किसे कहते हैं अकाल मृत्‍यु, किस तरह की मौत को माना गया है सबसे घृणित?
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किसे कहते हैं अकाल मृत्‍यु, किस तरह की मौत को माना गया है सबसे घृणित?

Garuda Purana Premature Death Hindi: मृत्‍यु ही अंतिम सत्‍य है और कब कौन सा पल जिंदगी का आखिरी पल हो, कोई नहीं जानता है. गरुड़ पुराण में मृत्‍यु के साथ-साथ अकाल मृत्‍यु को लेकर भी विस्‍तार से बताया गया है.

किसे कहते हैं अकाल मृत्‍यु, किस तरह की मौत को माना गया है सबसे घृणित?

Suicide in Garuda Purana: व्‍यक्ति के जन्‍म और मृत्‍यु का समय तय है. लेकिन कई बार व्‍यक्ति बहुत कम उम्र में ही चल बसता है. साथ ही कई लोग बेहद कष्‍टदायी मृत्‍यु पाते हैं. महापुराण माने गए गरुड़ पुराण में मृत्‍यु और असमय मृत्‍यु या अकाल मृत्‍यु को लेकर विस्‍तार से बताया गया है. आज हम गरुड़ पुराण के जरिए जानते हैं कि क्‍या असमय मृत्‍यु और अकाल मृत्‍यु अलग-अलग हैं और किस तरह की मृत्‍यु आत्‍मा के लिए कष्‍ट का कारण बनती है. 

जीवन-मृत्‍यु 

आमतौर पर मनुष्‍ट की आयु औसतन 60 से 70 वर्ष होती है लेकिन कुछ लोग 90-100 तक जीते हैं तो वहीं कुछ लोग बेहद कम उम्र में ही दुनिया को अलविदा कह देते हैं. मनुष्‍य के जीवन को मोटे तौर पर 4 फेज में बांटा गया है, शिशु अवस्‍था, किशोर, प्रौढ़ और वृद्धावस्था. लेकिन कई लोग अपने जीवन के दूसरे या तीसरे चक्र में ही दुनिया से विदा हो जाते हैं. ऐसे मृत्‍यु को असमय मृत्‍यु कहा जाता है. लेकिन यदि व्‍यक्ति की मृत्‍यु के बाद उसकी आत्‍मा मृत्‍युलोक में भटकती रहे और अपना तयशुदा जीवन को पूरा करने का इंतजार करती रहे तो उसे अकाल मृत्‍यु कहा जाता है. 

अकाल मृत्‍यु किसे कहते हैं?

शरीर त्‍यागने के बाद भी यदि आत्‍मा इस संसार से नहीं जाती है या नए शरीर में प्रवेश नहीं करती है और अपना जीवनकाल पूरा करने का इंतजार करती है, ऐसी मृत्‍यु अकाल मृत्‍यु कहलाती है. ऐसी मौत के पीछे कई कारण हो सकते हैं. जैसे- व्‍यक्ति की किसी दुर्घटना में, जल में डूबने से, सांप के काटने से, किसी रोग के कारण, भूख से पीड़ित होकर या फिर किसी हिंसक प्राणी के द्वारा मारा जाना या आत्‍महत्‍या करना अकाल मृत्‍यु होता है. ऐसी स्थिति में मृतक की आत्‍मा अपना तय जीवनकाल पूरा होने तक इसी संसार में भटकती रहती है. 

आत्‍महत्‍या सबसे ज्‍यादा निंदनीय 

इन सभी प्रकार की अकाल मृत्‍यु में आत्महत्या को सबसे ज्यादा घृणित और निंदनीय कृत्य या अकाल मृत्यु बताया गया है. गरुड़ पुराण के अनुसार आत्‍महत्‍या सबसे घृणित कार्य है. यदि असमय मृत्यु प्राकृतिक रूप से हो तो ऐसे मृतक की आत्‍मा को कम से कम 3 दिन या फिर अधिकतम 40 दिनों के भीतर ही दूसरा शरीर प्राप्त हो जाता है. लेकिन आत्महत्या करने वाले लोगों की आत्‍मा पृथ्वी लोक पर ही भटकती रहती है. उन्हें ना तो स्वर्ग मिलता है और नर्क. वे प्रेतात्मा बनकर या अन्य रूप में भटकते रहते हैं. व्‍यक्ति का जीवनकाल पूरा होने के बाद ही आत्मा को मुक्ति मिलती है.

(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. ZEE NEWS इसकी पुष्टि नहीं करता है.) 

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