Life On Exoplanet: वैज्ञानिकों ने अपने सौर मंडल के बाहर दो एक्सोप्लेनेट (Exoplanet) की खोज की है. अब वैज्ञानिकों का मानना है कि इन दोनों एक्सोप्लेनेट पर इंसानों के जिन्दा रहने की संभावना है.
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Scientists Have Discovered Two Exoplanets: वैज्ञानिक लंबे अरसे से इस दिशा में रिसर्च कर रहे हैं कि वो इंसानी सभ्यता को किसी और ग्रह पर बसा सकें. रिसर्च का सिलसिला आगे बढ़ा और अब वैज्ञानिकों ने दावा किया है कि उन्होंने दो ऐसे एक्सोप्लेनेट (Exoplanets) की खोज की है, जिस पर इंसानों के जिंदा रहने की संभावना प्रबल है. बात को आगे बढ़ाने से पहले जान लेते हैं कि ये एक्सोप्लेनेट क्या होते हैं? विज्ञान की भाषा में एक्सोप्लेनेट शब्द उन ग्रहों के लिए इस्तेमाल किया जाता है, जो हमारे सौर मंडल के बाहर होते हैं और किसी दूसरे तारे के चारों ओर चक्कर लगाते हैं यानी उनका सूरज कोई दूसरा होता है.
कौन से हैं वो ग्रह जान लीजिए
वैज्ञानिकों ने जिन दो ग्रहों की खोज की है वो हमसे 100 प्रकाश वर्ष की दूरी पर हैं. इस खोज को एस्ट्रोफिजिसिस्ट लेटिटिया डेलरेज लीड कर रहे थे. इनकी टीम में पूरी दुनिया से वैज्ञानिक शामिल थे. इनमें से एक ग्रह को ट्रांजिटिंग एक्सोप्लैनेट सर्वे सैटेलाइट (TESS - Transiting Exoplanet Survey Satellite) की मदद से खोजा गया है, जिसका नाम LP 890-9b हैं और जिस दूसरे ग्रह की बात हो रही है उसे इसी पहले ग्रह की मदद से खोजा गया है और इस ग्रह का नाम LP 890-9c है. बताया जा रहा है कि यह पृथ्वी से करीब 40 गुना बड़ा है. इसके साथ ही जिस पहले ग्रह के बारे में बताया गया कि LP 890-9b पृथ्वी से करीब तीन गुना बढ़ा है. इस खोज के लिए SPECULOOS दूरबीनों का भी प्रयोग किया गया था.
क्यों वैज्ञानिकों को दिखी जीवन की संभावना
वैज्ञानिकों का ऐसा मानना है कि ये ग्रह जिस तारे को चारों ओर घूम रहे है, उसका तापमान सूरज से आधा है. इसलिए इसके पास के ग्रह LP 890-9c पर जीवन की संभावना हो सकती है और इंसानों के लिए जरूरी एटमॉस्फेयर को वहां डेवलेप करना आसान हो. बता दें कि नासा का आर्टमिस 1 मिशन भी इसी दिशा में काम कर रहा है. आर्टमिस 1 मिशन को फ्यूल लीक के चलते आगे के लिए टालना पड़ा है. आर्टमिस 1 मिशन की अगली लॉन्च डेट (Date) 23 सितंबर की तय की गई है. चीन का Chang'e मिशन भी कुछ-कुछ आर्टमिस 1 के जैसा ही है जिसके लिए उसे हाल ही में परमिशन भी मिल गई. ऐसे कई मिशन आगे आने वाले दिनों में देखने को मिलेंगे, लेकिन हम जानते है कि इंसानों को किसी भी दूसरे प्लेनेट पर जिंदा रहने के लिए पृथ्वी के जैसा ही एटमॉस्फेयर चाहिए.
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