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Shardiya Navratri Importance: हिंदू धर्म में शारदीय नवरात्रि का बहुत बड़ा महत्व है. यह सबसे पावन पर्वों में से एक माना जाता है. ऐसी मान्यता है कि नवरात्रि के दौरान माता दुर्गा पथ्वी को अपना मायके मानते हुए पूरे 9 दिनों के लिए आती हैं. इस दौरान माता के नौ अलग अलग रूपों की आराधना की जाती है. शारदीय नवरात्रि की शुरुआत इस साल 15 अक्टूबर, रविवार आज से हो रही है. शारदीय नवरात्र अश्विन मास के शुक्ल पक्ष से शुरू होती है.
इस दौरान भक्त माता के नौ अलग-अलग स्वरूपों की विधि विधान से पूजा की जाती है. साथ ही, ये 9 दिन मां दुर्गा को प्रसन्न करने और मनोकामना पूर्ण करने के लिए व्रत रखते हैं. ऐसी मान्यता है कि मां दुर्गा जिससे प्रसन्न होती हैं उनके सभी कष्ट हर लेती हैं. पर क्या भक्तों ने कभी यह जानने की कोशिश की है कि शारदीय नवरात्रि क्यों मनाई जाती है! आइए विस्तार में इसके पीछे की असल वजह को जानने की कोशिश करते हैं.
क्यों है शारदीय नवरात्रि का इतना महत्व
बता दें कि हिंदू धर्म में नवरात्रि एक बार नहीं बल्कि 4 बार मनाई जाती है. साल में दो बार गुप्त नवरात्रि और दो चैत्र व शारदीय नवरात्रि होती है. जिसमे शारदीय नवरात्रि का बहुत बड़ा महत्व है. मान्यता है कि शारदीय नवरात्रि सत्य की असत्य पर जीत का प्रतिक है. इसी दौरान माता दुर्गा धरती को अपना मायका मानते हुए पथ्वी पर आती हैं. इसी अवसर पर भक्त पूरे 9 दिनों तक माता को समर्पित त्योहार को धूमधाम से मानते हैं.
शारदीय नवरात्रि मनाने की पौराणिक कथा
शारदीय नवरात्रि मनाने के पीछे एक नहीं बल्कि दो पौराणिक कथाएं हैं. पहली कथा में महिषासुर नाम का एक राक्षस ब्रह्मा जी की आराधना करते हुए उन्हें प्रसन्न किया, जिसमें उसने ब्रह्मा जी से वरदान मांगा कि उसे दुनिया में कोई भी देव, दानव या मनुष्य न मार सके. इसके बाद उसने सभी लोकों में तबाही मचानी शुरू कर दी. इसी दौरान मां दुर्गा और राक्षस महिषासुर का पूरे नौ दिनों तक युद्ध चला. आखिर में दसवें दिन मां ने राक्षस का वध कर दिया.
वहीं दूसरी कथा के अनुसार शारदीय नवरात्रि इसलिए मनाई जाती है क्योंकि भगवान राम लंका पर माता सीता को बचाने के लिए आक्रमण करने जा रहे थे. इससे पहले उन्होंने मां भगवती की आराधना की. पूरे नौ दिनों तक रामेश्वर में भगवान राम ने माता की पूजा अर्चना की, जिसके बाद माता ने प्रसन्न होकर उन्हें विजय होने का आशीर्वाद दिया. तब जाकर दसवें दिन राम जी ने रावण का वध कर दिया और विजय प्राप्ती की. तब से ही विजयदशमी का त्योहार मनाया जाने लगा.
(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. ZEE NEWS इसकी पुष्टि नहीं करता है.)