1994 में अचानक की थी ओपनिंग
  2. नवजोत सिद्धू के चोट लगने पर मिला था उन्हें मौका
  3. बाद में दुनिया के सबसे सफल ओपनर बने थे सचिन

यह भी पढ़ें- विराट कोहली के मुरीद हैं केन विलियमसन, तारीफ में कही ये बात

ओपनर सचिन की सफलता का अंदाजा इससे लग सकता है कि उनके करियर के पहले 4 साल में महज 4 शतक उन्होंने बनाए थे तो अगले 4 साल में उनके खाते में 12 शतक जुड़ चुके थे. उनका जलवा इस क्रम पर ऐसा हो गया था कि एक बार उनके कप्तान मोहम्मद अजहरुद्दीन (Mohammad Azharuddin) को उन्हें इस क्रम पर ही बनाए रखने की कोशिश करने पर भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड (BCCI) की डांट भी खानी पड़ी थी. 

बांग्लादेश से मैच का था मामला
अजहर ने एक खेल वेबसाइट के साथ फेसबुक लाइव में बात करते हुए बताया कि ये बांग्लादेश से मैच के दौरान की बात थी. उन्होंने कहा, '1998 में टीम इंडिया को बांग्लादेश के खिलाफ मैच खेलना था. चयनकर्ता ओपनिंग के लिए कुछ एक्सपेरिमेंट करना चाहते थे. उन्होंने मुझे सचिन को नंबर 4 पर बल्लेबाजी कराने के लिए कहा. सचिन ने चौथे नंबर पर बैटिंग करते हुए करीब 80 रन बनाए. लेकिन मुझे लगा कि सचिन ओपनिंग में ही ठीक हैं. इसलिए मैंने उनसे दोबारा ओपनिंग चालू करा दी. इसके लिए भारत लौटने के बाद मुझे बीसीसीआई की तरफ से डांट पिलाई गई थी.'

वाडेकर की रजामंदी से किया था सचिन से ओपनिंग का प्रयोग
अजहर ने सचिन के पहली बार ओपनिंग के लिए जाने के पीछे की भी कहानी बताई. उन्होंने कहा, 'ये मेरे करियर का  सबसे बोल्ड फैसला था. मुझे लग रहा था कि सचिन मध्यक्रम में अपनी प्रतिभा पर्याप्त नहीं दिखा पा रहे. नंबर 4 या 5 पर आने पर वे आक्रामक तरीके से खेलते थे, लेकिन फील्डिंग के प्रतिबंध नहीं होने के कारण 30-40 रन में उनकी पारी खत्म हो जाती थी. 'अजहर ने कहा, 'मुझे लग रहा था कि उसके लिए ओपनिंग की पोजिशन ज्यादा बेहतर है. इसी बीच न्यूजीलैंड दौरे पर नवजोत सिंह सिद्धू चोटिल हो गए. इसके बाद मैंने सचिन से ओपनिंग की शुरुआत कराने का फैसला किया और टीम मैनेजर अजीत वाडेकर को बताया तो उन्होंने भी रजामंदी जता दी. इसका हमें फायदा भी हुआ.'

सचिन सुनते ही हो गए थे खुशी से पागल
अजहर ने यब भी बताया कि इस फैसले पर सचिन की पहली प्रतिक्रिया क्या थी. उन्होंने कहा, 'जब उनसे पूछा गया तो वे खुशी से पागल जैसे हो गए थे. उन्होंने कहा कि मैं हमेशा से पारी की शुरुआत करना चाहता था.' अजहर ने कहा कि सचिन के पास प्रतिभा थी, जिसे मैंने केवल सहयोग दिया और बाकी काम उन्होंने खुद कर लिया. आप कभी भी प्रतिभा को दबाकर नहीं रख सकते.

पहली बार ओपनिंग में ही कर दिया था धमाका
सचिन तेंदुलकर को पहली बार ओपनिंग करने का मौका 27 मार्च 1994 को न्यूजीलैंड दौरे पर ऑकलैंड में खेले गए सीरीज के दूसरे वनडे मैच से की थी. सचिन तब महज 21 साल के थे. पहले ही मैच में उन्होंने 49 गेंद में 15 चौके और 2 छक्के ठोककर 82 रन बनाए थे. उनकी इस पारी से टीम इंडिया ने जीत के लिए 50 ओवर में मिला 143 रन का लक्ष्य महज 23.2 ओवर में ही हासिल कर लिया था

Trending news