बुजुर्ग पुरुष भी पैसे दें और महिलाएं बस में फ्री घूमें? एक यात्री के पोस्ट पर मच गया बवाल
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बुजुर्ग पुरुष भी पैसे दें और महिलाएं बस में फ्री घूमें? एक यात्री के पोस्ट पर मच गया बवाल

सोशल मीडिया पर एक पोस्ट में एक पुरुष यात्री ने महिलाओं के फ्री में बस यात्रा करने पर सवाल उठाया है. कांग्रेस शासित कर्नाटक राज्य में महिलाएं आधार कार्ड दिखाकर बस में बिना टिकट यात्रा कर सकती हैं. इस शख्स ने कहा कि बुजुर्ग एक-एक पैसा दे रहे हैं तो महिलाओं को फ्री में ले जाना क्या उचित है? यह डिबेट पूरे देश में छिड़ गई है.

बुजुर्ग पुरुष भी पैसे दें और महिलाएं बस में फ्री घूमें? एक यात्री के पोस्ट पर मच गया बवाल

Bengaluru Viral News: आपने पढ़ा, सुना और देखा भी होगा कि कई राज्य सरकारें महिलाओं को कुछ दिन या महीनों तक बस में फ्री यात्रा का तोहफा देती हैं. एक पुरुष यात्री ने सोशल मीडिया पर कुछ ऐसा लिखा जिस पर डिबेट छिड़ गई. बेंगलुरु के रहने वाले इस शख्स ने कर्नाटक में महिलाओं के फ्री बस यात्रा पर सवाल खड़ा किया है. उन्होंने पूछा है कि क्या यह उचित है? सोशल मीडिया पर उनके पोस्ट को 10 लाख से ज्यादा लोग देख चुके हैं और 1500 से ज्यादा लोगों ने कमेंट किए हैं.

किरन कुमार लिखते हैं, 'मैंने बेंगलुरु से मैसूर के लिए सुबह की बस ली. 210 रुपया किराया. आरामदायक KSRTC की बस और जल्दी यात्रा के लिए एक विश्व स्तरीय हाईवे. लेकिन मैं कुछ बातें कहना चाहता हूं. इसके बाद उन्होंने 6 प्वाइंट्स लिखे हैं.

1- बस में 50 यात्रियों में से लगभग 30 महिलाएं थीं. उन्हें बस आधार कार्ड दिखाना था और यात्रा मुफ्त. क्या यह उचित है? क्या यह समानता है?

2- 20 लोग पूरी बस के लिए पेमेंट कर रहे हैं. क्या यह उचित है?

3- मैंने एक बूढ़े आदमी को टिकट के पैसे देने के लिए जेब ढूंढते हुए देखा जबकि उनके बगल में युवा महिला वीडियो कॉल पर थी और मुफ्त में यात्रा कर रही थी. क्या यह उचित है?

4- अगर राज्य के पास इतनी अतिरिक्त इनकम है तो इन 20 लोगों के लिए भी इसे मुफ्त क्यों न किया जाए? एयरपोर्ट शटल सेवा जैसी यूनिवर्सल मुफ्त बस सेवा.

5- पूरी दुनिया में, सब्सिडी और वेलफेयर जैसी केयर उन लोगों को मिलती है जिनके पास पैसे नहीं हैं. यहां बेंगलुरु और मैसूर जैसे दो अमीर शहरों की महिलाएं हैं, जो मुफ्त में यात्रा करती हैं क्योंकि यह उपलब्ध है. क्या यह ठीक है?

6- क्या उसी मुफ्त राशि का उपयोग कचरे की सफाई, शहरों में गड्ढों को ठीक करने, किसानों को पानी उपलब्ध कराने के लिए नहीं किया जा सकता? इस तरह कुछ और भी हो सकता है.

आखिर में किरन कुमार ने लिखा कि लेकिन समझ में यह आता है कि हम वोटों के लिए मुफ्त उपहारों (रेवड़ी बांटने) के दुष्चक्र में प्रवेश कर चुके हैं. निकट भविष्य में इससे बाहर निकलना मुश्किल है.

कर्नाटक में कांग्रेस की सरकार है. ऐसे में भाजपा के कई नेताओं और कार्यकर्ताओं ने इस फैसले की आलोचना की है. भाजपा के विधायक महेश टी. ने कहा है कि कांग्रेस सरकार को डेढ़ साल में ही समझ में आ गया कि फ्री स्कीम मुश्किल है तो वे एक तरफ महिलाओं को फ्री में ले जा रहे हैं तो दूसरी तरफ 20 से 30 प्रतिशत किराया बढ़ा रहे हैं.

हालांकि कुछ लोग ऐसे में भी हैं जिन्होंने तर्क दिया है कि इस तरह महिलाओं को सशक्त किया जा रहा है और इसकी मदद से महिलाएं आसानी से जाकर आय के साधन जुटा रही हैं. 

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