Navratri 2022: नवरात्रि में ऐसे करें कन्या पूजन, जानें किस उम्र की होनी चाहिए कन्याएं
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Navratri 2022: नवरात्रि में ऐसे करें कन्या पूजन, जानें किस उम्र की होनी चाहिए कन्याएं

Sharadiya Navratri 2022: नवरात्रि में लोग अष्टमी और नवमी के दिन कन्या पूजन करते हैं. इसे कंजक पूजन भी कहा जाता है. कंजक खिलाने के लिए बुलाई गईं कन्याओं की संख्या का भी अपना महत्व होता है.

 

नवरात्रि 2022

Navratri 2022 kanya Puja: शारदीय नवरात्र 26 सितंबर से शुरू हो चुके हैं और 3 अक्टूबर को महाअष्टमी, 4 को महानवमी और 5 अक्टूबर को विजयदशमी का उत्सव मनाया जाएगा. नवरात्र में कंजक यानी कन्या पूजन का विशेष महत्व होता है. सामान्यतः लोग नवरात्र शुरू होते ही कन्या पूजन करने लगते हैं, किंतु अष्टमी और नवमी का विशेष महत्व होता है, जो लोग पूरे नवरात्र में व्रत रखते हैं, वह दशमी के दिन कंजक खिलाने के बाद ही पारण करते हैं. कंजक खिलाने में 2 से 10 वर्ष तक की नौ कंजकों को बुलाना चाहिए. 9 की संख्या के पीछे माता के नौ स्वरूपों का भाव रहता है, लेकिन कंजक बुलाने में एक काम करना नहीं भूलना चाहिए, इनमें इसी आयु का एक बालक भी भैरव के रूप में बुलाया जाता है. बिना भैरव का पूजन किए माता पूजन को स्वीकार नहीं करती हैं. कंजकों की संख्या 9 से अधिक भी हो सकती है.

ऐसे करें पूजन

कंजकों को बुलाने के बाद पहले देवी मां का पूजन करें और साथ ही कंजकों और बालक के भी पैर धोकर, उन्हें उचित आसन पर विराजमान करें. सभी के तिलक और कलाई पर मौली यानी कलावा का रक्षा सूत्र बांधें. भोजन प्रसाद का सबसे पहले माता को भोग लगाएं और फिर उसे कंजकों और बालक को परोसकर सम्मानपूर्वक खिलाएं. सबसे अंत में पैर छूकर आशीर्वाद लें और सभी को कोई गिफ्ट भी दें, फिर घर के प्रवेश द्वार तक छोड़ने भी जाएं.

- उम्र के हिसाब से है माताओं का स्वरूप. 

- 2 वर्ष की कन्या के पूजन से दुख-दरिद्रता दूर होती है. 

- 3 वर्ष की कन्या त्रिमूर्ति मानी जाती है और इसके पूजन से धन्य-धान्य की प्राप्ति के साथ ही परिवार में सुख-समृद्धि की प्राप्ति होती है. 

- 4 वर्ष की कन्या को कल्याणी माना जाता है और उसके पूजन से परिवार का कल्याण होता है. 

- 5 वर्ष की कन्या रोहिणी कहलाती है और उसका पूजन करने से व्यक्ति रोग मुक्त हो जाता है.  

- 6 साल की कन्या को कालिका का रूप माना जाता है जो विद्या, विजय और राजयोग दिलाती हैं. 

- 7 वर्ष की कन्या का रूप चंडिका का माना जाता है. चंडिका का पूजन करने से ऐश्वर्य की प्राप्ति होती है. 

- 8 वर्ष की कन्या शांभवी कहलाती है, इसका पूजन करने से वाद-विवाद में विजय प्राप्त होती है. 

- 9 वर्ष की कन्या साक्षात दुर्गा कहलाती है, जिसका पूजन करने से शत्रुओं का नाश होता है और सभी कार्य पूर्ण होते हैं. 

- 10 वर्ष की कन्या सुभद्रा मानी जाती है और माता सुभद्रा अपने भक्तों के सभी मनोरथ पूर्ण करती हैं.

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