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Vat Savitri Puja Samagri: ज्योतिष शास्त्र में हर तिथि और व्रत का अपना अलग महत्व है. हर साल ज्येष्ठ माह की अमावस्या तिथि को वट सावित्री व्रत रखा जाता है. इस दिन महिलाएं पति की लंबी आयु के लिए भूखी-प्यासी रहकर व्रत रखती हैं. इस दिन अखंड सौभाग्य की प्राप्ति के लिए व्रत रखा जाता है और बरगद के पेड़ की पूजा का विधान है. बता दें कि इस साल वट सावित्री का व्रत 19 मई को रखा जाएगा.
शास्त्रों के अनुसार ये व्रत करवाचौथ के व्रत की तरह ही बहुत कठिन होता है. बरगद के पेड़ की पूजा की जाती है और कथा सुनी व पढ़ी जाती है. इस दिन पूजा के दौरान पूजा की थाली पूर्ण रूप से तैयार होनी चाहिए. कहते हैं कि बरगद के पेड़ की पूजा के समय पूजा की सामग्री का काफी अहम रोल है. आइए जानें वट सावित्री के व्रत में पूजन सामग्री और बरगद के पेड़ की पूजा का महत्व.
इसलिए होती है बरगद के पेड़ की पूजा
धर्म ग्रंथों के अनुसार वट यानी बरगद के पेड़ में ब्रह्मा, विष्णु, महेश तीनों देवताओं का वास होता है. कहते है कि बरगद के पेड़ की पूजा करने से तीनों देवी-देवताओं का आशीर्वाद मिलता है. इसलिए बरगद के पेड़ का विशेष महत्व होता है. मान्यता है कि इस दिन महिलाएं अपने पति की लंबी आयु के लिए पूजन करती हैं और व्रत रखती हैं. बता दें कि बरगद का पेड़ अकेला ऐसा पेड़ होता है, तो 300 साल तक जीवित रहता है यानी इसकी आयु सबसे लंबी होती है.
ऐसी मान्यता है कि जब यमराज ने सत्वान के प्राण छीन लिए थे. तब सत्यवान की पत्नी ने बरगद के पेड़ के नीचे अपने पति को लिटाया था और वहीं बैठकर पूजा की थी. सत्वान की पत्नि की पूजा से प्रसन्न होकर उसके पति के प्राण ज्येष्ठ माह की अमावस्या तिथि को वापस आ गए थे. तभी से वट सावित्री व्रत व पूजा का विधान है.
वट सावित्री व्रत की पूजा सामग्री
ज्योतिष शास्त्र के अनुसार बरगद के पेड़ की पूजा से पहले अपनी पूजा की थाली तैयार कर लें. बता दें कि इस दौरान पूजा की थाली में चावल (अक्षत), श्रृंगार का सामान, आम, लीची, मौसमी फल, मिठाई या घर में पका कोई भी मिष्ठान, बतासा, मौली, रोली, कच्चा धागा, लाल कपड़ा, नारियल, इत्र, पान, सिंदूर, दूर्बा घास, सुपारी, पंखा (हाथ का पंखा), जल.
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(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. ZEE NEWS इसकी पुष्टि नहीं करता है.)