Shiv Stuti: सावन में रोजाना कर लें इस प्रभावशाली स्तुति का पाठ, भगवान शिव प्रसन्न होकर पार करेंगे नैया
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Shiv Stuti: सावन में रोजाना कर लें इस प्रभावशाली स्तुति का पाठ, भगवान शिव प्रसन्न होकर पार करेंगे नैया

Shiv Stuti: सावन का महीना भगवान शिव की उपासना के लिए बेहद खास माना गया है. इन दिनों में शिव की पूजा का विशेष फल मिलता है. इस माह में भगवान शिव की स्तुति और मंत्र का पाठ करने से शुभ फलों की प्राप्ति होती है. 

 

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Sawan Upay: सनातन धर्म में भगवान शिव के लाखों भक्त हैं और ऐसे में सावन का महीना उनके लिए बेहद खास होता है. बता दें कि हिंदू कैलेंडर के मुताबिक साल का चौथा महीना सावन का होता है. ये माह भगवान शिव की पूजा का समर्पित है. इस माह में भगवान शिव की उपासना सृष्टि के संघारक के रूप में की जाती है. मान्यता है कि भगवान शिव की उपासना से व्यक्ति को सभी दुखों से मुक्ति मिल जाती है. 

इस माह में सृष्टि का संचानल भगवान शिव स्वयं करते हैं, इसलिए इस माह का महत्व और अधिक बढ़ जाता है.  इस पवित्र माह में महादेव के मंत्र और स्तोत्र का पाठ करने से विशेष लाभ मिलता है. इस माह में भगवान श्री राम द्वारा की गई शिव की स्तुति बहुत प्रभावशाली मानी गई है. पढ़ें भगवान शिव की स्तुति. 

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श्री राम द्वारा की गई शिव स्तुति

नमामि शम्भुं पुरुषं पुराणं नमामि सर्वज्ञमपारभावम् ।
नमामि रुद्रं प्रभुमक्षयं तं नमामि शर्वं शिरसा नमामि ॥
नमामि देवं परमव्ययंतं उमापतिं लोकगुरुं नमामि ।
नमामि दारिद्रविदारणं तं नमामि रोगापहरं नमामि ॥

नमामि कल्याणमचिन्त्यरूपं नमामि विश्वोद्ध्वबीजरूपम् ।
नमामि विश्वस्थितिकारणं तं नमामि संहारकरं नमामि ॥
नमामि गौरीप्रियमव्ययं तं नमामि नित्यंक्षरमक्षरं तम् ।
नमामि चिद्रूपममेयभावं त्रिलोचनं तं शिरसा नमामि ॥

नमामि कारुण्यकरं भवस्या भयंकरं वापि सदा नमामि ।
नमामि दातारमभीप्सितानां नमामि सोमेशमुमेशमादौ ॥
नमामि वेदत्रयलोचनं तं नमामि मूर्तित्रयवर्जितं तम् ।
नमामि पुण्यं सदसद्व्यातीतं नमामि तं पापहरं नमामि ॥

नमामि विश्वस्य हिते रतं तं नमामि रूपापि बहुनि धत्ते ।
यो विश्वगोप्ता सदसत्प्रणेता नमामि तं विश्वपतिं नमामि ॥
यज्ञेश्वरं सम्प्रति हव्यकव्यं तथागतिं लोकसदाशिवो यः ।
आराधितो यश्च ददाति सर्वं नमामि दानप्रियमिष्टदेवम् ॥

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नमामि सोमेश्वरंस्वतन्त्रं उमापतिं तं विजयं नमामि ।
नमामि विघ्नेश्वरनन्दिनाथं पुत्रप्रियं तं शिरसा नमामि ॥
नमामि देवं भवदुःखशोक विनाशनं चन्द्रधरं नमामि ।
नमामि गंगाधरमीशमीड्यं उमाधवं देववरं नमामि ॥

नमाम्यजादीशपुरन्दरादि सुरासुरैरर्चितपादपद्मम् ।
नमामि देवीमुखवादनानां ईक्षार्थमक्षित्रितयं य ऐच्छत् ॥
पंचामृतैर्गन्धसुधूपदीपैः विचित्रपुष्पैर्विविधैश्च मन्त्रैः ।
अन्नप्रकारैः सकलोपचारैः सम्पूजितं सोममहं नमामि ॥

(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. ZEE NEWS इसकी पुष्टि नहीं करता है.)
   

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