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Guru Purnima 2022: श्री राम, हनुमान जी और श्री कृष्ण ने पाई थी इन गुरुओं से शिक्षा, जानें इनके बारे में ये खास बातें

Guru Purnima 2022 Significance: 13 जुलाई यानी की आज देशभर में गुरु पूर्णिमा का पर्व मनाया जा रहा है. हिंदू धर्म में धरती पर गुरुओं को भगवान के समान माना गया है. गुरु ही हमें अंधकार  से प्रकाश की ओर लाते हैं. ऐसे में आज के दिन उनकी पूजा करके उनके प्रति आभार व्यक्ति किया जाता है. धार्मिक ग्रंथों में ऐसे कई गुरुओं के बारे में बताया गया है, जिन्होंने श्री राम, हनुमान जी और श्री कृष्ण को शिक्षा दी है. आइए जानें इन गुरुओं के बारे में. 

 

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द्रोणाचार्य- गुरुओं का नाम हो और द्रोणाचार्य का नाम न आए ऐसा नहीं हो सकता. द्रोणाचार्य ने कौरवों और पांडवों को अस्त्र-विद्या का ज्ञान दिया था. बता दें कि महाभारत युद्ध में द्रोणाचार्य ने कौरवों का साथ दिया. ये देवगुरु बृहस्पति के अंशावतार थे.   

 

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गुरु संदीपिनी ने दी श्री कृष्ण को शिक्षा- ग्रंथों के अनुसार भगवान श्रीकृष्ण ने उज्जैन के गुरु सांदीपनि से शिक्षा प्राप्त की थी. 11 साल और 7 दिन की उम्र में श्रीकृष्ण उज्जैन गए थे. और यहां श्रीकृष्ण ने 64 दिनों में 64 कलाओं का ज्ञान प्राप्त किया था. आज भी यहां उज्जैन में गुरु संदापिनी आश्रम है.

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हनुमान जी के गुरु सूर्यदेव- धार्मिक ग्रंथों के अनुसार सूर्यदेव ने ही हनुमान जी को शिक्षा दी है. वेदों के अनुसार हनुमान जी ने आकर इनसे निवेदन किया कि वे उनके गुरु बन जाएं. ऐसे में सूर्यदेव ने कहा कि मैं एक पल के लिए भी ठहर नहीं सकता. ऐसे में तुम्हें शिक्षा कैसे दे सकता हूं. हनुमान जी सूर्यदेव की ऐसी स्थिति में ही शिक्षा लेने को तैयार हो गए.

 

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गुरु वशिष्ठ मुनि ने दी श्री राम को शिक्षा- भगवान विष्णु ने जब धरती पर श्री राम के रूप में अवतार लिया तब इनके गुरु मुनि वशिष्ठ बने. मुनि वशिष्ठ ने श्री राम को शस्त्र और शास्त्रों की शिक्षा दी. मुनि रघुकुल के कुलगुरु थे. इन्होंने ही दशरथ को पुत्रकामेष्ठी यज्ञ की सलाह दी थी, जिसके बाद ही श्री राम, लक्ष्मण, भरत और शत्रुध्न का जन्म हुआ था. 

 

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महर्षि वेद व्यास- महाभारत की रचना करने वाले वेद व्यास का जन्म गुरु पूर्णिमा के दिन ही हुआ था. और इनके जन्मोत्सव की खुशी में ही ये पर्व मनाया जाता है. इनका मूल नाम कृष्णद्वैपायन है. वेदों का संपादन करने के कारण ही इन्हें वेद व्यास के नाम से जाना गया. महाभारत सहित महर्षि वेद व्यास जी ने कई पुराणों की रचना की थी. 

 

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