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नई दिल्ली: भगवान शिव के व्यक्तित्व के कई रंग हैं और इसलिए उन्हें 'देवों के देव महादेव' कहा जाता है. भगवान शिव को भोलेनाथ भी कहा जाता है. माना जाता है कि वे अपने भक्तों से बहुत जल्दी प्रसन्न हो जाते हैं. फिर भी ऐसी कुछ चीजें हैं जिन्हें भगवान शिव की तस्वीर या शिवलिंग पर नहीं चढ़ाना चाहिए.
महादेव (Mahadev) को कई नामों से जाना जाता है. उन्हें प्रसन्न करना आसान है और वे लोगों की इच्छाओं को पूरा करते हैं. महादेव वही हैं जो हमें जीवन जीने का तरीका सिखाते हैं और संहारक भी बन सकते हैं. शिव जी पर बेलपत्र, धतूरा, आंकड़े का फूल तो अर्पित किया जाता है पर क्या आप उन चीजों के बारे में जानते हैं, जिन्हें शिव शंकर पर चढ़ाना भारी पड़ सकता है. आइए हम बताते हैं...
तुलसी के पत्तों को लक्ष्मी माना जाता है. देवी लक्ष्मी भगवान विष्णु की पत्नी हैं और इसी वजह से इन्हें अन्य भगवान को चढ़ाना वर्जित होता है. पौराणिक कथा के अनुसार जालंधर नाम के राक्षस से सब परेशान थे, लेकिन उसे मारा नहीं जा सकता था, क्योंकि उसकी पतिव्रता पत्नी वृंदा के तप जुड़ी हुई थी. उसका कोई बाल भी बांका नहीं कर सकता था. तब विष्णु जी ने छल से वृंदा के पति का रूप धारण कर तप भ्रष्ट कर दिया और भगवान शिव ने जलंधर का वध किया. तभी से तुलसी ने स्वयं भगवान शिव जी के पूजन सामग्री में न शामिल होने की बात कही थी.
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लाल फूल भी महादेव पर कभी नहीं चढ़ाने चाहिए. ऐसा कहा जाता है कि लाल फूल भगवान द्वारा शापित हैं.
शिवलिंग पर कभी भी कुमकुम नहीं लगाना चाहिए. महादेव वैरागी हैं और वैरागी लोग अपने माथे पर राख लगाते हैं. सभी लोग ये भी जानते हैं कि शिव जी अपने माथे पर भस्म लगाते हैं. विवाहित स्त्रियां कुमकुम लगाती हैं और शिव पुराण में महादेव को विनाशक कहा गया है. इस वजह से भी शिव जी को कुमकुम लगाने की मनाही है.
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ज्यादातर पूजा-पाठ की सामग्री में हल्दी शामिल की जाती है पर हल्दी एक ऐसी सामग्री है, जिसे शिव को कभी नहीं लगाना चाहिए. हल्दी का इस्तेमाल सुंदरता प्रसाधन के लिए किया जाता है और चूंकि महादेव वैरागी हैं और सांसारिक सुखों को त्याग रखा है, इसलिए हल्दी उनके पूजा में शामिल नहीं की जाती है. शिव जी को हल्दी लगाने से चंद्रमा कमजोर होने लगता है.
महादेव की पूजा में न शंख बजाना चाहिए और न ही शंख से उन पर जल अर्पित करना चाहिए. मान्यताओं के अनुसार भगवान शिव ने शंखचूड़ नाम के असुर का वध किया था. तभी से शंख को उसी असुर का प्रतीक माना जाता है. चूंकि शंखचूड़ विष्णु भक्त था इसलिए विष्णु भगवान की पूजा में शंख बजाया जाता है पर महादेव की पूजा में इसका इस्तेमाल वर्जित होता है.
महादेव पर नारियल तो जरूर चढ़ाया जाता है पर आपको यह जानकर हैरानी होगी कि महादेव पर नारियल पानी बिल्कुल नहीं चढ़ाया जाता है.
भगवान शिव पर टूटे हुए चावल कभी भी अर्पित नहीं करने चाहिए. मान्यताओं के अनुसार टूटा हुआ चावल अशुद्ध होता है.