इस मंत्र की ताकत जान रह जाएंगे हैरान! भक्‍त को बचाने शिव जी ने किया था यमराज का वध!
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इस मंत्र की ताकत जान रह जाएंगे हैरान! भक्‍त को बचाने शिव जी ने किया था यमराज का वध!

Mahamrityunjay Mantra: ये बात कम ही लोग जानते हैं कि मृत्‍यु के देवता यमराज की भी मृत्‍यु हुई थी. इसके पीछे वजह भगवान शिव का एक बेहद ताकतवर मंत्र बना था.

इस मंत्र की ताकत जान रह जाएंगे हैरान! भक्‍त को बचाने शिव जी ने किया था यमराज का वध!

Most Powerful Maha Mrityunjaya Mantra: प्राण हरने वाले यमराज का नाम सुनते ही लोग कांप उठते हैं कि पता नहीं कब यमराज का बुलावा आ जाए. लेकिन यमराज भी एक बार ऐसे ही कांप उठे थे, जब उनकी एक गलती के चलते भगवान शिव ने उन्‍हें मौत की नींद सुला दिया था. यमराज की मृत्‍यु का यह रहस्‍य एक पौराणिक कथा में बताया गया है. 

शिवभक्‍त की जान ली थी यमराज ने, फिर... 
 
पौराणिक कथाओं के अनुसार प्राचीनकाल में कालंजर में शिवभक्त राजा श्वेत राज्य करते थे. वृद्ध होने पर राजा श्वेत अपने पुत्र को राज्य सौंपकर वानप्रस्‍थ जीवन पर निकल गए. बाद में राजा श्वेत से महामुनि श्वेत बन गए और एक निर्जन गुफा में रहने लगे. वे पूरा-पूरा समय शिव भक्ति में लगाते थे. जिस दिन उनकी मृत्‍यु का समय निश्चित था, वे उससे भी निश्चिंत होकर महामृत्‍युंजय मंत्र का जाप कर रहे थे. तभी यमदूत श्‍वेत को लेने आए लेकिन शिव के गण उनकी रक्षा में खड़े हो गए. यमदूतों ने श्‍वेत को बलपूर्वक ले जाने की कोशिश की लेकिन सफल नहीं हुए. 

इधर श्‍वेत मुनि की मृत्‍यु का समय निकलते देख यमराज नाराज हो गए और हाथ में यमदंड लेकर भैंसे पर सवार स्‍वयं श्‍वेत मुनि की गुफा पहुंच गए. यमराज बलपूर्वक श्‍वेतमुनि को ले जाने लगे तो शिव जी प्रकट हुए और उन्‍होंने यमराज का वध कर दिया. 

भक्ति के दौरान नहीं ले सकते प्राण 

यमराज की मृत्‍यु से उनके पिता सूर्य देव व्‍यथित हो गए और सभी देवताओं ने शिव जी की स्‍तुति करना शुरू किया. तब भगवान शिव प्रकट हो गए. देवताओं ने कहा- 'भगवन्! यमराज सूर्य के पुत्र हैं. वे लोकपाल हैं और लोगों के प्राण हरने के लिए उनकी नियुक्ति की गई है, उनका वध सही नहीं है. उनके बिना सृष्टि का कार्य असंभव हो जाएगा, इसलिए उन्‍हें जीवित कर दें वरना अव्यवस्था फैल जाएगी.'
 
तब भगवान शंकर ने कहा- 'मैं भी व्यवस्था के पक्ष में हूं. लेकिन जो भी भक्‍त  मेरी और भगवान विष्णु की आराधना कर रहे हों, उस दौरान मृत्यु का उन पर कोई अधिकार नहीं होता. स्वयं यमराज और उनके दूत उस समय उन भक्‍तों की ओर देखे भी नहीं.' तब से ही यमराज उस समय उन भक्‍तों के प्राण नहीं लेते हैं, जिस समय वे महामृत्‍युंजय मंत्र का जाप कर रहे होते हैं. वहीं इसके बाद  श्वेतमुनि शिवलोक चले गए. चूंकि शिव ने अनेकों बाद मृत्‍यु को पराजित किया और यमराज का वध किया इसलिए उन्‍हें कालों के काल महाकाल कहा जाता है. 
 
(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. ZEE NEWS इसकी पुष्टि नहीं करता है.)

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