Pitru Paksha Pind Daan: कहा जाता है कि घर के बेटे या पुरुषों को ही अमूमन पितरों का पिंडदान करना चाहिए. लेकिन अगर किसी घर में बेटा या कोई पुरुष न हो तो क्या बेटियां पिंडदान कर सकती हैं. आइए जानते हैं कि धर्मशास्त्र इस पर क्या कहते हैं.
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Pitru Paksha 2022 Pind Daan: सनातन धर्म में पितृ पक्ष (Pitru Paksha) को काफी महत्ता दी गई है. मान्यता है कि पितृ पक्ष के दौरान गुजर चुके पूर्वज कौवे बनकर धरती पर आते हैं और अपने परिजनों से मिलते हैं. ऐसे में विधि-विधान के साथ पितरों का श्राद्ध करने से वे प्रसन्न होते हैं और उनकी आत्मा को शांति मिलती है. शास्त्रों के मुताबिक पितरों के लिए पिंडदान (Pind Daan) करने का काम घर के बेटे या पुरुषों को करना चाहिए. लेकिन अगर किसी घर में बेटा न हो तो क्या बेटियां पिंडदान (Can Daughters also do Pind Daan) कर सकती हैं. आइए जानते हैं कि इस पर धर्म शास्त्र क्या कहते हैं.
क्या बेटियां भी कर सकती हैं श्राद्ध कर्म?
शास्त्रों के मुताबिक मां-बाप या अन्य परिजनों की मौत के बाद उनकी आत्मा की शांति के लिए पिंडदान और तर्पण करना बेटे का प्रमुख कर्तव्य बताया गया है. कहा जाता है कि ऐसा किए बिना आत्माओं को सांसारिक बंधनों से मुक्ति नहीं मिलती और वे इस भूलोक में भटकती रहती हैं. ऐसे में उनकी आत्मा की शांति और मोक्ष प्राप्ति के लिए पिंडदान और श्राद्ध करना जरूरी माना गया है. हालांकि अगर किसी घर में बेटे या पुरुष न हों तो वहां बेटियां भी पिंडदान (Pind Daan) कर सकती हैं. इसे भी विधि सम्मत कहा गया है.
इस विधि से करें पितरों का पिंडदान
अपने पितरों की आत्मा की शांति के लिए आप पितृ पक्ष के दौरान सफेद कपड़े पहनें. जिस दिन आपको उनका श्राद्ध कर्म करना हो, आप उस दिन खोये या जौ के आटे से पिंड बना लें. इसके बाद फूल, चंदन, कच्चा सूत, तिल, जौ, फल-मिठाई, अगरबत्ती और दही के साथ पिंडदान (Pind Daan) कर दें. पिंडदान करने के बाद शांतिपूर्वक बैठकर अपने पितरों को याद करनें और प्रभु से उनकी आत्मा की शांति की कामना करें. इसके बाद पिंड को हाथ में उठाएं और सम्मान के साथ जल में प्रवाहित कर दें.
10 सितंबर से शुरू हो रहे हैं पितृ पक्ष
बताते चलें कि पितृ पक्ष (Pitru Paksha 2022) हर साल भाद्रपद मास में शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा से शुरू होता है. यह पितृ पक्ष लगातार 15 दिनों तक चलता है. इस साल पितृ पक्ष 10 सिंतबर को शुरू होकर 25 सितंबर तक चलेगा. इस दौरान सम्मान और श्रद्धा के साथ पितरों को याद करके उनके मोक्ष की कामना की जाती है. विधि विधान से याद किए जाने पर पितर प्रसन्न होते हैं और अपने परिवार के लोगों को आशीर्वाद देते हैं.
(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. ZEE NEWS इसकी पुष्टि नहीं करता है.)